हे सर्वज्ञ, सर्वत्र , सर्वशक्तिमान-"प्रभु"
मेरा तो केवल एक "तू" ही है ,
अन्य कोई भी नहीं,अन्य कुछ भी नहीं है मेरा ,
यदि कोई है तो बस एक
"तू ही है"
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अन्य कोई भी नहीं,अन्य कुछ भी नहीं है मेरा ,
यदि कोई है तो बस एक
"तू ही है"
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भारतीय वेदान्तिक सिद्धांतों पर आधारित ,सद्गुरु स्वामी सत्यानन्द जी महाराज तथा स्वामी विवेकानंद जी एवं अन्य गुरुजनों की रचनाओं और प्रवचनों से प्रेरित,प्यारे प्रभु की सर्वगुण सम्पन्नता तथा हम जीवधारी मनुष्यों की निर्गुनता तथा परवशता झलकाते मीरा के इस भजन -
"मैं निरगुनियाँ गुन नहीं जानी एक धनी के हाथ बिकानी " की सार्थकता दर्शाता मेरा निम्नांकित भजन सुने----
तू ही तू
रोम रोम में रमा हुआ है , मेरा 'राम' रमैया तू
सकल सृष्टि का सिरजन हारा ,सब का ही रखवैया तू
तू ही तू
डाल डाल में,पात पात में , मानवता के हर जमात में
हर मजहब, हर जात पात में , एक तुही है तू ही तू
तू ही तू
रोम रोम में रमा हुआ है , मेरा 'राम' रमैया तू
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रोम रोम में रमा हुआ है , मेरा 'राम' रमैया तू
सागर का खारा जल तू है, बादल में हिम कण में तू है
गंगा का पावन जल तू है , रूप अनेक 'एक' है तू
तू ही तू
रोम रोम में रमा हुआ है , मेरा 'राम' रमैया तू
रोम रोम में रमा हुआ है , मेरा 'राम' रमैया तू
चपल पवन के स्वर में तू है , पंछी के कलरव में तू है
भंवरों के गुजन में तू है , हर स्वर में, ईश्वर है तू
तू ही तू
रोम रोम में रमा हुआ है , मेरा 'राम' रमैया तू
तन है तेरा , मन है तेरा , प्राण हैं तेरे, जीवन तेरा
सब हैं तेरे ,सब है तेरा , पर मेरा इक तू ही तू
तू ही तू
रोम रोम में रमा हुआ है , मेरा 'राम' रमैया तू
सकल सृष्टि का सिरजन हारा, सब का ही रखवैया तू
["भोला"]
रोम रोम में रमा हुआ है , मेरा 'राम' रमैया तू
सकल सृष्टि का सिरजन हारा, सब का ही रखवैया तू
["भोला"]
शब्दकार , स्वरकार ,गायक :
व्ही .एन .श्रीवास्तव "भोला"
सहयोग
श्रीमती कृष्णा भोला श्रीवास्तव
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सहयोग
श्रीमती कृष्णा भोला श्रीवास्तव
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