शुक्रवार, 4 जनवरी 2019

नाथ तुम्हें मैं भूल न जाऊं
उलझ पुलझ जग जंजालों मेंं, तेरी सुधी बिसर ना जाऊं
नाथ तुम्हें मैं भूल न जाऊं ...


माया ठगनी करने को छल, घेरे हमको लेकर दल बल
डर लगता है हमको पल पल, कहीं ठगा ना जाऊं
नाथ तुम्हे मैं ...


पाप कूप में गिरा हुआ हूं, अंधियारों से घिरा हुआ हूं
बिनु गुरु कृपा,  ज्ञान की ज्योती, कैसे नाथ जलाऊं
नाथ तुम्हे मैं ...


स्वार्थी मन कामी तन मेरा, किस विधि आराधन हो तेरा
असुर किये मम कण्ठ बसेरा, कैसे भजन सुनाऊं
नाथ तुम्हे मैं ...


हर अभिलाषा पूरी कर दी, बिन मांगे ही झोली भर दी
इतने सुख इतनी सुविधा दी, कैसे नाथ गिनाऊं
नाथ तुम्हे मैं भूल न जाऊं ...
बौस्टन मई २००४
तू है करुना निधान


परम पुरुष परमेश्वर परम सत्य गुन निधान
तू है करुना निधान


दीन बन्धु कृपा सिन्धु भगतन पर मेहरबान
तू है करुना निधान


तारक तव नाम मंत्र काटत भव व्याधि तंत्र
परम शक्तिमान यंत्र बीजाक्षर राम नाम
तू है करुना निधान


दीजे निज नाम नेह मम उर कर लेहु गेह
रामामृत झरे मेह जब तव गुन करहुं गान


तू है करुना निधान

ह्यूरौन यू एस ए में १ दिसमबेर २००१ को लिखा



रोम रोम में रमा हुआ है,
मेरा राम रमैया तू,
सकल सृष्टि का सिरजनहारा,
राम मेरा रखवैया तू,
तू ही तू, तू ही तू, ...

डाल डाल में, पात पात में,
मानवता के हर जमात में,
हर मज़हब, हर जात पात में
एक तू ही है, तू ही तू,
तू ही तू, तू ही तू, ...

सागर का ख़ारा जल तू है,
बादल में, हिम कण में तू है,
गंगा का पावन जल तू है,
रूप अनेक, एक है तू,
तू ही तू, तू ही तू, ...

चपल पवन के स्वर में तू है,
पंछी के कलरव में तू है,
भौरों के गुंजन में तू है ,
हर स्वर में ईश्वर है तू,
तू ही तू, तू ही तू, ...

"तन है तेरा, मन है तेरा,
प्राण हैं तेरे, जीवन तेरा,
सब हैं तेरे, सब है तेरा,"
पर मेरा इक तू ही तू,
तू ही तू, तू ही तू, ...
बजा रहा है मधुर मुरलिया,  मन वृन्दाबन मे सांवरिया,
सबको बना दिया बावरिया,  स्वर मे ईश्वर दरस कराया,
जो कुछ है सो तू ही                                      




रोम  श्रीराम  बिराजे धनुष  बाण ले हाथ !
जनकलली,श्री लखन लला अरु महावीर के साथ !!

वन्दन करते राम चरण अति हर्षित मन हनुमान !
आतुर रक्षा करने  को सज्जन भगतन के   प्रान !
अभय  दान दे  रहे मुझे  करुणासागर रघुनाथ !!
रोम  रोम श्रीराम  बिराजे धनुष बाण  ले हाथ !

मुझको भला कष्ट हो कैसे ,क्यों कर पीड सताए !
साहस  कैसे करें  दुष्टजन ,मुझ पर हाथ उठाए !
अंग  संग जब  मेरे हैं   संकटमोचन के नाथ !!
रोम  रोम श्रीराम  बिराजे धनुष बाण  ले हाथ !

विघ्न हरे सद्गुरु के आश्रम स्वयम राम जी आये !
शाप मुक्त कर दिया अहिल्या को पग धूर लगाये !
वैसे   चिंतामुक्त   हमे , कर रहे  राम रघुनाथ !!
रोम  रोम श्रीराम  बिराजे धनुष बाण  ले हाथ !!