मंगलवार, 27 सितंबर 2011

दैनिक प्रार्थना

नवरात्रि के प्रथम दिवस पर हमारी
हार्दिक बधाई स्वीकारें

आज प्रातः ही आंतरिक प्रेरणा हुई कि इस नवरात्रि भर प्रति दिन, हम दोनों मिल कर "रामचरित मानस" के किसी न् किसी अंश का पाठ करें ! यह भी विचार आया कि अपने ब्लॉग के द्वारा मानस का वह प्रसंग हम आपकी सेवा में प्रेषित करें जिससे नवरात्रि की हमारी इस विशेष आराधना में आप भी शामिल हो कर अपने अपने इष्ट देवों का सिमरन कर लें !

सर्वप्रथम आपको वह दैनिक प्रार्थना बताऊँ जिससे मेरा प्रथम परिचय नवेम्बर १९५६ में उस समय हुआ जब मैं अपनी नयी नयी धर्मपत्नी को पहली बार ग्वालियर से विदा करवा कर ला रहा था !चलते चलते ससुराल पक्ष के किसी विशिष्ट व्यक्ति ने मेरे हाथ में एक पुस्तिका पकड़ाई थी जिसका नाम था "उत्थान पथ" ! ( इस पर बारात के मेरे मित्रों ने चिढा कर कहा था " क्या खूब दहेज मिला तुम्हे भोलू ")!

यह पुस्तिका हमारे राम परिवार के मुखिया तथा हमारे आध्यात्मिक मार्ग दर्शक तथा धर्म पत्नी कृष्णा जी के बड़े भाई दिवंगत माननीय श्री शिवदयाल जी ,भूत पूर्व , चीफ जस्टिस ऑफ एम्. पी. हाईकोर्ट ने प्रभु श्रीराम की प्रेरणा से संकलित की थी ! इसके प्रकाशकों में मेरी नयी नयी बनी धर्मपत्नी कृष्णा जी का नाम भी था - और इसका विमोचन हमारे शुभ विवाह के दिन ही हुआ था ! प्रियजन, रोकोगे नहीं तो यह आत्म कहानी खत्म नहीं होगी ! चलिए अब तो ऊपरवाले ने सिग्नल की लाल बत्ती जला दी और मेरी आत्म कथा रुक गयी !

मैं उसी पुस्तिका "उत्थान पथ" के अंश आपके पास प्रेषित कर रहा हूँ ! हमारा पूरा परिवार, बच्चे बूढे सब मिल कर ,इसके अंश ,एक साथ ,समवेत स्वर में बोलते हैं ! इसके पाठ तथा उससे ग्रहण किये शुभ विचारों से हमारे पूरे परिवार का हर क्षेत्र में उत्थान हुआ है !आप भी थोडा मन लगा कर इसे पढ़ें , इसके भाष्य में "राम" के स्थान पर आप सहर्ष , अपने इष्ट का नाम बोल सकते हैं !

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दैनिक प्रार्थना

सर्वशक्तिमते परमात्मने श्रीरामाय नम:

मेरे राम मेरे नाथ
आप सर्वदयालु हो, सर्वसमर्थ हो, सर्वत्र हो, सर्वग्य हो ! आपको कोटिश नमस्कार !

आपने साधना के लिए मानव शरीर दिया है और प्रति क्षण दया करते रहते हो ! आपके अनंत
उपकारों का ऋण नहीं चुका सकता ! पूजा से आपको रिझाने का प्रयास करना चाहता हूँ !

अपनी कृपा से मेरे विश्वास दृढ़ कीजिए कि "राम मेरा सर्वस्व है","मैं राम का हूँ", "सब मेरे राम का है", "सब मेरे राम के हैं,","सब राम के मंगलमय विधान से होता है" और "उसी में मेरा कल्याण निहित है "!

अपनी अखंड स्मृति दीजिए ,राम नाम का जप करता रहूँ! रोम रोम में राम बसा है ! हर स्थान पर ,हर समय , राम को समीप देखूँ ! अपनी चरण शरण में अविचल श्रुद्धा दीजिए ! मेरे समस्त संकल्प राम इच्छा में विलीन हों! राम कृपा में अनन्य भरोसा रखकर सदा संतुष्ट और निश्चिन्त रहूँ ,शांत रहूँ ,मस्त रहूँ !

ऐसी बुद्धि और शक्ति दीजिए कि वर्तमान परिस्थिति का सदुपयोग करके पूरा समय और पूरी योग्यता लगा कर अपना कर्तव्य लगन, उत्साह और प्रसन्नचित्त से करता रहूँ ! मेरे द्वारा कोई ऐसा कर्म न होने पावे जिसमे मेरे विवेक का विरोध हो !

सत्य, निर्मलता, सरलता, प्रसन्नता, विनम्रता, मधुरता मेरा  स्वभाव हो !

दुखी को देखकर सहज कारुणित और सुखी को देख कर सहज प्रसन्न हो जाऊँ ! मेरे जीवन
में जो सुख का अंश हो वह दूसरों के काम आये और जो दुःख का अंश हो वह मुझे त्याग सिखाये !

मेरी प्रार्थना है कि आपका अभय हस्त सदा मेरे मस्तक पर रहे, आपकी कृपा सदा सर्वदा सब पर बनी रहे ! सब प्राणियों में सद्भावना बढती रहे , विश्व का कल्याण हो !

ॐ शांति, शांति ,शांति
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उपरोक्त प्रार्थना के बाद हम रामचरित मानस का निम्नांकित अंश बोलते है :
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मो सम दीन न दीन हित तुम समान रघुबीर !
अस बिचार रघुबंस मनि हरहु विषम भव भीर !!

मैं सिसु प्रभु सनेह प्रतिपाला ! मंदरु मेरु कि लेहि मराला !!
मोरें सबइ एक तुम स्वामी ! दीन बन्धु उर अन्तर्यामी !!
जदपि नाथ बहु अवगुन मोरे ! सेवक प्रभुहि परे जनि भोरे !!
सेवक सुत पति मात भरोसे ! रहइ असोच बने प्रभु पोसे !!
असरन सरन बिरदु सम्भारी ! मोहि जन तजहु भगत हितकारी !!
मोरे तुम प्रभु गुरु पितु माता ! जाउ कहाँ तजि पद जल जाता !!
बालक ज्ञान बुद्धि बल हीना ! राखहु सरन नाथ जन दीना !!
बार बार मागहु कर जोरे ! मनु परिहरे चरन जनि भोरे !!

श्रवन सुजसु सुन आयहूँ प्रभु भंजन भव भीर !
त्राहि त्राहि आरत हरन सरन सुखद रघुबीर !!
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क्रमशः
निवेदक : व्ही. एन. श्रीवास्तव "भोला"
सहयोग : श्रीमती डॉक्टर कृष्णा भोला श्रीवास्तव
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7 टिप्‍पणियां:

Deepak Saini ने कहा…

नवरात्री की शुभ कामनाये
जय श्री राम जय हनुमान

vandana gupta ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति।माता रानी आपकी सभी मनोकामनाये पूर्ण करें और अपनी भक्ति और शक्ति से आपके ह्रदय मे अपनी ज्योति जगायें…………सबके लिये नवरात्रि शुभ हो॥

रेखा ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति ...नवरात्रि की शुभकामनाएँ

ZEAL ने कहा…

.

मन को सुकून पहुंचती प्रार्थना । आपके साथ हम भी कर रहे हैं। नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं ।

श्री गुरुवे नमः

श्री गणपतये नमः

श्री सरस्वतये नमः

श्री आदित्याये नमः

सर्वशक्तिमते परमात्मने श्रीरामाय नम:

ॐ नमः शिवाय ।

जयंती ,मंगलाकाली ,भद्रकाली , कपालिनी ,दुर्गा , क्षमा, शिवाधात्री, स्वाहा, सुधा नामोअस्तुते ।

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G.N.SHAW ने कहा…

काकाजी प्रणाम - पढ़ कर मन राममय हो गया ! राम को तो भुला ही नहीं जा सकता ! काकी जी को भी प्रणाम कहे !

bhola.krishna@gmail .com ने कहा…

दीपक जी,, वन्दना जी, रेखाजी ,दिव्या जी तथा गोरख जी , "राम जी" की अखंड स्मृति बनी रहे इसीलिए हम ब्लॉग लेखन के बहाने "उन्हें" (अपने इष्ट को) अधिक से अधिक याद कर लेते हैं ,कभी पढ़ लिख कर , कभी भजन गाकर ! प्रियजन ,विश्वासी जनों को ही ऐसे गायन में आनंद मिलता है और उसमे "प्रभु "का नाम सुनते ही वे राम मय होजाते हैं !राम जी की ऎसी ही कृपा सब पर बनी रहे !

Smart Indian ने कहा…

आदरणीय कृष्णा जी, भोला जी,
दीपावली के शुभ अवसर पर आपको परिजनों और मित्रों सहित बहुत-बहुत बधाई। ईश्वर से प्रार्थना है कि वह आपका जीवन आनंदमय करे!
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साल की सबसे अंधेरी रात में*
दीप इक जलता हुआ बस हाथ में
लेकर चलें करने धरा ज्योतिर्मयी

बन्द कर खाते बुरी बातों के हम
भूल कर के घाव उन घातों के हम
समझें सभी तकरार को बीती हुई

कड़वाहटों को छोड़ कर पीछे कहीं
अपना-पराया भूल कर झगडे सभी
प्रेम की गढ लें इमारत इक नई