महालक्ष्मी नमस्तुभ्यं ---- नमस्तुभ्यं दयानिधे
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मेरे अतिशय प्रिय सभी स्वजन
जय श्रीराम
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दीपावली के इस मंगलमय शुभ पर्व पर
हमारी हार्दिक शुभ कामनाएं स्वीकारें
प्रियजन ,
मेरी माने तो इस दीपावली ===,
मनमंदिर में ज्योति जगाकर , औरों के घर दीप जलाओ !!
जगमग दीप जगा कर चहुदिश ,निज पथ का तम दूर भगाओ !
निर्भय आगे बढ़ते जाओ , दीप जलाओ दीप जलाओ
गहन अँधेरे में जग डूबा , चहु दिसि उजियारा फैलाओ !
अपना घर चमका के प्रियजन , दुखी जनों के मन चमकाओ !!
उनके घर भी दीप जलाओ ,
दीप जलाओ ,दीप जलाओ !!
किसकी झुग्गी अन्धियारी है , कौन कहाँ है भूखा प्यासा ?
देवालय से पहिले ,प्रियजन उस दरिद्र को भोग लगाओ !!
उस भूखे की भूख मिटाओ ,
दीप जलाओ ,दीप जलाओ !!
'अर्थ' नहीं है फिर क्या ? अपना अंतर घट तो प्रेम भरा है !
अक्षय है वह , प्यारे तुम बस , वही 'प्रेमरस' पियो पिलाओ !!
स्वयम छको औ उन्हें छ्काओ ,
दीप जलाओ ,दीप जलाओ !!
तरस् रहें जो 'खील बताशे' को वे प्यारे प्यारे बच्चे !
बुझे हुए चेहरे ,जरजर तन वाले ये दुखियारे बच्चे !
फुटपाथों पर भटक रहे हैं जो अनाथ मनमारे बच्चे !
उनके मुखड़ों पर प्रियजन तुम प्यारे प्रभु का नूर खिलाओ !!
गुरुजन ने जो दिया "नामरस", स्वयम पियो औ उन्हें पिलाओ
प्रेम प्रीति की अलख जगाओ ,
दीप जलाओ , दीप जलाओ !!
[ भोला ]
"दीपावली'
ब्रूक्लाइन , (एम्.ए.. यू.एस.ए)
नवम्बर ११, २०१२
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निवेदक : व्ही . एन..श्रीवास्तव "भोला"
एवं
श्रीमती कृष्णा भोला श्रीवास्तव
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4 टिप्पणियां:
आपको और आंटी को भी दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें । आप वह कहानी सुनाने वाले थे न अंकल ? आपने कहा था "इस संदर्भ में एक कथा सुनाना चाहता हूँ लेकिन टिप्पणी में लम्बी बात करना उचित नहीं लग रहा है !फिर भी एक मूलभूत सत्य बता दूँ कि अपने आलेखों में जो मैं बार बार कहता रहता हूँ " स्वर ही ईश्वर है " मेरी इस धारणा के पुष्टिकरण में इन पदों का बहुत बडा योगदान है !आपको फिर कभी बताऊंगा !"
इसके उत्तर में मैंने उस ही दिन लिखा था कि यहीं टिप्पणियों में ही कहानी बता दीजिये प्लीज़ :)
... अंकल, मैं अब भी कहानी का इंतज़ार कर रही हूँ । :)
bahut sundar bhavon se bhari post .aapko saparivar deepavali parv ki hardik shubhkamnayen .
आपके किस सन्देश की तारीफ करूं हर सन्देश मन को आह्लादित करने वाला व् मन में कुछ करने की प्रेरणा भरने वाला है आपको परिवार व् शुभचिंतकों सहित दीपावली की बहुत शुभकामनायें
स्नेहमयी शालिनी एवं शिखा जी ,
बहुत बहुत धन्यवाद ! ढलती उम्र में हम दोनों अधिक लिख पढ़ नहीं पा रहें हैं ! जब कभी प्यारे प्रभु की प्रेरणा से कुछ लिख पाते हैं लिख देते हैं ! सच पूछिए तो -
हम जु लिखते हैं ,ऐ स्वजन उसमे , शब्द "उनके " हैं ,भाव "उनका" है!
इसमे जो लगरहा सुंदर सबको , जलवा "उनका" स्वरूप "उनका" है !!
आशीर्वाद ! अंकल आंटी
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