सिया राम के अतिशय प्यारे,
अंजनिसुत मारुति दुलारे,
श्री हनुमान जी महाराज
के दासानुदास
श्री राम परिवार द्वारा
पिछले अर्ध शतक से अनवरत प्रस्तुत यह

हनुमान चालीसा

बार बार सुनिए, साथ में गाइए ,
हनुमत कृपा पाइए .

आत्म-कहानी की अनुक्रमणिका

आत्म कहानी - प्रकरण संकेत

गुरुवार, 15 अगस्त 2013

आज़ाद भारत की आवाज़ - "उत्तराखंड हम तुमरे साथ हैं"


   सभी भारत वासियों को 
"१५ अगस्त"
  स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई   


हम इस समय यू एस ए में टेलीविजन पर भारत के फिल्म और टेलीविजन से संबंधित विभूतियों द्वारा आयोजित रंगारंग कार्यक्रम "उत्तराखंड हम तुम्हारे साथ हैं " देख रहे हैं ! 

अभी अमिताभ बच्चन जी उत्तराखंड की त्रासगी प्रदर्शित करती श्री प्रसून जोशी की कविता " देखो मेरा देश रो रहा है ",'रिसाईट' कर रहे हैं ! इससे पहले अमित जी ने अपना संदेश इन शब्दों से शुरू किया था :

आज के दिन हम आज़ाद हुए हैं  :

प्रियजन ,  अमित जी के उपरोक्त शब्द सुनते ही मेरी बूढ़ी बुद्धि को कुछ याद आया ! १९४७ में कानपुर की नगरपालिका द्वारा आयोजित स्वतंत्रता दिवस के सांस्क्रतिक कार्यक्रम में गाने के लिए मैंने अपनी छोटी बहिन माधुरी के लिए [जो तब केवल १२  वर्ष की थी] एक गीत लिखा, उसकी धुन बनाई और उसे बहन को सिखाया ! कार्यक्रम से लौट कर माधुरी ने बताया कि उसके गीत में देशभक्त शहीदों के नाम और उनकी कुर्बानी की बातें सुन कर हाल में उपस्थित जनता तथा मंच पर बैठे सभी नेता ,स्कूल के टीचर और अधिकारी रो पड़े और उसके स्कूल की हेड मिस्ट्रेस श्रीमती आर के आगा ने उसे गले से लगा लिया ! 

इत्तफाक से उस गीत की प्रथम पंक्ति के शब्द वही थे जिनसे अमित जी ने आज अपना संदेश शुरू किया ! आज के दिन हम आज़ाद हुए हैं  ! यहाँ विदेश में हमारे पास अपने उस गीत का आलेख नहीं है और ६६ वर्ष पूर्व रचित  ये गीत बहुत कोशिश के बावजूद मुझे सही सही याद नहीं आरहा है ! कोशिश करूँगा यदि मेरे बच्चों अथवा मेरी बहन माधुरी के पास इस गीत के शब्द होंगे और वो मुझे प्रेषित कर देंगे तो भविष्य में प्रियजन मैं आपको भी बता दूँगा !
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 लेकिन आज मैं आपकी सेवा में राम परिवार के एक होनहार सदस्य 
लखनऊ के प्रसिद्ध 'आई सर्जन' - डॉक्टर विश्वास वर्मा 
की स्वतंत्रता दिवस पर रचित यह कविता पेश कर रहा हूँ :
कृपया देखें कितने सामयिक और सत्य हैं उनके उदगार 


नयी रौशिनी आई है,
आज़ादी पाकर भारत ने जग में धूम मचाई है

आज़ादी की ख़ातिर हमने कितने ही बलिदान दिए
आज़ादी पाने को जाने  कितनों ने ही प्राण दिए

आज़ादी ने संविधान का हमको पाठ पढ़ाया है
आज़ादी में हमने पावन लोकतन्त्र को पाया है

आज़ादी के संकल्पों को हमने मन मे ठाना है ॥
क्या क़ीमत है आज़ादी की हमने कब यह जाना है
अधिकारों की ही चिन्ता है फर्ज़ कहाँ पहचाना है

आज़ादी का अर्थ हो गया अब केवल घोटाला है
हमने आज़ादी का मतलब भ्रष्टाचार निकाला है

आज़ादी में खा जाते हम पशुओं तक के चारे अब
‘हर्षद’ और ‘हवाला’ हमको आज़ादी से प्यारे अब

आज़ादी के खेल को खेलो फ़िक्सिंग वाले बल्लों से
हार के बदले धन पाओगे सटटेबाज़ों’ दल्लों से

आज़ादी में वैमनस्य के पहलु ख़ूब उभारो तुम
आज़ादी इसको कहते हैं? अपनों को ही मारो तुम
आज़ादी का मतलब अब तो द्वेष, घृणा फैलाना है ॥

आज़ादी में काश्मीर की घाटी पूरी घायल है
लेकिन भारत का हर नेता शान्ति-सुलह का कायल है
आज़ादी में लाल चौक पर झण्डे फाड़े जाते हैं
आज़ादी में माँ के तन पर चाक़ू गाड़े जाते है

आज़ादी में आज हमारा राष्ट्र गान शर्मिन्दा है
आज़ादी में माँ को गाली देने वाला ज़िन्दा है

आज़ादी मे धवल हिमालय हमने काला कर डाला
आज़ादी मे माँ का आँचल हमने दुख से भर डाला

आज़ादी में कठमुल्लों को शीश झुकाया जाता है
आज़ादी मे देश-द्रोह का पर्व मनाया जाता है

आज़ादी में निज गौरव को कितना और भुलाना है ?

देखो! आज़ादी का मतलब हिन्दुस्तान हमारा है
आज़ादी पर मर मिट जाना एक अरब को प्यारा है

मित्रो! आज़ादी का मतलब निर्भय भारत-माता है
आज़ादी का अर्थ दूसरा  भारत भाग्य-विधाता है

प्यारो! आज़ादी का मतलब अमर तिरंगा झण्डा है
आज़ादी दुश्मन के सर पर लहराता इक डण्डा है

[ डॉक्टर विश्वास वर्मा की स्वीकृति से प्रकाशित ]  
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निवेदक: वही. एन. श्रीवास्तव "भोला"
सहयोग : श्रीमती कृष्णा भोला श्रीवास्तव 
आभार: डॉक्टर विश्वास वर्मा
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