परम पिता परमात्मा बिनती एक न आन !
सब की विपदाएं हरो ,करो विश्व कल्यान !
पिताश्री ,परम शांति दो दान !!
("भोला")
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हे प्यारे पिता
तेरे चरण कमलों में शत शत नमन
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आदिकाल से सभी धर्म ग्रंथों में इस सम्पूर्ण सृष्टि के सर्जक , उत्पादक,पालक,-संहांरक सर्वशक्तिमान भगवान को "पिता" क़ह कर पुकारा गया है!
हिन्दू धर्म ग्रन्थों में उन्हें "परमपिता" की संज्ञा दी गयी है ! ईसाई धर्मावलंबी उन्हें अतीव श्रद्धा सहित "होलीफादर" कह कर संबोधित करते हैं !
हमारी "ब्रह्माकुमारी" बहनें उसी परम आनन्द दायक , अतुलित शक्ति प्रदायक , ,ज्योतिर्मय ,शान्तिपुंज को "शिवबाबा" की उपाधि से विभूषित करके ,सर्वशक्तिमान निराकार परब्रह्म परमेश्वर से साधको के साथ पिता और सन्तान सा सम्बन्ध दृढ़ करतीं हैं !
कविश्रेष्ठ श्री प्रताप नारायणजी के समर्पण -भाव से भरी यह पंक्ति कितनी सार्थक है --
कविश्रेष्ठ श्री प्रताप नारायणजी के समर्पण -भाव से भरी यह पंक्ति कितनी सार्थक है --
पितु मात सहायक स्वामी सखा तुम्ही इक नाथ हमारे हो
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उपकारन को कछु अंत नहीं छिन ही छिन जो विस्तारे हो
[ हे पिता ! तुम्हारे उपकार इतने विस्तृत हैं कि उनसे उऋण हो पाना असम्भव है ]
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O Divine Father we have just a single prayer to make
Vanish miseries and bless the entire humanity with peace and prosperity.)
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परम पिता परमात्मा से हमारी नित्य प्रति की अनुरोधात्मक प्रार्थना-
श्री स्वामी सत्यानन्द जी महराज के शब्दों में
मेरे प्यारे हे पिता ,परम पुरुष भगवान ,
तुझसे बिछड़ा विषम बन मैं भूला निज ज्ञान !!
जन्म जन्म भूला फिर ,पाया राम न नाम ,
अबकी यदि संयोग हो , सिमरूं आठों याम !!
बालक बिछड़ा भूल से ,चल कर उलटे पंथ ,
अब तो मार्ग दीजिये , पढूँ नाम मय ग्रन्थ !!
अपने जन की सार ले, अपना बिरद बिचार ,
भूल चूक को कर क्षमा , पूरी करो सम्भार !!
रोये बिरही रातदिन ले ले लम्बी साँस ,
परम पिता से दूर कर ,लिया काल ने फांस !!
इस अटवी अति घोर में ,भटक भटक दुःख पाय ,
तुम बिन मेरा कौन है, पथ जो मुझे बताय !!
(रचयिता : ब्रह्मलीन , गुरुदेव श्री स्वामी सत्यानंदजी महराज)
प्रियजन अब पिताश्री के श्रीचरणों की वन्दना में एक पद
तेरे चरणों में प्यारे ऐ पिता मुझे ऐसा दृढ बिस्वास हो
कि मन में मेरे सदा आसरा तेरी दया व मैहर की आस हो.
"Beloved Father Bless me with an unfaltering FAITH in your GRACE
so that I always depend upon your kindness."
चढ़ आये जो कभी दुःख की घटा या पाप करम की होये तपन
तेरा नाम रहे मेरे मन बसा ,तेरी दया व मेहर की आस हो.
तेरे चरणों में प्यारे ऐ पिता -----------------------
"If clouds of misery compel me to adopt unholy practices .
O my Beloved Father
May I be reminded to remember your name inviting your GRACE"
यह काम जो हमने है सर लिया करें मिल के ह्म तेरे बाल सब,
तेरा हाथ जो ह्म पर रहे सदा तेरी दया व मैहर की आस हो.
तेरे चरणों में प्यारे ऐ पिता -------------------
"We-Your loving children be enabled to carry out the jobs assigned to us,
as a team, and your BLESSINGS be always available to us."
मनसा वाचा कर्मना सब को सुख पहुचाय
अपने मतलब कारने दुक्ख न दे तू काहु
यदि सुख तू नहीं दे सके तो दुःख काहू मत दे
ऎसी रहनी जो रहे सो ही आत्म सुख ले
"May we be enabled to serve, with our heart and soul, the needy,
to make them feel happy. Our acts should not cause pain to any one.
If we are not able to provide the unhappy ones with happiness
we have no right to cause pain to any one.
we have no right to cause pain to any one.
Those who follow this divine principle will be blessed "
(आभार - राधास्वामी सत्संग दयालबाग आगरा )
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(आभार - राधास्वामी सत्संग दयालबाग आगरा )
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निवेदक: व्ही . एन . श्रीवास्तव "भोला"
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