हे प्यारे पिता
तेरे चरण कमलों में शत शत नमन
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तेरे चरणों में प्यारे 'हे पिता' ,मुझे ऐसा दृढ विश्वास हो
कि मन में मेरे सदा आसरा तेरी दया व मेहर की आस हो
[ राधा स्वामी सत्संग - द्यालबाग ]
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आदिकाल से सभी धर्म ग्रंथों में इस सम्पूर्ण सृष्टि के सर्जक , उत्पादक,पालक,-संहांरक सर्वशक्तिमान भगवान को "पिता" क़ह कर पुकारा गया है!
हिन्दू धर्म ग्रन्थों में उन्हें "परमपिता" की संज्ञा दी गयी है ! ईसाई धर्मावलंबी उन्हें अतीव श्रद्धा सहित "होलीफादर" कह कर संबोधित करते हैं !
हमारी "ब्रह्माकुमारी" बहनें उसी परम आनन्द दायक , अतुलित शक्ति प्रदायक , ,ज्योतिर्मय ,शान्तिपुंज को "शिवबाबा" की उपाधि से विभूषित करके ,सर्वशक्तिमान निराकार परब्रह्म परमेश्वर से साधको के साथ पिता और सन्तान सा सम्बन्ध दृढ़ करतीं हैं !
कविश्रेष्ठ श्री प्रताप नारायणजी के समर्पण -भाव से भरी यह पंक्ति कितनी सार्थक है --
कविश्रेष्ठ श्री प्रताप नारायणजी के समर्पण -भाव से भरी यह पंक्ति कितनी सार्थक है --
पितु मात सहायक स्वामी सखा तुम्ही इक नाथ हमारे हो
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उपकारन को कछु अंत नहीं छिन ही छिन जो विस्तारे हो
[ हे पिता ! तुम्हारे उपकार इतने विस्तृत हैं कि उनसे उऋण हो पाना असम्भव है ]
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https://youtu.be/jjd67BJ9X64
निवेदक: व्ही. एन . श्रीवास्तव "भोला"
निवेदक: व्ही. एन . श्रीवास्तव "भोला"
सहयोग : श्रीमती कृष्णा भोला श्रीवास्तव
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