आश्रय
श्री राम दूतं शरणं प्रपद्ये
शैशव में ही अम्मा ने मुझे श्री हनुमान जी के सुपुर्द कर दिया और तब से आज तक वह ही मेरे "परम आश्रय" हैं ! मेरे जीवन के इन ८२ वर्षों में "मारुती नंदन" ने मेरी ,कब किस क्षेत्र में कितनी और कैसी कैसी मदद की उसका लेखा जोखा देना मेरी साधारण मानव बुद्धि के लिए तो असंभव है ही और मुझे तो ऐसा लगता है जैसे ,मेरे "वह",जी हाँ उन "ऊपरवाले" का सुपर कम्प्यूटर भी शायद क्रैश कर गया है !आप पूछोगे , कैसे जाना ?
बताऊं आपको , पिछले तीन दिनों से जहाँ , इधर धरती पर , मेरी खर बुद्धि से कुछ निकल नहीं रहा है , वहीं ऐसा लगता है जैसे ऊपर ब्रह्मलोक के क्षीर सागर में विश्रामरत मेरे प्रेरणा स्रोत , पथप्रदर्शक के 'जी पी एस' का सम्बन्ध भी उनके सेटेलाइट से टूट गया है ! उन्होंने भी पिछले ७२ घंटे से मेरे पास कोई प्रेरणा प्रेषित करने की पेशकश नहीं की !
क्यों चिंता कर रहा हूँ मैं ? जब पतवार हनुमान जी को सौंपी हुई है और उन्हें अपना परम आश्रय मान ही लिया है तब क्यों न सबसे पहले उनका ही सुमिरन करके , उन्हें मनालूं !
मुझे विश्वास है कि श्री हनुमान जी का स्मरण करते ही साधक को बल बुद्धि,यश कीर्ति , निर्भयता, सुदृढ़ता , आरोग्य और वाक्पटुता की प्राप्ति होती है ! मेरे मस्तिष्क में भी श्री हनुमान जी की कृपा से अपने लेख के लिए भाव आ जायेंगे और मैं अपने प्यारेप्रभु का २६ नवम्बर '०८ का आदेश अक्षरशः पालन कर पाउँगा !
जाके गति है हनुमान की
सुमिरत संकट-सोच-विमोचन मूरति मोद- निधान की
अघटित-घटन,सुघट-विघटन,ऎसी विरुदावली नहि आन की
तुलसीदास जी का कथन है कि जिसको एकमात्र हनुमानजी का ही भरोसा है उसकी सारी आशाएं ,आकांक्षाएं और प्रतिज्ञाएँ अविलम्ब पूरी हो जाती हैं ! हनुमानजी की आनंदमयी मूर्ती का स्मरण करते ही सारे संकट कट जाते हैं और सब चिंताएं दूर हो जाती हैं ! हनुमान जी की कृपा दृष्टि सब कल्याणों की खान है और वह जिस पर होती है उसपर सब देवी देवताओं की कृपा निरंतर होती रहती है ! यह सिद्धांत वज्र के समान अटूट है !
बाल्मीकि रामायण के श्री राम ने हनुमान जी के विषय में कहा था कि रावण और बाली के सम्मलित बल का मुकाबला हनुमान जी अकेले ही कर सकते हैं ! पराक्रम,उत्साह, बुद्धि, प्रताप,सुशीलता, मधुरता, गंभीरता, चातुर्य, धैर्य तथा नीति -अनीति का विवेक श्री हनुमान जी से बढ़ कर किसी और में नहीं है !
क्यों न हो ऐसा जब उनके रोम रोम पर साक्षात् श्री राम बिराजे हैं ,उनके अंग प्रत्यंग में , उनके साज सिंगार ,वस्त्राभूषण में सर्वत्र राम ही राम , बस राम ही राम हैं --एक हनुमान जी के दर्शन के साथ साथ कोटि कोटि श्री राम का दर्शन होता है ! चलिए एक पारंपरिक रचना में हम सब श्री हनुमान जी के श्री विग्रह का दर्शन करें -
राम माथ ,मुकुट राम ,राम हिय, नयन राम
राम कान, नासा राम, ठोड़ी राम नाम है
राम कंठ ,कंध राम, राम भुजा बाजूबंद
राम हृदय अलंकार , हार राम नाम है
राम उदर नाभि राम, राम कटी कटी सूत
राम बसन जन्घ राम पैर राम नाम है
राम मन बचन राम राम गदा कटक राम
मारुती के रोम रोम व्यापक राम नाम है
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माननीय चीफ जस्टिस श्री शिवदयाल जी के एक प्रवचन से प्रेरित
निवेदक: व्ही. एन. श्रीवास्तव "भोला"
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5 टिप्पणियां:
बहुत ही सार्थक पोस्ट प्रस्तुत की है आपने .हम सबके पूज्य ''हनुमान जी ''अपार शक्ति के सागर हैं .प्रभु श्री राम के प्रिय भक्त हनुमान जी को हमारा कोटि-कोटि प्रणाम .
आपकी हर पोस्ट ज्ञान का अद्भुत भंडार है.आभार.
आप का लेख बहुत प्रेरणादायक है| धन्यवाद|
बहुत ही सार्थक पोस्ट
प्यार करना माँ से सीखे,
तुम ममता की मूरत ही नही,
सब के दिल का एक टुकड़ा हो,
मैं कहता हूँ माँ ,
तुम हमेशा ऐसी ही रहना
मातृदिवस की शुभकामनाएँ!
"समस हिंदी" ब्लॉग की तरफ से सभी मित्रो को
"मदर्स डे" की बहुत बहुत शुभकामनाये !
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