श्री राम शरणम वयम प्रपद्ये
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मेरे परम प्रिय स्वजन
न जाने किस भावावेग में बहकर मैंने अपने २ जुलाई वाले ब्लॉग [संदेश] " कौनों ठगवा नगरिया लूटल हो" में लिख दिया था कि :
"आज हम लुट गये"
[प्यारे प्रभु को "ठग" कहने की ध्रष्टता नहीं करूँगा ,पर 'ठगे' तों हम गये ही हैं ]
लेकिन
तीन जुलाई के प्रातः ही एक आकस्मिक प्रेरणा ने मेरे अन्तःस्थल से भ्रम-भ्रान्ति की उस भावना को कि " हम लुट गये " हैं पलभर में सदासदा के लिए निष्कासित कर दिया !
प्रियजन ,अचानक मुझे ऐसा लगा जैसे एक जानी पहचानी आवाज़ मेरे कानों में हौले हौले कुछ कह रही है ! वह दिव्य वाणी बड़ी मधुरता से मुझे झकझोर कर उस "लूटपाट" की मिथ्या धारणा को सदा सदा के लिए भुला देने की प्रेरणा दे रही थी ! शब्द स्पष्ट न थे पर भाव कुछ ऐसे थे
मेरे प्यारे ,
ये कैसी बहकी बहकी बात कर रहा है ? तुझे कौन लूट सकता है ? जो जन श्री राम शरण में है उसके घर में कौन सेंध लगा सकता है ?
एक जुलाई को जब तेरे मन में लूटने लुटाने के भाव जगे थे , जब तू "आवागमन - जीवन मरण " की धुनें गुनगुना रहा था "मैं" अपने "तन पिंजड़े'"में बंद था,
तुझ तक पहुंच कर तुझे रोक टोक नहीं सकता था लेकिन
आज मैं स्वतंत्र हूँ सर्वत्र हूँ ,यहाँ वहाँ हर जगह हूँ ! भारत में भी हूँ और
तुझ तक पहुंच कर तुझे रोक टोक नहीं सकता था लेकिन
आज मैं स्वतंत्र हूँ सर्वत्र हूँ ,यहाँ वहाँ हर जगह हूँ ! भारत में भी हूँ और
वहाँ तुम्हारे पास यू एस ए में भी हूँ !
प्यारे
सतत उस "परम" का स्मरण कर !
थोड़ा झुक ,अपना अंतरपट खोल ,अपने ह्रदय में झाँक !
"मैं" मिल जाऊँगा !
अब तुझे यह दुःख न सताएगा कि पिछले चार वर्ष से तू भारत नहीं जा पाया !
श्री राम शरणम के रविवार के सत्संग में शामिल होकर
तू बाबा गुरु को अपनी नवीनतम रचना नहीं सुना पाया !
जरा सोंच बाबा गुरु ने सहसा ही कितनी कृपा कर दी मुझ पर
मुझे इतनी शक्ति दे दी , इतना सक्षम कर दिया कि
श्रीवास्तव जी
अब "मैं" बाबा गुरु के परिवार के एक एक सदस्य के ह्रदय की ,
एक एक धड़कन, साफ़ साफ़ सुन सकता हूँ
आपजी का हृदयास्प्न्दन ,
तू बाबा गुरु को अपनी नवीनतम रचना नहीं सुना पाया !
जरा सोंच बाबा गुरु ने सहसा ही कितनी कृपा कर दी मुझ पर
मुझे इतनी शक्ति दे दी , इतना सक्षम कर दिया कि
श्रीवास्तव जी
अब "मैं" बाबा गुरु के परिवार के एक एक सदस्य के ह्रदय की ,
एक एक धड़कन, साफ़ साफ़ सुन सकता हूँ
आपजी का हृदयास्प्न्दन ,
आपजी के अनकहे शब्द भी मुझे अब स्पष्ट सुनाई दे रहे हैं !
आपजी का प्रत्येक कृत्य मुझे साफ़ साफ़ दृष्टिगोचर हो रहा है !
चिंताएं मेरे हवाले कर अब
आपजी पूर्णतः निश्चिन्त होकर
बाबागुरु द्वारा प्रदर्शित प्रेमाभक्ति मार्ग पर आगे बढते रहें
बाबगुरु का यह चरन दास सतत आपके साथ रहेगा !============================
गुरु बिनु कौन सम्हारे ?
को भव सागर पार उतारे ?
[ अपना यह भजन यहाँ इस कारण लगाया है कि एक साथ एक स्थान पर अपने परिवार के तीनों पूर्वजो के दर्शन स्वयं कर सकूं और आप सब को भी करा सकूँ
प्रियजन
परमपूज्य गुरुदेव श्री विश्वामित्तर जी महाराज को यह भजन बहुत प्रिय लगता था ]
दासानुदास
भोला
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इस भजन की शब्दावली आपको श्रीराम शरणम की वेब साईट पर मिल जायेगी !
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निवेदक : व्ही. एन. श्रीवास्तव "भोला"
सहयोग : श्रीमती कृष्णा भोला श्रीवास्तव
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को भव सागर पार उतारे ?
[ अपना यह भजन यहाँ इस कारण लगाया है कि एक साथ एक स्थान पर अपने परिवार के तीनों पूर्वजो के दर्शन स्वयं कर सकूं और आप सब को भी करा सकूँ
प्रियजन
परमपूज्य गुरुदेव श्री विश्वामित्तर जी महाराज को यह भजन बहुत प्रिय लगता था ]
दासानुदास
भोला
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इस भजन की शब्दावली आपको श्रीराम शरणम की वेब साईट पर मिल जायेगी !
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निवेदक : व्ही. एन. श्रीवास्तव "भोला"
सहयोग : श्रीमती कृष्णा भोला श्रीवास्तव
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