सिया राम के अतिशय प्यारे,
अंजनिसुत मारुति दुलारे,
श्री हनुमान जी महाराज
के दासानुदास
श्री राम परिवार द्वारा
पिछले अर्ध शतक से अनवरत प्रस्तुत यह

हनुमान चालीसा

बार बार सुनिए, साथ में गाइए ,
हनुमत कृपा पाइए .

आत्म-कहानी की अनुक्रमणिका

आत्म कहानी - प्रकरण संकेत

सोमवार, 23 मई 2011

"मैं लिखता हूँ वही कथा जो मेरे "प्रभु" लिखवाते हैं" # 3 7 0

गतांक से आगे:

आप सोच रहे होंगे कि "प्यारेप्रभु"  की अहेतुकी कृपा की बातें बताते बताते मैं कहाँ भटक जाता हूँ  ! आप यह तो जानते ही हैं कि मैं केवल वही लिख पाता हूँ जो मेरे  प्यारे "प्रभु" मुझसे लिखवाते हैं और सदा ही मेरी अप्रासंगिक लगने वाली कहानियां अंत में प्रभु की "कृपा कथा"  बन जाती है ! इसलिए यदि आपको कभी मैं कृपा प्रसंग से भटका हुआ लगूँ तो प्लीज़ नाराज़ न होना ! मुझे अकेला न छोड़ देना ! थोड़ी देर और आप मेरे साथ चलते  रहना ! प्रसंग के अंत में आप को यकीन हो जाएगा कि उस अप्रासंगिक लगने वाले अंश  के अंत में कैसे मुझे मेरे प्यारे प्रभु की महती कृपा का साक्षात् दर्शन होता है  !

तो उस विलक्षण इंटरव्यू की कथा थोड़ी देर और झेल लीजिये ! अंत में कृपा प्रसाद अवश्य पा जाइयेगा ! हाँ तो दहेज में "कार" मिलने और कन्या के बड़े भाई की राजनीतिक दबंगई का सम्पूर्ण लाभ मिलने की पूरी आशा मेरे नौजवान मन में घर कर गयी ! मुझे  देवीजी की बातों से यह विश्वास हो गया की उनके बड़े भाई के धक्के से मैं केंद्र के सिविल सर्विस में स्पेशल पोलिटिकल सफरर कोटा से हो रहे रिक्रूटमेंट में I A S / I P S नहीं तो कम से कम अपने प्रदेश का P C S तो बन ही जाउंगा ! कार और जॉब की लालच मुझे मजबूर कर रही थी कि मैं बिना किसी शर्त के वह प्रोपोज़ल मंजूर कर लूं और उन अति आधुनिक विचारोंवाली वीरांगना के  साथ विवाह के लिए राजी हो जाऊं ! 

और वैसा हो भी गया ! "लालच बुरी बला है"  बचपन से सुनता आया हूँ , फिर भी उस  बला से अपने आप को नहीं बचा पाया ! मैंने  "हाँ" कह दिया ! अम्मा -बाबूजी को मुझसे ज्यादा  उस "बिना बाप की बिटिया" की चिंता थी !  दोनों अपने इस जीवन के पुण्यों के खाते  में एक अनाथ बच्ची के उद्धार का यह पुण्य जुडवाना चाहते थे ! 

चलते चलते बाबूजी ने कन्या से कहा " बेटा! अपने भैया से कहना एक बार कभी हमसे मिल लें ! Don't get disturbed ,बेटा कोई लेन देन की बात नहीं है ! हमारी इच्छा है कि  शादी से पहले दोनों परिवार एक दूसरे से मिललें ! मैं समझता हूँ कि उन्हें भी कम से कम एक बार तो ये घर  द्वार देख लेना चाहिए जहाँ उनकी बहन बहू बन कर आने वाली है !"  कुछ उदासी के साथ  उसने हामी भरी और अम्मा बाबूजी को नमस्कार करके यह कहते हुए कि "भैया को क्लब  जाने के लिए गाड़ी चाहिए", सोफे से उठ गयी ! बाबूजी ने आदेश दिया " बेटा इन्हें गाड़ी तक पहुंचा आओ "! 

उन्हें छोड़ने नीचे तक गया ! उस जमाने में सबके सामने , लड़के लडकियां  हेंड शेक नहीं    करते थे ! गज दो गज की दूरी से दुआ सलाम हो जाता था ! वही हुआ ! लेकिन लोगों से नजर बचा कर मैंने हाथ फेर ही लिया उनकी सुंदर सुपर डीलक्स शेवी कार पर ! गढ़वाली शोफर को भाभी ने चाय शाय पिलवा दी थी ! काफी प्रसन्न लग रहा था ! ज़ोरदार सलाम किया उसने मुझे और फिर इंजिन स्टार्ट कर दिया !

गाड़ी गई और वो भी गई और उनके  पीछे पीछे मेरा दीवाना मन भी दौड़ लगाने लगा ! खुली आँखों से मैं स्वप्न लोक में पहुंच गया ! उन दिनों मुकेश जी का अंदाज़ फिल्म का एक गीत बहुत मशहूर हुआ था बरबस मैं वही गुनगुनाने लगा : 

हम आज कहीं दिल खो बैठे , यूं समझो किसी के हो बैठे
हरदम जो कोई पास आने लगा ,  भेद उल्फत के समझाने लगा.
नजरों से  नजर का  टकराना ,  था  दिल के लिए इक अफ़साना 
हम दिल की नैया  डुबो बैठे  , यूं समझो किसी के हो बैठे   

दो दो सुंदरियाँ मेंरा दिल हथिया कर मुझे अकेला छोड़ कर चली जा रहीं थीं ! मुझे यकीन है मेरे नौजवान पाठक मुझ बेचारे २० वर्षीय भोला के मन की तत्कालीन व्यथा का अंदाज़ अवश्य लगा लेंगे ! धीरे धीरे गरमी की छुटियाँ खत्म होने को आईं ! हमारा रिजल्ट नहीं आया था ! लोगों ने राय दी कि बनारस कौन दूर है मैं वहीं जा कर रिजल्ट देखूँ और आगे  M.TECH की पढाई के लिए वहीं एडमिशन फॉर्म भर कर सबमिट कर दूँ !  

बनारस पहुंच कर सबसे पहले हनुमान जी के दर्शन करने संकटमोचन मन्दिर गया ! मन से  हनुमान चालीसा का पाठ किया और स्वभावानुसार प्रार्थना में केवल उनकी कृपा दृष्टि  की फरमाइश की --"आपकी कृपा से मेरे जीवन में सब वैसा ही हो जैसी आपकी इच्छा हो क्योंकि मुझे विश्वास है कि उसमे ही मेरा कल्याण निहित है " 

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क्रमशः 
निवेदक:  व्ही . एन . श्रीवास्तव "भोला"
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