ये भजन १९६३-६५ के लंदन प्रवास के दौरान लिख और टेप कर के घरवालों को इंडिया भेजा था।
कुछ शब्द फेर बदल के, इसका संशोधित रूप अंतरध्वनि में छापा गया था।
लीजिए, अब आप भी इसे सुनिए ।
मेरा राम, सब दुखियों का सहारा है ...
उसके पास वो दौड़ के जाता,
आरत जन जो उसे बुलाता,
गीध अजामिल गज गणिका को,
उसने पार उतारा है, उतारा है,
मेरा राम, सब दुखियों का सहारा है ...
देश-विदेश जहाँ जो रहता,
प्रभु सबकी ही रक्षा करता,
सब प्राणी हैं उसको प्यारे,
वो सबका रखवारा है, रखवारा है,
मेरा राम, सब दुखियों का सहारा है ...
सब पे कृपा की वर्षा करता,
दुखियों के सारे दुख हरता,
सब पापों को पावन करता,
केवल राम हमारा है, हमारा है,
मेरा राम, सब दुखियों का सहारा है ...
मेरी भी नैया पार करेगा,
मेरे सारे कष्ट हरेगा,
हम सब को वो प्यार करेगा,
यह विश्वास हमारा है, हमारा है,
मेरा राम, सब दुखियों का सहारा है ...
- व्ही. एन. श्रीवास्तव
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