सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।
जगदंबिके जय जय जगजननी माँ
क्या मनहर नाम सुहाया है
वारूँ सब कुछ माँ चरणों पर
मेरे मन को ये भाया है
जगदंबिके जय जय जगजननी माँ
जय माँ .....जय माँ .. जय माँ .....जय माँ ..
जगदंबिके जय जय जगजननी माँ
श्रीराम तू ही श्रीकृष्ण तू ही
दुर्गा काली श्रीराधा तू
हे माँ हे माँ
ब्रह्मा विष्णु शिवशंकर में
तेरा ही तेज समाया है
जगदंबिके जय जय जगजननी माँ
जय माँ .....जय माँ .. जय माँ .....जय माँ ..
जगदंबिके जय जय जगजननी माँ
मैं जो पाऊँ तुझसे पाऊँ
जो देवे उसमें हरषाऊँ
कुछ रहे न मेरा अपनापन
मैंने सर्वस्व चढ़ाया है
जगदंबिके जय जय जगजननी माँ
जय माँ .....जय माँ .. जय माँ .....जय माँ ..
जगदंबिके जय जय जगजननी माँ
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हरि ओम शरण जी का परम लोकप्रिय भजन,
जगदम्बिके जय जय जग जननी माँ,
जगदम्बिके जय जय जग जननी माँ,
मेरे एवं भोला परिवार के समवेत स्वरों में ।
निवेदक: व्ही एन श्रीवास्तव 'भोला'
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