वह विशेष दिन
यहाँ का - २७ अगस्त -और- भारत का- २८ अगस्त १९७६
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आप जानते ही हैं कि उन दिनो मैं साउथ अमेरिका के एक छोटे से देश गयाना के नगर - "न्यू एम्स्टर्डम" में था ! प्रोजेक्ट साईट से लौट कर उस शाम मुझे नगर के मेयर द्वारा आयोजित स्वागत समारोह में जाना था ! वह समारोह ,उस नगर के सबसे समृद्ध ब्यापारी ,"जैकसन्स" की सागर तट की कोठी में होने को था !
मैं कल्पना कर रहा था कि मिस्टर जैकसन , गयाना में यूरोपीय मूल के गोरे नागरिक होंगे जिनका कोई बड़ा बिजनेस हाउस होगा "बुकर्स" या "व्हाईट वेज" जैसा ! लेकिन उनकी कोठी के निकट पहुचते ही मेरी समझ में आ गया कि वह किसी यूरोपियन की कोठी नहीं थी ! दूर से ही ,कोठी के अंदर काफी ऊंचाई पर लहराते हनुमान जी के महाबीरी लाल झंडे को देख कर मुझे विश्वास हो गया कि वह कोठी किसी भारतीय मूल के गाय्नीज़ की है ! मेयर ने बाद में बताया कि कोमरेड (उस देश में उन दिनों "मिस्टर" की जगह "कोमरेड" संबोधन किया जाता था ) जैकसन का वास्तविक नाम था "जयकिशन", जिसका अंग्रेजीकरण होकर "जैकसन" बन गया था !
मेरा कोऑर्डनेटर "इअन" मुझे कोठी के हॉल में ले आया ! आगे बढ़ कर कोठी के मालिक श्री जैक्सन और नगर के मेयर ने मेरा स्वागत किया तथा अन्य अतिथिगण से मिलाया ! कोठी की अनूठी सजावट देख कर मैं आश्चर्य चकित था ! हॉल का प्रत्येक पर्दा , प्रत्येक सोफा और चेअर तथा टेबल कवर सफेद रंग का था ! मेजों पर सफेद गुल्दस्तों में सफेद रंग के ही फूल लगे थे !
साथ के छोटे लाउंज में बैठी थीं घर की स्त्रियां तथा कुछ अन्य प्रतिष्ठित भारतीयों की फेमिलीज ! श्री जेक्सन उनसे मिलाने के लिए मुझे भीतर ले गए ! घुसते ही मुझे ऐसा लगा जैसे मैं किसी मंदिर में आ गया ! वहाँ उस कमरे में मंदिरों के समान धूप - अगरबत्ती तथा देशी घी के दीपक की सुगंधि फैली थी ! एक अनोखा ही माहौल था उस कमरे का ! कमरे के कोने में छोटी सी मेज़ पर एक बडे से फ्रेम में किसी देवता का चित्र पूरी श्रद्धा के साथ सजा कर रखा था ! सफेद फूलों की एक बड़ी सी माला उस चित्र पर पड़ी थी और चित्र की ओर मुंह कर के सफेद कपड़ों में लिपटी शायद कोई महिला बैठीं थीं जिसके कारण मैं देख न सका कि वह चित्र किस देवता का है !
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शेष अगले अंकों में
निवेदक : व्ही . एन. श्रीवास्तव "भोला"
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