बुधवार, 11 जून 2025
गुरुवार, 15 मई 2025
जानकी जी के प्राकट्य उत्सव पर बधाई
शनिवार, 19 अप्रैल 2025
मेरा राम सब दुखियों का सहारा है - व्ही. एन. श्रीवास्तव
सोमवार, 14 अप्रैल 2025
मेरे रोम रोम श्री राम विराजे - व्ही. एन. श्रीवास्तव 'भोला'
शनिवार, 12 अप्रैल 2025
अंजनिसुत हे पवनदुलारे - व्ही. एन. श्रीवास्तव "भोला"
हनुमान जयंती के उपलक्ष्य में सुनिए हनुमान वंदना - अंजनिसुत हे पवनदुलारे
गुरु भजन प्लेलिस्ट - व्ही. एन. श्रीवास्तव 'भोला'
आप भी इस अवसर पर गुरु आज्ञा एवं गुरु कृपा पर लिखे और गाए
मेरे भजनों को निम्न प्लेलिस्ट से सुनिए एवं आनंद उठाइए ।
सोमवार, 7 अप्रैल 2025
जगदंबिके जय जय जगजननी माँ - व्ही. एन. श्रीवास्तव 'भोला'
जगदम्बिके जय जय जग जननी माँ,
मेरे एवं भोला परिवार के समवेत स्वरों में ।
रविवार, 6 अप्रैल 2025
श्री राम नवमी की बहुत बहुत बधाई
श्री राम नवमी के पावन अवसर पर सब को बहुत बहुत बधाई ।
इस अवसर पर हमारे १९७३ में बने एल पी सेट 'श्री राम गीत गुंजन' के ये बधाई गीत सुनिए ।
शनिवार, 5 अप्रैल 2025
राधे राधे, श्याम मिला दे
राधा अष्टमी के पावन अवसर पर सबको बहुत बहुत शुभकामनाएं।
सुनिए, डॉ. श्रीमती प्रेमलता पालीवाल के स्वर में, श्री श्री माँ आनंदमयी के वृंदावन आश्रम में 1978 में गायी हुई, हृदय को आनंदित करती हुई यह धुन - राधे राधे, श्याम मिला दे ।
शुक्रवार, 4 अप्रैल 2025
नमामि अम्बे दीन वत्सले - भोला परिवार
ये भजन,
भोला परिवार के समवेत स्वरों में।
नमामि अम्बे दीन वत्सले,
तुम्हे बिठाऊँ हृदय सिंहासन,
तुम्हे पिन्हाऊँ भक्ति पादुका,
नमामि अम्बे भवानि अम्बे ..
श्रद्धा के तुम्हे फूल चढ़ाऊँ,
श्वासों की जयमाल पहनाऊँ,
दया करो अम्बिके भवानी,
नमामि अम्बे भवानि अम्बे ..
बसो हृदय में हे कल्याणी,
सर्व मंगल मांगल्य भवानी,
दया करो अम्बिके भवानी,
नमामि अम्बे भवानि अम्बे ..
प्राण भरो प्राण भरो प्राण भरो
जगदंबिके
शत शत शत शरदाम्बिके
जगदंबिके
सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।
नारायणि नमोऽस्तुते।
बुधवार, 2 अप्रैल 2025
सर्वमंगल मांगल्ये - व्ही. एन. श्रीवास्तव 'भोला'
मंगलवार, 1 अप्रैल 2025
मैया, मुझे दर्शन दो - व्ही. एन. श्रीवास्तव 'भोला'
सोमवार, 31 मार्च 2025
रविवार, 23 मार्च 2025
मंगलवार, 11 मार्च 2025
शनिवार, 8 मार्च 2025
मंगलवार, 25 फ़रवरी 2025
जय शिवशंकर त्रिपुरारी
शिव शंकर समर्थ,सर्वग्य,,सर्व कलाओं और सर्व गुणों के आगार हैं ,योग ,ज्ञान और ,वैराग्यकेभण्डार हैं ! वे कल्याणस्वरूप हैं,करुणानिधि हैं ,भक्तवत्सल हैं ,कल्पतरु की भांति शरणागत को वरदान देने वाले देव हैं !
हमारे ऋषि मुनियों ने साक्षात्कार के अनुभूत तथ्यों के आधार पर"ओंकार" के मूल विभु व्यापक तुरीय शिव के निराकार ब्रह्म स्वरूप को साकार स्वरूप दे कर उसे अलौकिक वेशभूषा से सुसज्जित किया है ! उनके शरीर को भस्म से विभूषित किया है , गले में सर्प और रुंड मुंड की माला डाली है , जटाजूट में पतित पावनी "गंगधारा" को विश्राम दिया है , भाल को दूज के चाँद से अलंकृत किया है , एक हाथ में डम डम डमरू तो दूसरे हाथ त्रिशूल दिया है 1
जय शिवशंकर त्रिपुरारी !
जय जय भोले भंडारी ! जय आशुतोश कामारी !!
सर्व- कष्ट -निवारक - "महामृत्युंजय मंत्र"
ओम त्रियम्बकम यजामहे सुगंधिम पुष्टि वर्धनम
उर्वारुकमिव बंधनान मृत्युर मुक्षीय माम्रतात !!
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LINK
+https://youtu.be/ZavOzVsM1XM