शनिवार, 1 अक्टूबर 2011

दैनिक प्रार्थना (सोमवार)

गृहस्थ संत "शिवदयाल जी" की पुण्य तिथि


ब्रह्मलीन गृहस्थ संत
(मेरी धर्मपत्नी कृष्णा जी के बड़े भाई)
माननीय शिवदयाल जी श्रीवास्तव
भूतपूर्व चीफ जस्टिस (म .प्र . हाईकोर्ट ) की पुण्य तिथि पर ,
उनके द्वारा
श्रीमद भगवद गीता एवं रामचरित मानस से "उत्थान पथ" में संकलित
''उन्नति'' के मार्ग" तथा 'परम धर्म' के अमूल्य सूत्र


[11.jpg]


श्रीकृष्ण ने गीता के उपरोक्त सूत्रों में अर्जुन से कहा था:
.
"मानव स्वयम ही अपना शत्रु है और स्वयम अपना मित्र भी है ! वह स्वयम ही अपना उद्धार कर सकता है ! अपने आपको जान लेने वाला व्यक्ति स्वयम अपना बन्धु है और वह जो अपने को नहीं जानता वह अपना ही शत्रु है ! व्यक्ति का अधिकार केवल अपने कर्म करने तक है ,फल पर उसका अधिकार नहीं है अस्तु फल की इच्छा त्याग कर कर्म करते रहिये ! कर्म फल की वासना त्याग कर ,योग में स्थित हो कर , सिद्धि और असिद्धि में समभाव रख कर , अपने कर्म करिये ! आपके सभी व्यवहार परिमित हों ! आपका सोना, जागना तथा आपके आहार विहार सभी उचित मात्रा में हो ! भोजन के जो पदार्थ आयु , बल, सुख, प्रीति, सात्विक बुद्धि, तथा स्वास्थ्य प्रदान करे वैसे रसमय भोज्य पदार्थ ही खायें ! शूरवीरता और तेजस्वीता के साथ धीरज से युद्ध करते रहना क्षत्रियों का "धर्म" है एवं स्वामी भाव में स्थिर रह कर "प्रजापालन" करना तथा "दान" देना ही क्षत्रीय "कर्म" है ! ऐसे उन्नति के मार्ग पर चलने वालो का मानव जीवन सफल समझिए !


==========================================

अब "मानस" से अपनाये "परम धर्म" के कुछ सूत्र :

सत्य के समान कोई धर्म नहीं है और "अहिंसा" ही "परम धर्म" है ! "परनिंदा" करना सबसे नीच कर्म है ! परहित वह ऊंचा धर्म है जिसके आचरण से मानव के लिए कुछ भी अप्राप्य नहीं रहता ! दूसरों को पीड़ा देने के समान कोई नीच कर्म नही है ! साधू पुरुष , वह है , जो "कपास" के समान नाना प्रकार के कष्ट झेल कर भी दूसरों के दुर्गुणों को ढंकता है ! सर्व विदित है कि वस्त्रों में रूपांतरित होने से पहले "कपास" को कितनी कष्टप्रद स्थितियों से गुजरना पडता है ! कपास को मशीनों में धुना जाता है, काता जाता है, बुना जाता है रंगा जाता है और इतने दुःख सह कर भी वह अपना स्वधर्म निभाता है ! वह दूसरों की गोपनीयता को गोपनीय रखने में उनकी मदद करता है ! ( The beautiful but odourless , "Cotton" flower is subjected to various painful mechanical and chemical processing like Carding, Spinning , Weaving , Dyeing and Bleaching etc. BUT ignoring all these pains , Cotton Clothes COVER such parts of human body which need no exposure .) दूसरों के दोष जान कर उसकी चर्चा करने के समान कोई अन्य "अघ"अर्थात दुष्कर्म नहीं है और "दया" करना सबसे ऊंचा पुण्य कर्म ( धर्म ) है !

प्रियजन , मैं तो नवरात्रि के बहाने मानस के दोहे चौपाइयां गाने जा रहा हूँ , यदि आप भी मेरे साथ गाते तो कितना अच्छा लगता ? नीचे ऐरो पर क्लिक कर के बजा लीजिए , मानस की शब्दावली वीडियो के नीचे दी है :






RAMAYANA


तुलसी ने मानस में तथा श्रीमद भागवत गीता में योगेश्वर श्रीकृष्ण ने जिस प्रकार मानवता का परिचय सरल तम व्यावहारिक जीवन दर्शन से करवाया है उसी प्रकार हमारे पूज्यनीय बाबू  ( शिवदयाल जी ) ने हमारे पूरे राम परिवार का मार्ग दर्शन करके हमारे सर्वांगी विकास का मार्ग प्रशस्त कर दिया ! मेरे जैसे कंकड़ को , लोह बुद्धि व्यक्ति को उन्होने अपने पारस मणि के समान स्पर्श करके क्या से क्या बना दिया !

दैनिक प्रार्थना का क्रम नव रात्रि भर चालू रहेगा ! प्रति दिन मैं मानस के अंश गा कर आपको सुनाऊंगा आप भी मेरे साथ गायेंगे तो अच्छा लगेगा मुझे और मेरे "प्यारे इष्ट" को भी !

======================
निवेदक: व्ही. एन. श्रीवास्तव "भोला"
सहयोग: श्रीमती कृष्णाजी ,श्रीदेवी ,प्रार्थना तथा माधव जी
=====================

2 टिप्‍पणियां:

Anil ने कहा…

आदरनीय फूफा जी ,
सदर चरण स्पर्ष! जय सीता राम !
आज बाबूजी द्वारा संकलित उत्थान्पथ पर आपकी व्याख्या पड़कर बाबूजी की बहुत याद आ रही है. आपने बाबूजी के बारे में बहुत ही सटीक लिखा है - तुलसी ने मानस में तथा श्रीमद भागवत गीता में योगेश्वर श्रीकृष्ण ने जिस प्रकार मानवता का परिचय सरल तम व्यावहारिक जीवन दर्शन से करवाया है उसी प्रकार हमारे पूज्यनीय बाबू ( शिवदयाल जी ) ने हमारे पूरे राम परिवार का मार्ग दर्शन करके हमारे सर्वांगी विकास का मार्ग प्रशस्त कर दिया - बुआ जी को व आप को सदर प्रणाम - अनिल

bhola.krishna@gmail .com ने कहा…

प्रियवर अनिल बेटे , राम राम
सप्ताह भर उत्थान पथ के पाठ द्वारा पूज्यनीय बाबू को श्रद्धांजली अर्पित करने का प्रयास किया है हम् दोनों नें ! हमारे इस जीवन का सबसे बड़ा लाभ हमे बाबू के सत्संग द्वारा मिला ,बेटा शब्दों में उसके लिए आभार नहीं व्यक्त किया जा सकता ! पूज्य. बाबू द्वारा निर्मित लीक पर चलने की शक्ति मिलती रहे प्रभु की कृपा से , हमारी तो अब बस यही प्रार्थना है !

उस सप्ताह भर के आलेखों को आप सीधे "ब्लॉग" पर जाकर पढ सकते हैं ,और माधव - प्रार्थना द्वारा बोले "गीता " के अंश और मेरे द्वारा गाये "मानस" के अंशों को भी सुन सकते हैं !"यूट्यूब" में भी सीधे सुन सकते हैं , भोला कृष्णा चेनेल पर ," मानस से - "परम धर्म" ,"मानस से सद नीति "," सदाचार " ,"विजय रथ" आदि के नाम से खोज कर !
कृष्णा बुआ भोला फूफा जी