पुत्र -पुत्री ,पौत्र-पौत्रियों सदृश्य,दिव्य आत्माओं के धनी
मेरे अतिशय प्रिय पाठकगण
राजेश जी , गोरख शाव जी, दिव्या जी , शालिनी जी, शिखा जी ,संगीता जी , डी विलेज वाले ,तथा स्मार्ट इंडियन जी और सभी जिन्होंने मेरे इस ब्लॉग लेखन में समय समय पर मुझे प्रोत्साहित किया है ! प्रियजन ,मैं समझ नहीं पा रहां हूँ कि ----
मैं किस किसको धन्यवाद दूं ?
किन किन का आभार जताऊँ ?
प्रिय पाठकगण तुम्ही कहो मैं भला उरिण कैसे हो पाऊँ
मुद्राएँ सारी "उसकी" है , किस मुद्रा में मोल चुकाऊँ ?
मैं किस किसको धन्यवाद दूं ? किन किन का आभार जताऊँ ?
जीवन भर, "वह" बिन मांगे ही, देता रहा, मुझे जो प्रिय था
"उसके" आगे किस मुख से मैं भिक्षा की झोली फैलाऊँ ?
मैं किस किसको धन्यवाद दूं ? किन किन का आभार जताऊँ ?
पाठकगण मेरे हाथों से, जो कुछ भी, "उसने" लिखवाया
वही लिखा, अक्षरशः मैंने, आज आपके, मन जो भाया !
"उनको"ही हम धन्यवाद दें "उनका" ही आभार जताएं
द्वार प्रभू का त्याग बताओ कहाँ और हम मानव जाएँ ?
"भोला"
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प्रियजन !
"श्री राम शरणम", लाजपत नगर , नयी दिल्ली के ब्रह्मलीन स्वामीसत्यानंदजी महाराज के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी , हम दोनों के ही गुरुदेव (एक ऐसे संन्यासी जो अपने को स्वामी नहीं कहलाना चाहते ), हमारे श्रुद्धेय डो. विश्वामित्र जी महाजन आजकल U S A में हैं ! हम दोनों उनके दर्शन तथा "अर्श विद्या गुरूकुलम" में आयोजित साधना सत्संग में भाग लेने के लिए , कल यहाँ से ५०० मील दूर , सेलर्स्बर्ग (P A) जा रहे हैं ! सत्संग से सन्देश प्रेषित करना वर्जित है ! लेकिन आपको हमारा सन्देश किसी न किसी रूप में मिलता रहेगा !आपके शुभ सन्देश हमे इसी प्रकार प्रोत्साहित करते रहें और मैं आजीवन "उनके" निदेशों का पालन करते हुए " प्रभु प्रेम भक्ति योग" के प्रसारण में इस जीवन के शेष दिवस बिता सकूँ , मेरी तो आज "उनके" श्री चरणों में एक यही प्रार्थना है !
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निवेदक: व्ही. एन. श्रीवास्तव "भोला"
एवं श्रीमती डॉक्टर कृष्णा श्रीवास्तव M.A,,Ph.D
78, Clinton Road , Brookline MA 02445 (off BOSTON) USA
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