रविवार, 17 अप्रैल 2011

अतुलित बल धामं हेम शैलाभ देहं # 3 4 6

अतुलित-बल-धामम् हेम-शैलाभ-देहं


युगों युगों से असंख्य विश्वासी आस्तिकों को अपनी कृपा दृष्टि से अनुग्रहित कर उन्हें सभी दैहिक, दैविक भौतिक तापों से मुक्ति प्रदान करवाने वाले संकट मोचन, दुःख भंजन , "श्री हनुमान जी" को गोस्वामी तुलसीदास ने "राम चरित मानस " के बालकाण्ड के वन्दना प्रकरण में "महावीर" नाम से संबोधित किया है I

" महाबीर बिनवउँ हनुमाना "

उन्होंने श्री हनुमान जी की वन्दना में कहा है कि मैं उस "महावीर हनुमान" की वंदना करता हूँ जिस की यशगाथा का गायन स्वयं मर्यादा- पुरुषोत्तम श्री राम चन्द्र जी ने अनेकों बार किया है -

"राम जासु जस आप बखाना "

सुंदर काण्ड के आरंभिक श्लोकों में तुलसी ने स्पष्ट शब्दों में हनुमान जी के , उन गुणों का उल्लेख किया है जिन के कारण वह एक साधारण कपि से इतने पूजनीय हो गये.

अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं
दनुजबनकृशानुम , ग्यानिनामअग्रगण्यं
सकल गुण निधानं वानरानामधीशं
रघुपति प्रिय भक्तं वातजातं नमामि

तुलसी ने कहा "अतुलित बल के धाम, स्वर्ण के समान कान्तियुक्त कायावाले , दैत्यों के संहारक (दैत्य वन के लिए दावानल के समान विध्वंसक ), ज्ञानियों में सर्वोपरि , सभी श्रेठ गुणों से युक्त समस्त वानर समुदाय के अधीक्षक और श्री रघुनाथ जी के अतिशय प्रिय भक्त महावीर हनुमान को मैं प्रणाम करता हूँ".

अन्यत्र भी उनके स्थूल रूप की व्याख्या करते हुए तुलसी ने कहा कि हनुमान जी देखने में कपि - एक अति चंचल पशु हैं, उछलते कूदते वृक्षों की एक शाखा से दूसरी शाखा पर सुगमता से जा सकते है और मानस के उत्तर -काण्ड में हनुमानजी ने स्वयं ही अपना परिचय देते हुए भरत जी से स्पष्ट कहा कि मैं कपि हूँ !

"मारुत सुत मै कपि हनुमाना, नाम मोर सुनु कृपा निधाना "

सराहनीय है हमारे इष्टदेव

“महावीर विक्रमबजरंगी, कुमति निवार सुमति के संगी"

कपि-तन-धारी हनुमान जी का यह "विनय" और उनकी यह "नम्रता"!

श्री हनुमान जी के सभी गुण अनुकरणीय हैं ! लेकिन इनमे सर्वोपरि है उनकी यह अहंकार शून्यता, उनकी अतिशय विनम्रता और उनकी विनय !

आज का मानव जिसका जीवन मूल्य कहीं कहीं पशुता के स्तर से भी बहुत नीचे गिर चुका है, अपना स्वरुप सुधारने के लिए हनुमान जी के इन सद्गुणों को यदि अपनी जीवन शैली में उतार सके तो मानवता का कल्याण हो जाए.!

============================================
इस सन्देश के पीछेवाले ब्लॉग में मेरी बेटी श्री देवी ने मेरी आवाज़ में 
अतुलित बल धामम् का गायन पहले से ही डाल दिया है ! 
कृपया सुनिए और मेरे साथ साथ वह श्लोक गाइए और फिर देखिये 
कितनी कृपा करते हैं संकट मोचन सारी मानवता पर !
====================================

==========================
निवेदक : व्ही. एन. श्रीवास्तव "भोला"
सहयोग : सुश्री श्री देवी कुमार एवं श्रीमती कृष्णा भोला जी
==========================


10 टिप्‍पणियां:

Shalini kaushik ने कहा…

बहुत सुन्दर सन्देश दिया है आपने इस पोस्ट के माध्यम से.आभार.
भोला जी आप इस कमेन्ट में मेरे नाम पर किलिक करके मेरे प्रोफाइल पर पहुँच कर मेरे ब्लोग्स पर पहुँच सकते हैं .

Chaitanyaa Sharma ने कहा…

बहुत सुंदर ....हनुमान जयंती की शुभकामनायें ....जय बजरंग बली

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

श्री हनुमान जी के सभी गुण अनुकरणीय हैं ! लेकिन इनमे सर्वोपरी है उनकी यह अहंकार शून्यता, उनकी अतिशय विनम्रता और उनकी विनय !

आज यही तो नहीं बचा इंसान के पास ...बहुत अच्छी प्रस्तुति ...

Unknown ने कहा…

Ati sundar line

Unknown ने कहा…

Jay ho Bajrang Bali

Unknown ने कहा…

M to dil se BALAJI HANUMANJI ko manta hu or Prem karta hu
Ye Sach me Mhan MhaPrabhu hai

memoryremnant ने कहा…

भगवान की स्तुति से ही मन का विकास होता हैं। हम सब मिल कर सदैव कुछ समय प्रभु वंदना में योजित करे। सादर डॉ कुमार लोकेश, @7505330999

Unknown ने कहा…

Jai shri Ram

Unknown ने कहा…

Jai jai shree ram

Unknown ने कहा…

।।ज श्री राम।।