हनुमत कृपा -अनुभव साधक साधन साधिये
साधन- भजन कीर्तन (२ ८ ९)
श्रीकृष्ण से बिछड़ी गोपिकाओं की करुण पुकार
एक भजन
न जाने कहाँ छिप गया कृष्ण काला!!
अभी तो यहीं था यशोदा का लाला!!
नहीं तन का केवल ,वो मन का भी काला !!
सताता है सबको अकारण अकाला!!
न जाने कहाँ छिप गया कृष्ण काला!
कभी जमुना तट पर,कभी बंसी बट पर!,
हमे वह बुलाता बहाने बनाकर!
पहुंचतीं तुरत ह्म सभी बन संवर कर!
न आता नजर पर कहीं बंसी वाला!
वो नटखट सदा काम करता निराला !!
न जाने कहाँ छिप गया कृष्ण काला!!
कभी दधि चुराता घरों से ह्मारे !
कभी चीर हरता नदी के किनारे !!
कभी राह में कंकरी तक के मारे !
वो नटखट सदा काम करता निराला !
सताता है सबको अकारण अकाला!!
न जाने कहाँ छिप गया कृष्ण काला!!
अभी तो यहीं था यशोदा का लाला !!
भोला
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निवेदक : वही. एन. श्रीवास्तव "भोला"
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