हनुमत् कृपा - अनुभव साधक साधन सधिये
हमारा साधन - भजन # ३ ० २
"गुरु की महिमा":
सद्गुरु हो महाराज मो पे साँयी रंग डारा !!
हमे अचरज तो तब् हुआ जब उन्होने ,"सद्गुरु की महिमा" दरशाते , भारत के प्राचीन ग्रन्थो से संस्कृत भाषा के अनेक श्लोक शास्त्रीय रागो मे गा कर हमे सुनाये ! ये सभी श्लोक उन्हे कण्ठस्थ थे और वह अति दक्षता शुद्धता और मधुरता से उनका उच्चारण कर रहे थे ! हम दोनो शागिर्द मन्त्र मुग्ध हो कर सुनते रहे ! किसी श्लोक का भावार्थ हमे समझाते हुए उन्होने कहा,
उस्ताद ने किस श्लोक के आधार पर हमे ये बताया था हमे नही मालूम !
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शेष अगले संदेश मे
निवेदक : व्ही एन श्रीवास्तव "भोला"
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हमारा साधन - भजन # ३ ० २
"गुरु की महिमा":
सद्गुरु हो महाराज मो पे साँयी रंग डारा !!
कबीर दास जी ने अपने इस पद में "सद्गुरू" को एक जादूगर बताया , एक रन्ग्रेज़ बताया , एक शक्तिशाली कुशल धनुर्धर बताया कबीर दास जी ने ! तब , १९५० के दशक के पूर्वार्ध तक मेरे कोई आध्यात्मिक गुरु नही थे ! सद्गुरु के महत्व को तब तक मैं तनिक भी नही जानता था ! गुलाम मुस्तफ़ा साहेब जो कुछ पल पहिले तक मेरे भाई सदृश्य थे, मेरी कलायी मे गण्डा बान्धने के साथ ही मेरे "संगीत के सदगुरु" बन गये थे ! और उस भजन द्वारा उन्होने हम दोनो नये शागिर्दो को गुरु महिमा का एक स्पष्ट संदेश दिया !
हमे अचरज तो तब् हुआ जब उन्होने ,"सद्गुरु की महिमा" दरशाते , भारत के प्राचीन ग्रन्थो से संस्कृत भाषा के अनेक श्लोक शास्त्रीय रागो मे गा कर हमे सुनाये ! ये सभी श्लोक उन्हे कण्ठस्थ थे और वह अति दक्षता शुद्धता और मधुरता से उनका उच्चारण कर रहे थे ! हम दोनो शागिर्द मन्त्र मुग्ध हो कर सुनते रहे ! किसी श्लोक का भावार्थ हमे समझाते हुए उन्होने कहा,
सद्गुरु वह है जो तुम्हारे भाग्योदय का प्रतीक बन कर तुम्हारे जीवन मे तब आता है जब परमात्मा की असीम अनुकम्पा तुम पर होती है !
सद्गुरु वह है जिसके दर्शनमात्र से मन आनन्दित हो जाता है ! आँखें भर आती है !
सद्गुरु वह है जिसके चरन शरन मे एक बार आजाने के बाद , उनके चरणो पर से अपना मस्तक पल भर को भी हटाने को जी न चाहे !
सद्गुरु वह है जिसके अमृत वचन सुनने से मन कभी नही अघाये , अधिक से अधिक उनकी "अमृतवाणी" सुनते रहने को जी करे !हमारे लिये तब तक सदगुरु को परिभाषित करने वाला ये सारा ज्ञान बिल्कुल नया ही था ! हम तब की परम्परा के अनुरूप गुरु को ब्रह्मा विष्णु महेश माता पिता तो मानते थे पर उनसे इतना प्रेम नही करते थे !
उस्ताद ने किस श्लोक के आधार पर हमे ये बताया था हमे नही मालूम !
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शेष अगले संदेश मे
निवेदक : व्ही एन श्रीवास्तव "भोला"
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