सिया राम के अतिशय प्यारे,
अंजनिसुत मारुति दुलारे,
श्री हनुमान जी महाराज
के दासानुदास
श्री राम परिवार द्वारा
पिछले अर्ध शतक से अनवरत प्रस्तुत यह

हनुमान चालीसा

बार बार सुनिए, साथ में गाइए ,
हनुमत कृपा पाइए .

आत्म-कहानी की अनुक्रमणिका

आत्म कहानी - प्रकरण संकेत

गुरुवार, 27 अक्तूबर 2011

शरणागति - "माँ"

"माँ "
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जीव को मानव के स्वरूप में धरती पर प्रगट होने के नौ दस महीने पहले से ही अपनी कोख में "शरण" देकर हर संकट से उसकी रक्षा करने वाली "माँ" के शरणागत प्रत्येक जीव को होना ही पड़ता है ! इच्छा से अथवा अनिच्छा से "जीवात्माओं " को परमात्मा के अतिरिक्त सर्वप्रथम जिसके शरणागत होना पड़ता है वह है , उसकी "माँ ! अस्तु हमारी प्रथम पूज्य देवी , हमारी जन्मदात्री "माँ" हैं !

देवी स्वरूपा हमारी जननी "माँ"
जिन्होंने हमें सकारात्मक सृजनात्मक कल्याणकारी कर्म करने की प्रेरणा दी !


श्रीमती लालमुखी देवी
(१८९५ - १९६२)
लक्ष्मी पूजन के दिन , सर्व प्रथम ,
"माँ तुम्हे प्रणाम"
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तेरा दर्शन मधु सा मीठा ,वाणी ज्यों कोयल की कूक
सुरति तुम्हारी जब है आती उठती है इस मन में हूक !

तूने मुझे दियाहै जितना मेरी झोली में न समाया,
फिर भी रहा अधिक पाने को मैं आजीवन ही ललचाया !

अब भी तेरी कृपा बरसती है मुझ पर बन अमृत धारा
एक बूंद पीने से जिसके होता जन जन का निस्तारा !

जनम जनम तक तेरे ऋण से उरिण नही हो सकता माता
हर जीवन में ,मा तेरा ऋण उतर उतर दुगुना बढ़ जाता !

माँ तुम्हे प्रणाम
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"माँ " के करोड़ों रूप हैं ! जितने रूप हैं उतने ही नाम !
सृष्टि के हर खंड में, हर युग में , हर संस्कृति में , हर सम्प्रदाय में , हर मत में,
एक "माता श्री" के अलग अलग अनेको नांम हैं !

माँ के करोड़ों नामों में से चुने हुए उनके कुछ सबसे प्रसिद्ध नाम

१. विष्णु मायेति २. चेतना ३. बुद्धि ४. निंद्रा ५. क्षुधा ६. छाया ७. शक्ति ८. तृष्णा ९ . क्षमा १०.लज्जा ११.शांति १२ .श्रद्धा १३. कांति १४. लक्ष्मी १५. वृत्ति १६. स्मृति १७. दया १८. तुष्टि १९. मातृ ,तथा २०. भ्रान्ति आदि

देवी माँ इन्हीं नामों के रूप में हम् भूत प्राणियों में व्याप्त हैं और हर पल हमारी रक्षा करतीं हैं हमार मार्ग दर्शन करतीं हैं हमें दिव्य चिन्मय जीवन जीने की प्रेरणा देतीं हैं !

हमारी पौराणिक कथाओं के बड़े बडे नायक - 'देवतागण',खलनायक-'दानवगण' और छोटे छोटे किरदार निभाने वाले , मेरे जैसे साधारण, ''एक्स्ट्रा एक्टरों' ने भी "मातृभक्ति" से प्रेरित होकर अनेकों बार "मातृत्व" की न केवल भूरि भूरी प्रशंशा की है वरन उन्होंने "मातृशक्ति" का अति श्रद्धासहित नमन और अभिनन्दन भी किया है

माँ की उपासना में सर्वाधिक लोकप्रिय वन्दना

या देवी सर्व भूतेषु "===" रूपेण सन्सथिता
नमस्तस्ये नमस्तस्ये नमस्तस्ये नमो नमः

उपरोक्त श्लोक में "माँ " के उपरोक्त बीस नामों में से एक एक नाम ,इस स्थान "===" पर बोल कर आज भी साधकगण "माँ " की वन्दना करते हैं और उनके श्री चरणों में निज श्रद्धा- सुमन समर्पित करते हैं ;उनके नाम में ही उनकी उपस्थिति महसूस कर के आनंदित होते हैं

अष्ट लक्ष्मी

उपरोक्त २० नामों के अतिरिक्त देश के विभिन्न प्रदेशों में माँ को अनेकों अन्य नामों से भी पूजा जाता है ! दक्षिण भारत में माँ के निम्नांकित आठ नाम अधिक प्रचिलित हैं :

१. आदि लक्ष्मी २. धान्य लक्ष्मी ३ .धैर्य लक्ष्मी ४. गज लक्ष्मी
५. सन्तान लक्ष्मी ६. विजय लक्ष्मी ७. विद्या लक्ष्मी ८. धन लक्ष्मी

माँ के नामों के उच्चारण में ही माँ के भिन्न गुण निहित हैं ! नाम ही उनके मंत्र हैं ! नाम के शब्दार्थ जानने वाले साधक माँ के नामों के ध्यान मात्र से उन गुणों के अधिकारी बन जायेंगे जिनकी उनकी वह नामधारी माँ अधिष्टात्री है !

माँ लक्ष्मी के ८ नामों में से "धन लक्ष्मी" को ही लीजिए : माँ "धन लक्ष्मी" की आराधना से , स्वधर्म समझ कर कर्म करने वाला साधक , निश्चित ही धनोपार्जन करेगा ! इसी प्रकार माँ के अन्य सभी नामों की उपासना करने वाले भी अपने अपने मन वांछित फल पा लेंगे !

क्रमशः
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निवेदक : व्ही. एन. श्रीवास्तव "भोला"
सहयोग: श्रीमती. कृष्णा भोला श्रीवास्तव
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