"हारिये ना हिम्मत बिसारिये ना राम
तू क्यों सोचे बन्दे सबकी सोचे राम."
तू क्यों सोचे बन्दे सबकी सोचे राम."
प्रियजन, गतांक में मैंने इस प्रेरणादायक भजन का उल्लेख किया था. लगभग ७० वर्ष पूर्व , बचपन में राम-मदिर में किसी अनन्य राम भक्त गायक के स्वर में इसे सुना था. तब से अब तक उसे गा रहा हूँ . बार बार यह भजन गाने से अपना 'उन'की कृपा पाने का भरोसा- विश्वास द्रढ़ होता गया. सच मानिये , हमें निराश भी नहीं किया "उन्होंने" . सबकी सोच करने वाले उस परम कृपालु ने हमारी भी पूरी सोच की. उनकी अनन्य कृपा से हमारे दैहिक, भौतिक कष्टों का निवारण तो हुआ ही, साथ साथ अध्यात्मिक स्तर पर हमें अनेक सिद्ध संतो के दर्शन हुए.
चलिए आपको भजन सुना ही दूँ. इस निम्नांकित लिंक पर इस भजन के शब्द पढ़ सकते हैं और उसका सस्वर गायन भी सुन सकते हैं. http://bhajans.ramparivar.com/2008/09/blog-post_7362.html
निवेदक :व्ही. एन. श्रीवास्तव "भोला"
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