अनुभवों का रोजनामचा
हमारा जीवन
मैं बहुत चाह कर भी कल कुछ लिख नहीं पाया ! ऐसा नहीं था कि मेरे पास कुछ कहने को बचा ही नहीं है अथवा जीवन में मुझ पर हुई "उनकी कृपाओं" का खजाना बिलकुल खाली हो गया है और ऐसा भी नहीं है कि हम पर अब "उनकी कृपा"का होना ही बंद हो गया है !वास्तव में कल सारे दिन मन बहुत उद्विग्न रहा , कुछ करने को जी ही नहीं कर रहा था!
आज जैसे ही लिखने बैठा वैसे ही खबर मिली जापान में आये भयंकर सुनामी और भूकम्प की ! अग्नि की भीषण धधकती विकराल ज्वाला एक ओर और दूसरी ओर सुनामी की सर्वाहारी भयानक लहरें !मन विचिलित हो गया ! टी वी के समाचार में मन को दहला देने वाले दश्य देखे ! जलप्रलय की लहरों में लोप होते नगर, जलपोत, बसें , कारें, और रेल गाड़ियाँ देखीं ! असंख्य अनाथ बच्चे देखे ,बिलखते माता पिता और बुज़ुर्ग देखे !
प्राकृतिक आपदाओं से त्रस्त मानव जीवन की क्षणभंगुरता का दर्शन हुआ और मन में भांति भांति के विचार और विभिन्न प्रश्न उठने लगे !
हज़ारों वर्षों पूर्व भारत भूमि पर जन्मे महऋषि वेदव्यास से लेकर आज तक के विश्व के असंख्य मनीषियों ने हमें बताया है कभी कभी प्रभु की यह सृष्टि उनकी ही प्रकृति के प्रकोप से प्रताड़ित होती है और उसका सर्वनाश तक हो जाता है !
आज जैसे ही लिखने बैठा वैसे ही खबर मिली जापान में आये भयंकर सुनामी और भूकम्प की ! अग्नि की भीषण धधकती विकराल ज्वाला एक ओर और दूसरी ओर सुनामी की सर्वाहारी भयानक लहरें !मन विचिलित हो गया ! टी वी के समाचार में मन को दहला देने वाले दश्य देखे ! जलप्रलय की लहरों में लोप होते नगर, जलपोत, बसें , कारें, और रेल गाड़ियाँ देखीं ! असंख्य अनाथ बच्चे देखे ,बिलखते माता पिता और बुज़ुर्ग देखे !
प्राकृतिक आपदाओं से त्रस्त मानव जीवन की क्षणभंगुरता का दर्शन हुआ और मन में भांति भांति के विचार और विभिन्न प्रश्न उठने लगे !
हज़ारों वर्षों पूर्व भारत भूमि पर जन्मे महऋषि वेदव्यास से लेकर आज तक के विश्व के असंख्य मनीषियों ने हमें बताया है कभी कभी प्रभु की यह सृष्टि उनकी ही प्रकृति के प्रकोप से प्रताड़ित होती है और उसका सर्वनाश तक हो जाता है !
हमारी इस सृष्टि का सिरजनहार,पालनहार और जैसा हम भारतवासियों का विश्वास है कि इसका संघार करने वाला भी एक ही है ! मानवता उसे अनेकों नामों से जानती हैं ! कोई उन्हें अल्लाह कोई ईश्वर, कोई होली स्पिरिट या फादर कोई वाहे गुरु,के नाम से पुकारता है ! वह एक ही ,समस्त जीव जगत पर, बिना किसी भेद भाव के, अपनी अहेतुकी " कृपा - वर्षा" अनवरत करता रहता है !
प्रियजन क्यों न आज हम सब ,इस विश्व के सब देशों ,सब जातियों,सब धर्मो ,और सब रंगों के नागरिक एक साथ मिल जुल कर अपने प्यारे प्रभु से प्रार्थना करें कि संसार के सब पीड़ितों की पीड़ा दूर हो और सबको शांति प्राप्त हो !
हे प्रभु दया करो ,सब पर दया करो
हम सब दुखियारे संसारी , आस लगाये नाथ तुम्हारी
कहते हे ,"प्रभु संकट हारी , विपदा आन हरो"
हे प्रभु दया करो ,सब पर दया करो
सुर दुर्लभ मानव तन धारी ,सहते हैं दुःख भारी भारी
डुबा रही है इन्हें सुनामी , "प्रभु उद्धार करो"
हे प्रभु दया करो ,सब पर दया करो
====================================
कम्प्यूटर जी आज फिर हुडदंग मचा रहे हैं ! भूल चूक क्षमा करेंगे ! शेष कल
निवेदक: व्ही. एन. श्रीवास्तव "भोला "
सहयोग : डोक्टर श्रीमती कृष्णा जी
=============================
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें