अनुभवों का रोजनामचा
एक गृहस्थ संत , परम हनुमंत भक्त
"नीम करोली बाबा"
सिद्ध महापुरुषों की दिव्य शक्ति और उनके सामर्थ्य को पहिचान पाना और उसकी सीमा को आंकना हम साधारण जीवधारियों की क्षमता से परे ही नहीं अपितु कल्पना से भी परे है ! ऐसा अद्भुत चमत्कार पहिले कभी सुनने में नहीं आया था जैसा "रेल रोको" आन्दोलन उस नौजवान संत ने एक अकेले अपने बल से कर के दिखा दिया था ! जब यह घटना घटी थी मैं उन दिनों एक ऐसे स्कूल में पढ़ता था जिसके संचालक अपनी धार्मिक कट्टरता के कारण ऎसी घटनाओं की सत्यता स्वीकार करना निरी मूर्खता मानते थे , पर मुझे इसकी सत्यता का पूरा विश्वास था क्योंकि हमारे चाचा जी इस के प्रत्यक्ष दर्शी थे !
कुछ दिनों बाद अखबारों में यह पूरी घटना सविस्तार छपी ! सरकार और रेल कम्पनी के अधिकारियों के बयान भी प्रकाशित हुए ! इसके बाद समस्त विश्व में इस घटना की चर्चा जोर शोर से हुई और अधिक से अधिक लोगों को इस पर विश्वास हुआ !
सरकारी आदेश से उसी स्थान पर जहां उन सिद्ध संत का चिंमटा भूमि में गड़ा था एक नये स्टेशन की " नींव" पड़ी और उस स्टेशन का नाम "नींव करोरी स्टेशन" पड़ा ! यह स्थान पश्चिंमी यू पी के फरुक्खाबाद जिले में है ! यहीं पर उस नौजवान संत ने कुटिया बना कर अपनी किशोर अवस्था में श्री हनुमानजी की आराधना की थी ! कुछ समय बाद वह यहाँ से पुनः अपने गाँव अकबरपुर वापिस आगये जहाँ उन्होंने अपने पिताश्री के आदेश का पालन करते हुए "गार्हस्थ तथा संत जीवन" का एक साथ निर्वहण किया ,अपने समस्त सांसारिक उत्तरदायित्व निभाये ! तदनंतर सन १९५८ में उन्होंने सदा के लिये घर गृहस्थी का परित्याग कर दिया और लोक कल्याण हेतु देश- विदेश का भ्रमण करने निकल पड़े !
बाबा के अनेक नाम थे ! पिताश्री पंडित दुर्गा प्रसाद शर्मा जी द्वारा दिए "लक्ष्मी नारायण" नाम से तो उन्हें बहुत कम लोग जानते हैं ! बाबाने अपने भ्रमण के दौरान विभिन्न स्थानों पर जो अनूठे चमत्कार किये उनके आधार पर भारत के विभिन्न क्षेत्रों तथा विदेशों में उन्हें अनेकों नामों से पुकारा जाने लगा ! उनके ऐसे प्रत्येक नाम से जुड़ी है कोई न कोई चमत्कारिक कथा ! इन नामो में सर्वाधिक लोकप्रिय हैं ,"तलैया बाबा","डंडी बाबा", "चमत्कारी बाबा" "तिकोनिया बाबा" तथा "महाराज जी" और कहीं कहीं पर कुछ लोग उन्हें "लक्ष्मणदास" के नाम से भी जानते हैं ! अवसर मिला और प्रेरणा हुई तो वो कहानियाँ भी सुनाऊंगा !
अपने स्नेही जनों द्वारा दिए गये विभिन्न नामों में से बाबा ने स्वयम जिस नाम को मान्यता दी वह था "बाबा नीब करोरी'! इसका प्रमाण यह है कि जहाँ कहीं भी उन्होंने हस्ताक्षर किये उन्होंने "बाबा नीब करोरी" ही लिखा है ! पाश्चात्य -जगत में वे "बाबा नीब करोरी "और "नीम करोली बाबा" के नाम से ही प्रसिद्ध रहे !
सन १९६० -७० के दशक में बाबा की ख्याति और मान्यता देश की सीमाओं को लांघ कर सात समुन्द्र पार योरप , अमेरिका ,मेक्सिको आदि पाश्चात्य देशों में फैली ! इन देशों के अनेकों प्रतिष्ठित नागरिकों ने बाबा की मंत्रणा से "हनुमत भक्ति " को अपनाया ! उन विदेशी हनुमान भक्तों के "बाबा" के द्वारा दिए नाम हैं , रामदास ,कृष्णदास ,भगवानदास और सगीतज्ञ जय उत्तल तथा सुप्रसिद्ध सिने कलाकार जूलिया रोबर्ट्स आदि ! इन भक्तों ने केवल हनुमत भक्ति ही नहीं की बल्कि इन्होने बाबा को हनुमान का अवतार भी माना ! कुछ निष्ठावान भक्तों ने तो "बाबा" में "श्रीहनुमानजी" के प्रत्यक्ष दर्शन किये !
स्वतंत्र भारत सरकार के तत्कालीन डिफेन्स मिनिस्टर डोक्टर कैलाश नाथ काटजू ने बाबा जी को साक्षात् हनुमानजी की मंगलमूर्ति माना ! काटजू जी को विश्वास हो गया था कि बाबा आठों सिद्धिया प्राप्त कर चुके हैं ! उन्होंने बाबा द्वारा अधिकृत "अणिमा", "प्राप्ति", "महिमा" , "वशित्व" अदि सिद्धियों की चर्चा करते हुए प्रयाग में एक सार्वजनिक सभा में यह घोषणा की थी कि बाबा साक्षात हनुमानजी के अवतार हैं और मानवता के प्रति दया और करूणा के कारण सबकी पीड़ा हरने और जन जन का मंगल करने के लिए धरती पर अवतरित हुए हैं ! काटजू जी के समक्ष "बाबा" द्वारा अनेक चमत्कार हुए थे !
मेरे अतिशय प्रिय पाठकगण ! यह सर्व मान्य सत्य है कि भारतभूमि योग भूमि है! यहाँ के योगियों की चमत्कारी सिद्धियों के विषय में समझ पाना असम्भव सा प्रतीत होता है ! पर मेरे प्रियजन मुझे अपने जीवन के ८२ वर्षीय लम्बे अनुभव के आधार पर यह दृढ़ विश्वास हो गया है कि इस संसार में साधारण से साधारण दिखने वाला जीवधारी भी परमात्मा का अंश होने के नाते एक सिद्ध महात्मा ,दिव्यात्मा , देवपुरुष अथवा परमात्मा का अवतार भी हो सकता है अस्तु किसी का तिरस्कार न करो :
तुलसी या संसार में सबसे मिलिए धाय,
ना जाने किस वेश में नारायण मिल जायं!
क्रमशः
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निवेदन: श्रीमती (डोक्टर) कृष्णा एवं व्ही. एन. श्रीवास्तव "भोला"
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3 टिप्पणियां:
सम्मानीय भोला जी आपका भावभीना मेल मिला ।
बहुत अच्छा लगा । आप सबको अपने परिपक्व
जीवन अनुभवों से परिचय करा रहें हैं । यही सब
पर बहुत उपकार है । आप आने वाली पीङी के लिये
भक्ति भावना का बीजारोपण कर रहें हैं । इसी से मैं
प्रसन्न हूँ । बाकी आपकी मेरी प्रति भावनाओं का
मैं सम्मान करता हूँ । धन्यवाद ।
नीम करौली बाबा का परिचय बहुत रोचकता के साथ आपने कराया है .आभार
नीम करौली बाबा का परिचय बहुत रोचक रहा धन्यवाद|
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