मंगलवार, 23 नवंबर 2010

JAI JAI JAI KAPISUR # 2 2 3

जय श्री राम

मेरे परम प्रिय स्वजन ,
जय जय राम

दो दिन से कुछ तकनीकी गडबडी के कारण आप तक अपना सन्देश पहुँचा नहीं पाया ! सच मानिये प्रियजन उसके कारण मैं बहुत दुखी हूँ :

कैसे करूं बया कि मैं कितना उदास हूँ
जो बात है कहनी, नहीं कह पा रहा हूँ मैं !!

ऐसा नशा चढा दिया सद्गुरु ने नाम का
लगता है कि जन्मों से पिए आ रहा हूँ मैं !!

मजबूर ये कमाले मोहब्बत तो देखिये
वो सांस भर रहे हैं जिए जा रहा हूँ मैं !!

मैं यंत्र हूँ चलता हूँ मैं बस उनके सहारे
हर काम नाम ले के किये जा रहा हूँ मैं
बस उनका नाम ले के जिए जा रहा हूँ मैं

यहाँ अमेरिका में मेरे गेजेट गुरुजन मेरी पूरी मदद कर रहे हैं !आज का यह सन्देश किसी दूसरी विध से भेज रहा हूँ ! आशा है श्री रामाज्ञा से अन्जनिसुत हनुमान जी विद्युत वेग से इसे आप तक पहुंचा देंगे !

पेश्तर इसके कि ये भी कहीं खो जाये मैं अपने स्थानीय गेजेट गुरु से अनुरोध करूँगा कि वह इसे प्रेषित कर दें !

प्रियजन ! कथा रुकी नहीं है.चल रही है ,चलती रहेगी !

सांस सांस में प्यारे प्रभु का सुमिरन करते रहिये ,अपनी प्रत्येक कृति में उनका दर्शन करिये .प्रत्येक ध्वनि – स्वर में
कथा के शब्द सुनिए .

------ क्रमशः

निवेदक : वही. एन. श्रीवास्तव “भोला”

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