बुधवार, 23 मार्च 2011

अनुभवों का रोजनामचा # 3 2 6

अनुभवों का रोजनामचा 
आत्म कथा 

रेल यात्रा से सम्बंधित श्री हनुमान जी की एक और कृपा का अनुभव सुन लीजिये ! 


मेरा यह निजी अनुभव १९४२ -४३ का है ! मैं ८ वीं कक्षा में पढ़ता था ! महात्मा गांधी का "असहयोग"  तथा "अंग्रेजों भारत छोडो" आन्दोलन देश भर में जोर शोर से चालू हो चुका था !जगह जगह पर , गरम दल के देश भक्त युवक तोड़ फोड़ भी कर रहे थे ! पूर्वी यू. पी. में उपद्रव अधिक हुए थे !यहाँ तक कि कुछ दिनों के लिए हमारा बलिया जिला स्वतंत्र हो गया ! जिलाधीश महोदय ने जिला जेल का दरवाज़ा खुलवाकर सब आन्दोलनकारी कैदियों को आज़ाद कर दिया और उनके नेता चीतू पण्डे के हाथ जिले की बागडोर सौंप कर जिले के काम काज से अपने हाथ धो लिए !हाँ , बहुत दिनों तक नहीं चला बलिया में वह अपना राज ! शायद एक सप्ताह के अंदर ही गवर्नर ने केप्टन स्मिथ के नेतृत्व में फ़ौजी हमला करवा कर बड़ी बर्बरता से आन्दोलनकारियों का दमन कर दिया ! काफी दिनों के बाद हमने समाचार पत्रों से यह जाना जब लखनऊ से यू.पी के गवर्नर सर मौरिस हेलेट ने ब्रिटिश सरकार  को यह समाचार दिया कि " अंग्रेज़ी फौजों ने बलिया फिर से फतेह कर लिया "! समाचार के  अंग्रेजी के शब्द हमे अभी तक याद हैं ,'British Forces Conquer Ballia" !उधर बलिया में हमारे हरवंश भवन के परिवार वाले पूर्वजों पर क्या बीती उनको कितने कष्ट झेलने पड़े फिर कभी बताउंगा!


अभी पहले आपको वह हनुमत कृपा का अनुभव बता दूँ !

दुर्गापूजा की छुट्टियों में यूनिवरसिटी के फाइनल इम्तहान देने वाले टेक्निकल विद्यार्थी औद्योगिक इकाइयों का भ्रमण करने निकलते हैं ! ऐसे ही एक टूर पर मेरे एक हनुमान भक्त बड़े भैया बनारस यूनिवरसिटी के विद्यार्थियों के साथ कानपूर आये ! इत्तेफाक से उनके टूर के दौरान मंगलवार पड़ा और वो हम सब को भी अपने साथ लेकर पनकी में श्री हनुमान जी के दर्शन करने गये !

आज इतना ही , शेष कल :


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निवेदक : व्ही. एन. श्रीवास्तव "भोला"
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1 टिप्पणी:

सहज समाधि आश्रम ने कहा…

भोला जी पोस्ट अच्छी लगी । आप ऐसे ही लिखते रहें ।