हनुमत कृपा - अनुभव
साधक साधन साधिये साधन -"भजन कीर्तन"
आज का भजन
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अब तुम बिन को मोरि राखे लाज
मेरे राम गरीब निवाज !!
मैं असहाय अधम अज्ञानी ,पतितन को सरताज !
पतित उद्धारन बिरद आपनों सिद्ध करो महराज !!
मेरे राम गरीब निवाज !!
जिन जिन ध्याये तिन तिन पाए,अजामील गज ब्याध !
हमरी बारी जाय छुपे तुम किन कुंजन में आज !!
मेरे राम गरीब निवाज !!
दया क्षमा करुणा शुचिता दो मुझको मेरे राम !
सारे कर्म करू प्रभु जी मै लेकर तेरा नाम !!
मेरे राम गरीब निवाज !!
मैं अपराधी हूं बड़ा अवगुण भरा विकार !
क्षमा करो अपराध सब अपना बिरद बिचार !!
मेरे राम गरीब निवाज !!
निवेदक
व्ही .एन. श्रीवास्तव "भोला"
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