सिया राम के अतिशय प्यारे,
अंजनिसुत मारुति दुलारे,
श्री हनुमान जी महाराज
के दासानुदास
श्री राम परिवार द्वारा
पिछले अर्ध शतक से अनवरत प्रस्तुत यह

हनुमान चालीसा

बार बार सुनिए, साथ में गाइए ,
हनुमत कृपा पाइए .

आत्म-कहानी की अनुक्रमणिका

आत्म कहानी - प्रकरण संकेत

सोमवार, 25 अप्रैल 2011

सत्य साई बाबा # 3 5 3

सत्य साई बाबा 




कल रविवार २४ अप्रेल २०११ , प्रातः ७ बज कर  ४० मिनट के लगभग (शिर्डी के साईं बाबा के अवतार माने गये) पुत्तापथी के "सत्य साई बाबा" विश्व भर के अपने करोड़ों भक्तों को रोता बिलखता छोड़ कर इस संसार से विदा हो गये ! 

सत्य साईबाबा दिव्य शक्तियो,नवों निधियों तथा आठों सिद्धियों से युक्त थे ! अपने भक्तों को उन्होंने सभी प्रकार के चमत्कार कर के दिखाए ! अपनी दिव्यता से सम्मोहित करके उन्होंने अपने अनगिनत भक्तों को  बहुमूल्य भौतिक उपहार दिए और हथेली पर  प्रसाद स्वरूप सुगन्धित विभूति प्रगट करके लाखों साधकों में बाटा ! उन्होंने अपनी दैवी शक्तियों द्वारा हजारों ही  ज़रूरतमंद रोगियों का इलाज किया ! प्रत्यक्ष दर्शियों ने हमे बताया है की बाबा ने स्वयम अपने हाथों से सब्जी काटने वाले चाकू द्वारा कितने ही जटिल सर्जिकल ओपरेशन किये और इस तरह अपने भक्तों को ओपरेशन के बड़े खर्चे तथा भयंकर कष्टों से बचा लिया ! उनकी जीवनी इस प्रकार के करतबों के अनंत उदाहरणों से भरी पड़ी है ! 

प्रिय पाठाकगण , मैं यहाँ वह उदाहरण ही दूंगा जिसकी विश्वश्य्नीय जानकारी मुझे  है !१९७५ -१९७८ में मेरी पोस्टिंग साउथ अमेरिका के देश गयाना में हुई ! वहां हमारे पड़ोसी थे लन्दन के ऊंची  डिग्रीयाफ्ता वहां के सर्वोच्च मेडिकल अफसर डोक्टर ''चेनी जयपाल'' , उनकी धर्मपत्नी भी लन्दन में पढीं डोक्टर हैं ! इन्होने हमे बताया कि एक बार उनके एक भतीजे का इलाज जब इंग्लैंड में भी न हो सका तो हारथक कर उन्होंने  "सत्य साई बाबा" के दरबार में फरियाद की ! सत्य साई बाबा ने केवल एक घूँट पानी पिलाकर ही रोगी को उस असाध्य रोग से मुक्त कर दिया !

यहाँ U S A में ''आज तक'' ,''टाइम'' ,''जी  न्यूज़'' आदि में देखा कि इस समय बाबा का मानव चोला एक कांच के बक्से में "साईँ कुलवंत हाल" पुत्तापथी में देश विदेश से पधारे लाखों दर्शनार्थी भक्तो के अंतिम दर्शन के लिए रखा गया है ! हमने भी दर्शन किया !

बाबा देखने में बिलकुल वैसे ही लग रहे हैं जैसा हमने उन्हें आज से ४०-५० वर्ष पहले १९७० के पूर्वार्ध दशक में कभी मरोल - मुम्बई में देखा था !  माफ करियेगा - वर्ष, महीना, तारीख याद नहीं है ! पर बाबा का वह दर्शन यादगार है , कल पूरी कथा सुनाउंगा !     

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क्रमशः 
निवेदक : व्ही. एन. श्रीवास्तव "भोला"
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हनुमत कृपा # 3 5 1

बचपन के कृपा दर्शन 
(सन्देश # ३२९ के आगे की कथा) 


बचपन में अपने ऊपर हुई हनुमत कृपा की कहानियाँ सुना रहा था कि सहसा ही मेरे ब्लॉग # ३३० से ३३५ तक साक्षात् श्री हनुमान जी के अवतार नीमकरौली बाबा की बात चल गई और वह भी उनके "चमत्कारिक कम्बल" तक पहुंच  कर थम गयी ! आज अभी मन में विचार आया "बचपन बीते तो अब ७० - ७५ वर्ष हो गये हैं ,कब तक बचपने में अटके रहोगे अपनी गाड़ी भी आगे बढ़ाओ"! याद आई बाबा की रेलगाड़ी वाली कहानी और साथ में अपनी उस   यादगार रेलयात्रा की कहानी :

कथा की भूमिका दुहरा लूं ! १९४२-४३ की बात है ! नीम करौलीबाबा रेल रोक कर ब्रिटिश रेल कम्पनी - "E I R" से अपनी मांग पूरी करवा चुके थे ! बापू का ,"अंग्रेजों भारत छोडो" आन्दोलन जोर पर था ! मैं ८ वीं या ९ वीं कक्षा में पढ़ता था ! हमारे बड़े भैया के हम उम्र  भतीजे "कोनी भैया" के साथ मैं भी , बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी के " बी.मेट" के स्टडी टूर पर निकले विद्यार्थियों के साथ कानपुर के कारखाने देख कर पनकी स्थित श्री हनुमान जी के दर्शन करके ,आगरा की Foundry Industry (लोहे ढ्लायी  के कारखाने) देखने जाने को तैयार हो गया था ! हनुमान जी की प्रेरणा से इन B H U के विद्यार्थियों के साथ रह कर मैंने तब १०-११ वर्ष की आयु में ही  यह निश्चय ले लिया था की मैं अपनी बिरादरी  के पुश्तैनी पेशे -मुंशीगीरी जजी,वकालत या ICS , PCS बनने का स्वप्न भूल कर कोनी भैया की तरह जीविकोपार्जन के लिए कोई टेक्निकल काम करूं !

उस समय तो ऐसा कुछ नहीं लगा की हनुमान जी ने मेरी अर्जी सुनी होगी ,लेकिन १० वर्ष बाद यह साबित हो गया कि उस पल ,कुमति निवारक "श्री हनुमानजी" ने सुमति दे कर मुझसे एक उचित प्रार्थना करवाली थी ! प्रियजन, आप जानते ही हैं कि मेरे उस समय के विचार "उनकी" कृपा से मेरे भावी जीवन के निर्णायक निश्चय सिद्ध हुए ! तभी तो मैंने १९५०-५१ में B H U के ही कोलेज ऑफ़ टेक्नोलोजी से डिग्री हासिल की !

हनुमान जी की उपरोक्त प्रेरणा से मिली B H U के कोलेज ऑफ़ टेक्नोलोजी की इस डिग्री के आधार पर ही अन्तोगत्वा मेरी विदेशों में भी औद्योगिक सलाहकार Expert / Advisor के पद पर नियुक्ति हुई ! हनुमत कृपा के फलस्वरूप !
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क्रमशः  
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पाठकगण : यहा अमेरिका में अभी अभी समाचार मिला कि 
"सत्य साईँबाबा" नही रहे ! कलम रुक गयी है ! 
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निवेदक:  व्ही. एन. श्रीवास्तव "भोला"
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