आज मंगलवार की "महावीर वंदना"
प्रियजन, , संकटमोचन श्री हनुमानजी युगों युगों से हमारे कष्ट हर रहे हैं विपदाओं से हमारी रक्षा कर रहे हैं. भवरोगों से मुक्ति दिला रहे हैं. याद करिये महान संत रामभक्त श्री तुलसीदास के जीवन की सांझ जब वह अति भयंकर शारीरिक कष्ट से पीड़ित थे. उन्होंने कष्ट निवारण हेतु श्री हनुमानजी को याद किया फलस्वरूप तुलसी स्वस्थ हो गये. उसी समय "हनुमान चालीसा" की रचना हुई. और तुलसी की प्रेरणा से भारतवर्ष भर में अनेकानेक हनुमान मन्दिरों का निर्माण हुआ ताकि जनसाधारण हनुमान भक्ति से उतने ही लाभान्वित हो जितने तुलसी स्वयं हुए थे. कलिकाल में हनुमान भक्ति की महत्ता और अधिक हो गयी है .
आइये, हनुमान जी की वन्दना मिल जुल कर करे. ,
जय जय बजरंगी महावीर-हे संकटमोचन हरो पीर
अतुलित बलशाली तव काया ---- गति पिता पवन का अपनाया
शंकर से देवी गुन पाया --------------शिव पवन पूत हे धीर वीर -
जय जय बजरंगी महावीर
दुखभंजन सबके दुःख हरते -----------आरात्जन की सेवा करते,
पलभर बिलम्ब नाही करते ----- -जब जब भगतन पर पड़े भीर
जय जय बजरंगी महावीर
जब जामवंत ने ज्ञान दिया -- -सिय खोजन तूम स्वीकार किया
सत योजन सागर पार किया ------- -देखा जब रघुबंरको अधीर
जय जय बजरंगी महावीर
शठ रावण त्रास दिया सिय को , भयभीत भई मईया जिय सो .
मांगी कर जोर अगन तरु सो -------- -दे मुदरी माँ को दियो धीर
जय जय बजरंगी महाबीर
लागा लछमन को शक्ति बान --- -अति दुखी हुए तब बन्धु राम
कपि तुम साचे सेवक समान ------------लाये बूटी मय द्रोंनगीर
जय जय बजरंगी महावीर
हम पर भी कृपा करो देवा --------दो भक्ति-दान सबको देवा
है पास न अपने फल मेवा -------- स्वीकारो स्वामी नयन नीर
जय जय बजरंगी महाबीर हे संकटमोचन हरो पीर
निवेदक - भोला
2 टिप्पणियां:
Good lyrics, never heard earlier. Could you provide the tune?
-Anonymous
Very nice line
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