शनिवार, 11 दिसंबर 2010

JAI JAI JAI KAPISUR # 2 3 8

हनुमत  कृपा
अनुभव   (गतांक से आगे)

मैं बार बार अपने आप को "अज्ञानी" कहता हूँ ,प्रियजन ,आप हँसे अथवा जो भी सोंचे ,पर मैं निश्चित्तता से जानता हूँ क़ि अपने विषय में मेरा यह निष्कर्ष पूर्णतः सत्य है क्योंकि मेरा यह कथन मेरे निजी अनुभव पर आधारित है ! मुझे अपनी अज्ञानता का ज्ञान कैसे हुआ सुनिए: 

भारत सरकार की सेवा से १९८९ में पूर्णतः निवृत होने के बाद ,आज से लगभग १० वर्ष पूर्व ह्म भारत छोड़ कर अपने तीन बड़े बच्चों के साथ रहने के लिए U.S.A.आ गये ! 


प्रियजन आपको आश्चर्य होग़ा यह जानकर क़ि यहाँ अमेरिका में अपने पौत्र पौत्रियों के साथ रह कर मुझे अपनी बहुत सी न्यूनताओं का पता चला ! 


यहाँ अमेरिकन स्कूल वाले अक्सर स्कूल में पढने वाले विदेशी बच्चों के अभिभावकों को  निमंत्रित करते हैं क़ि वे अपने देश की सांस्कृतिक, ऐतिहासिक, प्राकृतिक एवं भौगोलिक विशेषताओं के विषय में क्लास के सभी बच्चों को बताएं तथा उनके प्रश्नों के उत्तर दे कर उनकी अन्य उत्कंठाओं को शांत करें ! हमे ठीक से याद नहीं क़ि यह घटना ह्युरोंन(साउथ  डकोटा), लेंज़िंग (मिशिगन ),पिट्सबर्ग (पेन्सिल्वेनिया) या ब्रुक्लाइन (मेसेच्युटिस्ट) की है अथवा कही और की ! छोडिये इसे ,पहले मेरा अनुभव सुन लीजिये !


एक बार हमे भी अपनी किसी पौत्री की छोटी कक्षा में आ कर उसके नन्हे नन्हे मित्रों को अपने देश -भारत के विषय में जानकारी देने का निमंत्रण मिला ! ह्म पूरी तैयारी के साथ ,भूगोल के नक्शे,ग्लोब ,ताज महल क़ुतुब मीनार की तस्वीरें और बच्चों के आग्रह  पर , शाहरुख़ खान और ऐश्वर्या राय के बड़े बड़े पोस्टर लेकर स्कूल गये ! बच्चों से हमारी खूब  विस्तार से बातचीत हुई ! हमने चित्रों द्वारा ही उन्हें भारत दर्शन करवा दिया !  मैंने गाया और मेरी गुडिया (पौत्री) ने ,भारतीय परिधान में सज धज कर ,"राधा ना बोले ना बोले ना बोले रे" वाले गीत पर नृत्य भी किया !बच्चों का भरपूर मनोरंजन हुआ ! उन्होंने सारी बातें बड़े ध्यान से सुनी और गुडिया के नृत्य की खूब सराहना भी की !


प्रश्नोत्तर काल में जो सवाल उन नन्हे नन्हे बच्चों ने मुझसे पूछे मैं उनके संतोषजनक उत्तर नहीं दे पाया ! जी हाँ नही दे पाया ,क्योंकि मैं उत्तर जानता ही नहीं था ! प्रियजन मैं अपने इसी अनुभव के आधार पर तो कहता हूँ क़ि मैं अभी तक सर्वथा "अज्ञानी" हूँ !


अमेरिकी बच्चों ने क्या प्रश्न किये थे फिर कभी बताऊंगा ! अभी आज मैं केवल अपनी "अज्ञानता" के "ज्ञान" तक ही सीमित रहूँगा !
 

निवेदक:  व्ही. एन. श्रीवास्तव  "भोला"

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