सिया राम के अतिशय प्यारे,
अंजनिसुत मारुति दुलारे,
श्री हनुमान जी महाराज
के दासानुदास
श्री राम परिवार द्वारा
पिछले अर्ध शतक से अनवरत प्रस्तुत यह

हनुमान चालीसा

बार बार सुनिए, साथ में गाइए ,
हनुमत कृपा पाइए .

आत्म-कहानी की अनुक्रमणिका

आत्म कहानी - प्रकरण संकेत

गुरुवार, 24 मार्च 2011

अनुभवों का रोजनामचा # 3 2 7

अनुभवों  का  रोजनामचा 

आत्म कथा
मेरा यह निजी अनुभव १९४२ -४३ का है ! मैं ८ वीं कक्षा में पढ़ता था ! महात्मा गांधी का "असहयोग"  तथा "अंग्रेजों भारत छोडो" आन्दोलन देश भर में जोर शोर से चालू हो चुका था !जगह जगह पर , गरम दल के देश भक्त युवक तोड़ फोड़ भी कर रहे थे ! पूर्वी यू. पी. में उपद्रव अधिक हुए थे !यहाँ तक कि कुछ दिनों के लिए हमारा बलिया जिला स्वतंत्र हो गया ! जिलाधीश महोदय ने जिला जेल का दरवाज़ा खुलवाकर सब आन्दोलनकारी कैदियों को आज़ाद कर दिया और उनके नेता चीतू पण्डे के हाथ जिले की बागडोर सौंप कर जिले के काम काज से अपने हाथ धो लिए !हाँ , बहुत दिनों तक नहीं चला बलिया में वह अपना राज ! शायद एक सप्ताह के अंदर ही गवर्नर ने केप्टन स्मिथ के नेतृत्व में फ़ौजी हमला करवा कर बड़ी बर्बरता से आन्दोलनकारियों का दमन कर दिया ! काफी दिनों के बाद हमने समाचार पत्रों से यह जाना जब लखनऊ से यू.पी के गवर्नर सर मौरिस हेलेट ने ब्रिटिश सरकार  को यह समाचार दिया कि " अंग्रेज़ी फौजों ने बलिया फिर से फतेह कर लिया "! समाचार के  अंग्रेजी के शब्द हमे अभी तक याद हैं ,'British Forces Conquer Ballia" !उधर बलिया में हमारे हरवंश भवन के परिवार वाले पूर्वजों पर क्या बीती उनको कितने कष्ट झेलने पड़े फिर कभी बताउंगा!
अभी पहले आपको वह हनुमत कृपा का अनुभव बता दूँ !
दुर्गापूजा की छुट्टियों में यूनिवरसिटी के फाइनल इम्तहान देने वाले टेक्निकल विद्यार्थी औद्योगिक इकाइयों का भ्रमण करने निकलते हैं ! ऐसे ही एक टूर पर मेरे एक हनुमान भक्त बड़े भैया बनारस यूनिवरसिटी के विद्यार्थियों के साथ कानपूर आये ! इत्तेफाक से उनके टूर के दौरान मंगलवार पड़ा और वो हम सब को भी अपने साथ लेकर पनकी में श्री हनुमान जी के दर्शन करने गये !
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के उन सभी बी. मेट. के विद्यार्थियों ने उतनी ही श्रद्धा भक्ति से पनकी में श्री हनुमान जी के दर्शन किये जितनी श्रद्धा से वे परीक्षा के दिनों में अपने गेट के निकट ही स्थित संकटमोचन मन्दिर के हनुमान जी का दर्शन वन्दन करते थे ! पनकी मन्दिर में मैं भी उनके साथ खड़ा खड़ा यह मनाता रहा कि हनुमान जी दया कर मुझ पर ऎसी कृपा करे कि समय आने पर मैं भी उन लोगो की तरह ही,  बी.एच.यू के कोलेज ऑफ़ टेक्नोलोजी में दाखिला पा सकूं ! 

प्रियजन उनलोगों की अर्जियां मंजूर हुई ,सब को हनुमान जी ने न केवल उच्च अंकों से पास करवाया वे सब भैया लोग अच्छी अच्छी नौकरियां भी पा गये ! समय आने पर मैं भी उस यूनिवर्सिटी के कोलेज ऑफ़ टेक्नोलोजी में भर्ती हो गया !

प्रियजन, आप सोचोगे इसमें श्री हनुमान जी ने कौन सी विशेष कृपा किसी पर की ?वहां  बी.एच.यू. में  प्रति वर्ष ही सैकड़ों विद्यार्थी भर्ती होते हैं और  सैकड़ों ही पास होकर अच्छी अच्छी सेवाओं में लग जाते हैं ! आपकी सोच दुरुस्त हैं ! उन दिनों उस उम्र में मेरी भी सोच कुछ ऎसी ही थी ! पर आज , तब से ६० -६५  वर्ष बाद मैं पूरे विश्वास के साथ कह सकता हूँ   कि हम सब लोगों के साथ तब जो कुछ भी हुआ वह इस कारण हुआ कि हमारी अर्जी पर श्री हनुमान जी ने इतनी ज़ोरदार पैरवी की कि 'परम दयालु देवाधिदेव परमेश्वर' को हमें वह सब देना ही पड़ा जो वह सुदृढ़  'नींव' थी जिस पर हमारे भविष्य की इतनी खूबसूरत  इमारत खड़ी हो पायी और सच पूछिए तो जिसके कारण हमारा जीवन सार्थक हो गया !

मैं भूला नहीं हूँ कि उस दिन जो विशेष कृपा श्री हनुमान जी ने हमारे ऊपर की वह आप को बतानी है !वह कथा तो मैं आपको आज कल में बताउंगा ही लेकिन जीवन  भर जो कृपा उन्होंने मेरे ऊपर की है उसकी "नींव" है "उनके"उस दिन का दर्शन प्रसाद !