मंगलवार, 28 सितंबर 2010

JAI JAI JAI KAPISUR # 174

सब हनुमत कृपा से ही क्यों ?
निज अनुभव

स्थानीय स्टील बेंड की टंकार भरी धुनें सुनते हुए हम ऊपर स्टेज पर लाये  गये ! बड़े आदर सत्कार सहित मुझे चीफ गेस्ट की बीच वाली ऊंची कुर्सी पर बैठाया गया! मेरा औपचारिक स्वागत  हुआ ,ताज़े फूलों का एक सुंदर बूके प्रदान किया गया ! मैं ये समझ नहीं पा रहा था क़ि मुझे उतना आदर- सम्मान किस कारण मिल रहा है !लेकिन उस समय वह सब बहुत अच्छा लग रहा था ! इतनी प्रतिष्ठा  अनायास ही मेरी झोली में पड़ रही थी!  परम पिता की इस विशेष अनुकम्पा के लिए मैं मन ही मन उनका स्मरण करके उन्हें धन्यवाद दे रहा था ! पर मुझे तब तक यह नहीं  ज्ञात था क़ि मुझे वहाँ कौनसा विशेष कार्य करना है !इस कारण यह भी डर लग रहा था क़ि कहीं मुझे "बलि का बकरा" तो नहीं  बनाया जा रहा  है ! 

अभी मैं "बलि के बकरे" वाली बात सोच ही रहा था क़ि मिनिस्टर साहेब ने अपनी तकरीर में एलान कर  दिया क़ि "ब्रिटिश और भारत सरकारों के आर्थिक और तकनीकी मदद से देश की जनता को खाने के लिए उत्तम क्वालिटी का हाइजीनिक साफ़ पशु-मांस उपलब्ध कराने के लिए एक आधुनिक उपकरणों से युक्त नया Slaughter House,उसी स्थान पर  बनेगा जहाँ ह्म  उस समय बैठे थे !इस बूचर खाने में पशुओं पर कोई अत्याचार नही होग़ा और जानवरों को कम से कम कष्ट देकर ,सुन्न (बेहोश) करने के बाद  जबह किया जाएगा और उसके बाद उनकी खाल उतारी जायेगी" !

प्यारे स्वजनों ! मुझे क्षमा करना भक्तिरस की कथा  सुनाते सुनाते आपसे यह वीभस्त रस की  चर्चा करने लगा ! भैया ,अपना माँनव जीवन बड़ा विचित्र है ,यहाँ हमे जब जो भी करने का आदेश ऊपर मुख्यालय से मिले उसका पालन करना ही पड़ता है !किसी की अपनी तो यहाँ चलती ही नही, वही होता है जो मंजूरे खुदा होता है !

उसके बाद बगल की मेज़ पर रखा रंगीन गिफ्ट रेप पेपर मे लिपटा बड़ा सा डिब्बा मंगवाया    गया और  प्रादेशिक गवर्नर महोदय ने उसका रिबन काटा ! डिब्बा खुला तो उसमे इंग्लॅण्ड की बनी हुई एक ,एक नली बन्दूक और एक ऐसा यंत्र निकला जिसमे से हवा का जेट बहुत ही वेग के साथ निकलता था ! इन दोनों यंत्रों को प्रदर्शित करने के बाद मंत्री महोदय ने मेरी ओर देख कर मुस्कुराते हुए कहा  " नाऊ कॉमरेड श्रीवास्तव यूं मे टेक ओवर " मुझे धीरे धीरे विश्वास हो रहा था क़ि आखिर मैं "बलि का बकरा" बन ही गया !

कहानी मे आगे मुझे जो अनुभव हुआ वह सुनने योग्य है ! आपको कल सुनाऊंगा  .

निवेदक: वही. एन. श्रीवास्तव "भोला"



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