सब हनुमत कृपा से ही क्यो ?
निज अनुभव
ऐयर पोर्ट के लाउंज में जो जश्न मनाया जा रहा था ,मेरा मन वहां नहीं था। मेरा मन एक ऐसे एकान्त की खोज में था जहाँ चुपचाप बैठ कर मैं उस अदृश्य-निराकार शक्ति का आवाहन करता जिसने अतुल्य करुणा कर के उस भयंकर हादसे से हम सब यात्रिओ की जीवन रक्षा की। कठिन है आँक पाना कि कितना बृहद उपकार हमारे इष्ट ने उस दिन हमें बचाकर स्वयं हमारे ऊपर और हमारे परिजनो पर किया था।क्या कोई अपने "इष्टदेव" का इतना बड़ा उधार कभी चुका सकता है:
ऐसे में घर की याद आती ही है! विचार आया,कि भारत में यह समाचार सुनते ही हमारा सारा परिवार,माता पिता भाई भाभी और सभी स्वजन तुरन्त ही हनूमान जी की ध्वजा के नीचे खड़े हो जाते, "उनके" प्रति अपनी हार्दिक कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए !सारा परिवार मिल कर बार बार हनुमान चालीसा का पाठ करता और सारे टोले मोहल्ले मे प्रसाद वितरित करवाया जाता। उस दिन वहाँ साउथ अमेरिका के खास उस प्रदेश में मैं बिलकुल अकेला ही था ! मेरे साथ वहाँ हनुमान चलीसा का पाठ करने वाला और कोई न था ! मैं मन ही मन "श्री रामाय नम:" का जाप करता रहा और अपने इष्ट को मनाता रहा और उनके प्रति अपना हार्दिक अनुग्रह व्यक्त करता रहा !
इस यात्रा में हुए प्रथम अनुभव का स्वाद ,जैसा आपने देखा, बाह्य रूप में बहुत मधुर नहीं था,पर आध्यात्मिक दृष्टि में
वह जितना सरस था ,चखने वाला ही बता सकता है। सुरक्षित बचा हुआ प्रत्येक आस्तिक व्यक्ति अपने रोम रोम पर अपने इष्ट के वरद हस्त का स्पर्श महसूस कर रहा था कम से कम मुझे तो ऐसा लग ही रहा था! मुझे याद आ रहा था वह क्षण जब मेरे गुरुदेव ने मेरी विदाई के समय मुझे दुबारा अपने पास बुला कर गले से लगाया था और मेरे सिर पर अपना वरद हाथ फ़ेर कर मेरे इस फोरेन असाइनमेंट की सफलता के लिए बहुत शुभ कामनाएं की थीं और मुझे बहुत बहुत आशीर्वाद दिये थे । महाराज जी के हस्तकमल का वह जीवनदायी स्पर्श मुझे उस पल भी उतना ही
सुखद अनुभव दे रहा था।
गवर्नर हाउस मे मुंह हाथ धोकर ह्म तुरत ही वहाँ गये जहाँ वह विशेष कार्यक्रम होने वाला था जिसमें भारत के राजदूत को अध्यक्षता करनी थी !पर अब वह कार्य मेरे कंधे पर डाल
दिया गया था।
एक बडा पंडाल था जिसमे सुन्दर बैनर्स और कागज़ की रंग बिरंगी झंडियाँ लगी थी ,खाने पीने के लिए टेबल कुरसियाँ
बाकायदा मौजूद थीं! एक स्टेज बना था जिस पर मुख्य अतिथि तथा मिनिस्टर और गवर्नर आदि के बैठने की व्यवस्था थी !ह्मारे पहुचते ही पब्लिक एड्रेस सिस्टम पर बार बार एलान होने लगा क़ि कार्यक्रम शीघ्र ही शुरू होने वाला है !
स्टेज के आगे नीचे जमीन पर
लाल नीली यूनिफ़ोर्म में पोलिस के सिपाही अपने चमचमाते स्टील बेंड पर झूम झूम कर अति मधुर एंग्लो एफ्रिकन
धुने बजाने लगे ! माहौल ऐसा था जैसे किसी के विवाह का आयोजन हो!
कल बताउंगा क़ि वास्तव मे वहाँ क्या कार्यक्रम हुआ !अभी केवल् इतना ही
!
निवेदक:-व्ही. एन. श्रीवास्तव "भोला"
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