बुधवार, 1 सितंबर 2010

jJAI JAI JAI KAPISUR (Sept,1,10)



हनुमत कृपा-निज अनुभव 
गतांक से आगे

प्रियजन  ! आप सोच रहे होंगे क़ी "अब इस उम्र में इस ८१ वर्षीय बुजुर्गवार को क्या हो गया है.  तीन  दिन से किसी को लाल गुलाब भेंट करने की झक्क चढी है इन्हें.   ७-८ वर्ष से अमेरिका में क्या बस गये हैं बिलकुल विलायती हो गये हैं , ये तो सुना है क़ी साठ के बाद लोग सठिया जाते हैं, लेकिन यहाँ तो लगता है क़ी ८० के बाद ये झकीयाय  गये हैं"

"ठीके कहत हो तुम बबुआ ,ह्म जरूर झाकियाय गये हन, भैया जब ह्म १९६३-६६ में रीजेंट पार्क लन्दन के गुलाबन का छुआ तक नाही क़ी कौनो गोरी मेंम इ न सोच ले क़ी ओह्के खातिर ह्म गुलाब तोरा है तउन आज बुढापा माँ तुम हमपर तोहमत लगावत हो अस ह्तियाचार नाही करो बाबू ,ह्मरे अनेकन  नाती पोता हं , एक थोर उनकर दादी नानी हू हं ,काहे अब ५४-५५ साल बाद झगरा लगावत हो ? जउन थोड़ा लाइफ एक्सटेंशान ऊ भगवान जी हमका २६ नवम्बर २००८ को दिए हैं ओ का कछु सदोपयोग कर लेबे देउ हमका. किरपा करो ह्म पर "

चलिए काफी हँसी हो गयी अब थोड़ा सीरिअस हो जाएँ.अभी अभी कृपा हुई है "उनकी" हम पर. "उन्होंने" मुझे पुनः २००८ के अपने भारतीय होस्पिटल प्रवास की याद दिला दी . गुरुजन के आशीर्वाद ,मित्रों और स्वजनों की शुभ कामनाएँ ,और सहस्त्रों जाने पहचाने और अनजाने शुभ चिंतकों की शुभेच्छा मय प्रार्थनाओं को कबूल करके प्यारे प्रभु ने  कब कब  जीवन की विषम  परिस्थितियों में हमारी रक्षा की  कब उन्होंने हमे जीवन दान दिया वे सब हमारी ज़िन्दगी के सीरियल के भूले बिसरे एपिसोड एक एक कर के फ्लेशबेक होकर हमारी आँखों के सामने जीवंत हो गये .ये सभी हमें सदैव ह़ी सद्गुरु क़ी कृपा और श्रीराम क़ी अहेतुकी  कृपा क़ी याद दिलाते रहते हैं .हमें एहसास होता रहता है क़ी  सर्वव्यापक प्रभु सदा ह्मारे अंग संग है . 

२००१ में भारत छोड़ने के समय से आज तक महाराजजी की विशेष कृपा से समय समय पर  हमें  उनके आशीर्वादपूर्ण  संदेश मिलते रहे हैं जैसे : -'परमात्मा आपको सुख शांति बक्शे और . भक्तिमय पूर्णतया समर्पित जीवन दे." परमात्मा बल दे '. "श्रीरामकृपा चमत्कारी है ह्म सब उन्हीं चमत्कारों का अवलोकन कर रहे हैं' "आदि आदि पर अब हमे फोन ,इ मेंल, और पत्र व्यवहार की आवश्यकता नहीं पडती है..मुझे तो प्रति पल ऐसा   लगता है जैसे मैं उनके श्री चरणों के पास बैठा हूँ. महाराज जी के इर्दगिर्द बिखरी शुभ तरंगें मुझेआत्मबल, साहस, एवं एक अद्भुत आनंद  प्रदान कर रही हैं.


अपने २१,अगस्त वाले ब्लॉग  में मैंने महाराज जी की कृपा से मिले एक ऐसे ही अद्भुत आनंद और रामकृपा के चमत्कार का ज़िक्र किया है जिसके कारण  मैं इनटेंनसिव केयर से छुटकारा पा सका . जब दूसरी बार २००६ में मुझे हार्ट अटेक हुआ था महाराज जी ने अपने संदेश में मुझे आश्वासन  दिया "'You are in Lords safest hands ". आज तक सत्य हो रहा है. २००८ में मैंने भारत में प्रत्यक्ष देखा क़ी  "How safe I had been in the LORDS merciful hands"   विस्तार से पूरी कथा आगे  बताउंगा 


क्रमशः 


निवेदक: व्ही. एन. श्रीवास्तव "भोला"




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