बुधवार, 29 सितंबर 2010

JAI JAI JAI KAPISUR # 1 7 5

सब हनुमत कृपा से ही क्यों ?
निज अनुभव  

मिनिस्टर महोदय का अचानक मुझसे यह अनुरोध करना क़ि आगे का कार्यक्रम अब मैं संचालित करूं ,कुछ मेरी समझ में  नहीं आया ! मैं सोच में  पड़ गया क़ि मेरे जैसा अहिंसक और शांति प्रिय व्यक्ति उस "बूचरखाने" का कार्य कैसे टेकओवर कर पायेगा ! सोचने की बात भी थी क़ि साउथ अमेरिका के इस देश की मूलतः मांसाहारी जनता को भोजन के लिए हांइजिनिक शुद्ध "गौ -मांस" उपलब्ध  करवाने के उस अभियान में  मैं निजी रूप से एक पूर्णतः शाकाहारी व्यक्ति और मेरा विश्वविख्यात "गौरक्षक"मत-समर्थक देश भारत  क्या योगदान दे सकता है !

उधर पंडाल के दूसरे छोर पर जो नाटक चल रहा था उसे देख कर मैं पहले तो विस्मित हुआ और फिर मेरा मन और अधिक विचलित हो गया  !उस दृश्य की याद आते ही, आज भी मैं   अपने आप को सम्हाल नहीं पाता मेरा मन द्रवित हो जाता है ,आँखों में आंसूं  छलछला आते हैं !नहीं बयान कर पाउँगा ,शब्दों में,अपनी तत्कालीन उद्विग्नता की गहराई !

भैया ! न मैं स्वयम किसी गौरक्षक समिति का सदस्य हूँ न उस से जुड़े किसी अभियान का समर्थक ! पर अब तक आप मेरे विषय में इतना तो जान ही गये होंगे क़ि (बिना मेरे किसी प्रयास के , एकमात्र  हरि इच्छा से ही  ) कदाचित  मेरे पिछले जन्म जन्मान्तर से अर्जित संस्कारों और इस जन्म मे जननी माँ व गुरुजनों की शिक्षाओं के कारण अब मेरी सोच कुछ ऎसी बन गयी है क़ि जिसमें  मुझे इस संसार की कोई भी जड़ चेतन वस्तु अथवा व्यक्ति अपने से भिन्न लगता ही नहीं! सारी सृष्टि मुझे अतिशय प्रिय स्वरूपा लगती है! अब तो जिधर देखता हूँ उधर केवल "वह ही वह" दिखाई देता है !

सोचता  हूँ ,नाना जी मरहूम के कुछ आशार सुना के माहौल कुछ हल्का फुल्का कर लूं !इधर बहुत ऊंची ऊंचीं बाते हो चुकीं !

जहां देखा तुझी को खालिके  अर्ज़ोसमा देखा 
न कुछ तेरे सिवा पाया न कुछ तेरे सिवा देखा 
Where ever I looked I saw U & U only MY LORD -creator of the entire universe Neither I found nor could I see any one else but you .
तेरी  जल्वानुमायी  में   करिश्मा ये नया देखा  
तुझे हर शय में देखा और हर शय से जुदा देखा 
In your manifestations I saw a new miracle .On one hand I perceived your holy presence in every thing  on the other U looked completely detached from all. 

प्रियजन!"बलि के बकरे" की शेष कथा कल अवश्य सुनाऊंगा ,यदि "उनका"आदेश हुआ !

निवेदक : व्ही. एन. श्रीवास्तव "भोला"

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