प्रार्थना का प्रभाव
प्रार्थना-सफलता-आनंद
अपने साऊथ अमेरिकन प्रवास में हमें जो सबसे बड़ा लाभ हुआ ,वह यह था क़ी यहाँ ह्म अपने पूरे परिवार सहित एक साथ बैठ कर अपनी दैनिक प्रार्थना कर पाते थे .ऐसा इस लिए संभव हुआ क्यूंकि उस देश में ,स्कूलों और दफ्तरों का खुलने का समय वहाँ की सरकार ने इस प्रकार नियंत्रित किया था क़ी कर्मचारी दफ्तर आते समय अपने बच्चों को अपने साथ लेकर स्कूल पहुंचाते हुए दफ्तर आयें और लंच ब्रेक और शाम को दफ्तर छोड़ने के बाद उन्हें अपने साथ साथ घर वापस आएँ.
प्रार्थना-सफलता-आनंद
अपने साऊथ अमेरिकन प्रवास में हमें जो सबसे बड़ा लाभ हुआ ,वह यह था क़ी यहाँ ह्म अपने पूरे परिवार सहित एक साथ बैठ कर अपनी दैनिक प्रार्थना कर पाते थे .ऐसा इस लिए संभव हुआ क्यूंकि उस देश में ,स्कूलों और दफ्तरों का खुलने का समय वहाँ की सरकार ने इस प्रकार नियंत्रित किया था क़ी कर्मचारी दफ्तर आते समय अपने बच्चों को अपने साथ लेकर स्कूल पहुंचाते हुए दफ्तर आयें और लंच ब्रेक और शाम को दफ्तर छोड़ने के बाद उन्हें अपने साथ साथ घर वापस आएँ.
प्रभु कृपा से प्राप्त उपरोक्त सुविधा का हम लोगों ने सदुपयोग किया और उस का पूरा लाभ भी उठाया. प्रातःकाल अपने अपने कार्यों के लिए निकलने से पहिले ह्म सब घर में ही अधिष्ठान जी के सन्मुख एक स्वर में प्रार्थना करते थे. ह्म प्यारे प्रभु को बार बार प्रणाम करते और धन्यवाद देते थे उनकी अनंत कृपा के लिए. प्रातः काल की इस प्रार्थना के फलस्वरूप हमें दिन भर यह अनुभूति होती रहती थी क़ी सर्वसमर्थ सर्वग्य ,सर्वत्र सर्व व्यापक-परमपिता परमात्मा हमें प्रति पल,आत्मविश्वास,सद्बुद्धि, विवेक तथा शक्ति प्रदान कर रहे हैं. ऎसी मनःस्थिति में कार्य करते समय हमें अपार शांति,संतोष और प्रसन्नता प्राप्त होती रहती है और कार्य सिद्धि के उपरान्त अवर्णनीय आनंद मिलता है.
श्री स्वामी सत्यानन्द जी महाराज के शब्दों में प्रभु से हमारी यह मांग होनी चाहिए क़ी :-.
कार्य में परमात्मन हो तू आप सहाय ,
अपने आशीष दीजिये मंगल हाथ बढ़ाय
स्वामी जी ने हमारा मार्ग दर्शन करते हुए कहा है क़ी," आते जाते समय तथा अपने कर्तव्य- कर्म करते समय नाम जाप करते रहने से कार्य की सफलता पक्की हो जाती है".
करिये गमनागम के काल, राम जाप जो करता निहाल.
राम राम भज कर श्री राम, करिए नित्य ही उत्तम काम
जितने कर्तव्य कर्म कलाप , करिए राम राम कर जाप
सच पूछिये तो हमारा कार्य-सिद्धि का सूत्र होना चाहिए ,
काम करता रहूं , नाम जपता रहूँ = तन से सेवा करूं ,मन से सिमरन करूं
नाम जपता रहूं, काम करता रहूँ.
श्री राम जय राम जय जय राम.
निवेदक: व्ही. एन. श्रीवास्तव "भोला"
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें