कुछ उपयोगी सूत्र
डोक्टर विश्वास वर्मा के सौजन्य से
जब आप यह संदेश पढ़ेंगे ,भारत में १६ जूलाई २०१० का सवेरा हो ही गया होगा और विश्व में जहाँ कहीं नही हुआ होग़ा थोड़ी देर में हो ही जायेगा. अस्तु चलिए ह्म आज जन्मे सभी व्यक्तियों को, एक साथ बधाई दे दें .हाँ आपके नक्कारखाने में मैं भी अपनी हल्की फुल्की तूती की आवाज़ जोड़ ही दूं. so let us say HAPPYBIRTHDAY to all PERSONS born on this big day Dear ones. but let me have the liberty to say THANK YOU on behalf of all who share this day.
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हो चुकी हल्की फुलकी बातें.आइये अब कुछ गम्भीर बातें हो जाएँ .चलिए सागर तट पर बालू के किले बनाने के बजाय ह्म सीपियों में से अनमोल मोती निकालें. मुझसे तो यह सपरेगा नहीं इसलिए उन बच्चों से ही मदद ली जाये जिन्होंने राम परिवार के पितामह से अपने शैशव में आध्यात्म की शिक्षा पायी है..
जब आप यह संदेश पढ़ेंगे ,भारत में १६ जूलाई २०१० का सवेरा हो ही गया होगा और विश्व में जहाँ कहीं नही हुआ होग़ा थोड़ी देर में हो ही जायेगा. अस्तु चलिए ह्म आज जन्मे सभी व्यक्तियों को, एक साथ बधाई दे दें .हाँ आपके नक्कारखाने में मैं भी अपनी हल्की फुल्की तूती की आवाज़ जोड़ ही दूं. so let us say HAPPYBIRTHDAY to all PERSONS born on this big day Dear ones. but let me have the liberty to say THANK YOU on behalf of all who share this day.
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हो चुकी हल्की फुलकी बातें.आइये अब कुछ गम्भीर बातें हो जाएँ .चलिए सागर तट पर बालू के किले बनाने के बजाय ह्म सीपियों में से अनमोल मोती निकालें. मुझसे तो यह सपरेगा नहीं इसलिए उन बच्चों से ही मदद ली जाये जिन्होंने राम परिवार के पितामह से अपने शैशव में आध्यात्म की शिक्षा पायी है..
लखनऊ के एक शिशु ने चुने हैं ऐसे कुछ अनमोल रत्न जो ह्म आप की सेवा में प्रेषित कर रहे हैं.
आज की संवेदना, विचार एवं चिंतन के परिप्रेक्ष्य में डॉक्टर विश्वास वर्मा (शिशु)ने बहुत ही उपयोगी सूत्रों का निरूपण किया है ,जिनका उपयोग यदि ह्म प्रतिदिन के अपने कार्य -कलाप में और आचार-विचार -व्यवहार में कर सकें तो सहज रूप में जीवन को सार्थक बनाने में सफल हो सकते हैं
१-यदि हर काम यह समझ कर किया जाए की ईश्वर मेरा साथी है या ईश्वर मेरे साथ है , तो असंभव कार्य भी संभव हो जाता है/
१-यदि हर काम यह समझ कर किया जाए की ईश्वर मेरा साथी है या ईश्वर मेरे साथ है , तो असंभव कार्य भी संभव हो जाता है/
२- कभी कभी हम दूसरों को बदलने के लिए बाध्य कर देते हैं, क्योंकि हम चाहते हैं की वह वैसे ही बनें जैसा हम चाहते हैं/ तो उस जगह पर अपने आप को रख कर सोचें..की जो भी हम कर रहे हैं क्या सही है/
३ प्रत्येक का जीवन अपार अनुभवों से होकर गुज़रता है....जिसमें कुछ गुणों को ग्रहण करना पड़ता है और कुछ क़ी अवज्ञा करते हुए उन्हें त्यागना पड़ता है./.
४ मेनेजमेंट में स्वयं का प्रबंधन (self management )करो ;यह कहना जितना सरल एवं सहज है ,उतना ही अपने जीवन में उतारना अत्यंत जटिल है इसके लिए आवश्यक है क़ी बच्चों को शैशव से ही कुछ न कुछ सिखाया जाये...मैनेजमेंट(management ) कई प्रकार के होते हैं जिसमें सबसे प्रबल है- स्व-मैनेजमेंट (स्वयं का मैनेजमेंट अर्थात self -management )-- ,जिसमें आवश्यक है
३ प्रत्येक का जीवन अपार अनुभवों से होकर गुज़रता है....जिसमें कुछ गुणों को ग्रहण करना पड़ता है और कुछ क़ी अवज्ञा करते हुए उन्हें त्यागना पड़ता है./.
४ मेनेजमेंट में स्वयं का प्रबंधन (self management )करो ;यह कहना जितना सरल एवं सहज है ,उतना ही अपने जीवन में उतारना अत्यंत जटिल है इसके लिए आवश्यक है क़ी बच्चों को शैशव से ही कुछ न कुछ सिखाया जाये...मैनेजमेंट(management ) कई प्रकार के होते हैं जिसमें सबसे प्रबल है- स्व-मैनेजमेंट (स्वयं का मैनेजमेंट अर्थात self -management )-- ,जिसमें आवश्यक है
- 1- वाक् -अर्थात बोलना - मधुर बोलें, quality एंड quantity से भी ज्यादा important है ना बोलें /
- २-silence को हमेशा कमजोरी समझा जाता है..परन्तु silence कहीं ज्यादा powerful है, वाणी से /
- ३- श्रवण (try to be a good listener )..जबकि हो सकता है अपने interest का विषय ना हो /
- ४-अपनी नित्य क्रिया - सुबह प्रतिदिन एक समय पर उठना, शौच जाना,व्यायाम करना, भोजन करना, आराम करना,,इत्यादि ...और आप यह अनुभव करेंगे की आपका शरीर आपका मन ...आपके अनुसार tune हो गया है..
जब युक्त सोना जागना आहार और विहार हों|
हो दुक्ख्हारी योग जब परिमित सभी व्यवहार हों (अध्याय ६ श्लोक १७ )
इसलिए ह्म आज ही प्लान करें कल का कार्यक्रम और उसे लिखें planner में या अपने mobile मेंऔर समय सारिणी बनाएं .और उसके अनुसार कार्य करें तभी .इस निजी मेनेजमेंट को साध कर श्रीमद्भगवद्गीताके अनुसार अपने मित्र बन कर अपना जीवन सार्थक कर पाएंगे
उद्धार अपना आप कर निज को न गिरने दे कभी
नर आप ही है शत्रु अपना आप ही है मित्र भी (अध्याय ६ श्लोक ५ ) --------- -------------------------------------------------------------------------------------------------------
कल से पुनः श्री श्री माँ आनंदमयी की कृपा कथा सुनाउंगा
निवेदक: व्ही, एन. श्रीवास्तव. "भोला"
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