जय माँ जय माँ
श्री श्री माँ आनंदमयी की कृपा
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जब जागेगी हृदय में, राम मिलन की चाह
स्वयम प्रगट हो संत जन ,दिखलायेंगे राह
अनायास आकर गुरू ,पकड़ तुम्हारा हाथ,
परम धाम ले जायेंगे ,तुमको अपने साथ
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जब जागेगी हृदय में, राम मिलन की चाह
स्वयम प्रगट हो संत जन ,दिखलायेंगे राह
अनायास आकर गुरू ,पकड़ तुम्हारा हाथ,
परम धाम ले जायेंगे ,तुमको अपने साथ
ह्मारे गुरुदेव, प्रातःस्मरणीय ब्रह्मलीन श्री स्वामी सत्यानन्द जी महाराज ने अपने उपदेशों एवं रचनाओं में समवेत भजन-कीर्तन गायन तथा सिद्ध- संत-परिवेश में धरती पर प्रगटे दिव्य-आत्माओं के दर्शन एवं सत्संग की महिमा पर प्रचुर प्रकाश डाला है.स्वामी जी के बाद ,श्री प्रेम जी महाराज एवं वर्तमान सद्गुरु डोक्टर विश्वमित्र जी महाराज ने भी साधकों के चारित्रिक और आध्यात्मिक विकास के लिए जीवन में अधिकाधिक सिद्ध संतो का संग - सत्संग ,करने पर जोर दिया है स्वामी जी महाराज ने कहा है क़ी सत्संग में बैठने तथा अपने इष्ट का नाम जाप करने से ,साधक को मन वांछित फल मिलता है. :
सच्चे संत की सरन में बैठ मिले विश्राम ,
मन माँगा फल तब मिले जपे राम का नाम.
गुरुदेव श्री डाक्टर विश्वमित्र जी महराज अपने प्रवचन में वर्तमान समय के सच्चे- सिद्ध संत जनों का उल्लेख करते हुए कभी कभी ब्रह्मलीन स्वामी अखंडानंद जी महराज ,स्वामी शरनानंद जी महाराज एवं श्री श्री माँ आनंदमयी का नाम बड़े प्रेम और अतीव श्रद्धा से लेते हैं .
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श्री श्री माँ आनंदमयी की कृपा दृष्टि का निज अनुभव :-
उस शाम श्री माँ ने जो बात केवल मुझसे कही थी,वो सविस्तार अपने सात जुलाई से ९ जुलाई के संदेशों में लिख चुका हूँ.फिर भी याद दिलादूँ,क़ी श्री माँ ने वह वार्ता किस वाक्य से शुरू की थी.माँ ने कहा था , "पिता जी सारा दीन सोई (signature)करता है ?"आपको याद आगया होग़ा. यदि नही तो
प्लीज़ पुराने ७ से ९ जुलाई २०१० ,तक के मेरे संदेश फिर पढ़ लीजियेगा.
माँ के उस शाम के प्रवचन ने मुझे विश्वास दिला दिया क़ी माँ अपूर्व /दिव्य शक्तियों से भरपूर हैं , माँ त्रिकाल दर्शिनी हैं साधकों उपासकों सेवकों और वास्तविक भक्तों के प्रॉब्लम ,उनके प्रश्न / उनकी चिंता के विषय और उनके कारण,तथा समाधान की विधी ,माँ सब कुछ बिना पूछे ही जान लेती हैं. आपने देखा ही कैसे जब ह्म पंडाल में घुस तक नहीं पा रहे थे श्री माँ ने हमे अपने पास बुला कर इतने निकट बैठा लिया और कितनी लगन से और मन लगाकर उन्होंने ह्मारे भजन कीर्तन सुने (केवल सुने ही नहीं वरन ह्मारे स्वर में स्वर मिला कर ह्मारे साथ साथ गाये भी -जैसा अनेक प्रत्यक्ष दर्शियों ने हमे बाद में बताया ) जितनी देर ह्म वहाँ बैठे रहे माँ के स्नेहिल आशीर्वाद की अमृत वर्षा ह्म पर होती रही.
कार्यक्रम के समापन पर एलान हुआ क़ी अगले दिन वृन्दाबन के गोस्वामी जी की पार्टी रास लीला प्रस्तुत करेगी. ह्म ने मन बना लिया क़ी ह्म सब अगले दिन भी वहाँ जायेंगे.रास लीला के बहाने एक बार फिर माँ का दर्शन होग़ा सबसे बड़ी लालच यह थी..प्रियजन, अभी इतना ही ,कल का हाल कल बताउंगा . फ़िलहाल राम राम..
निवेदक: व्ही. एन. श्रीवास्तव "भोला"
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