जन्म से लेकर आज तक हम केवल उस प्रभु की कृपा के सहारे ही जी रहे हैं और उस पल तक जीते रहेंगे जिस पल तक वह पालनहार हमें जीवित रखना चाहता है। परमात्मा द्वारा निश्चित पल के बाद हम एक सांस भी नहीं ले पाएंगे, प्राण पखेरू अविलम्ब नीड़ छोड़ उड़ जायेगा, सब हाथ मलते रह जायेंगे।
अपना यह जन्म मरण का चक्र चलता ही रहेगा। पिछले जन्मों के प्रारब्धों का बोझ ढोते ढोते हम थक गए हैं। हमें इससे छुटकारा पाना है। इसके लिए विशेष प्रयास करने हैं। ये प्रयास कैसे होंगे आधिकारिक तौर पर मैं (-आप जेसा ही एक साधारण मानव ) कुछ भी कह पाने की क्षमता नहीं रखता। इस समस्त जीवन में बचपन से आज ८१ वर्षा की अवस्था तक जो कुछ भी गुरुजनों से सुना है, सीखा है उसमे से जितना कुछ अभी तक याद है वह सब का सब आप की सेवा में पेश करना चाहता हूँ।
इसमें मेरे दो निहित स्वार्थ हैं, पहला ये कि आप से बात करने में मैं असंख्य बार अपने प्यारे प्रभु को याद करूँगा और "हमारी याद" "उनकी दया" में रूपांतरित हो मुझे प्राप्त होगी। मेरा दूसरा स्वार्थ है कि इसे पढने वाले जब पढ़ते पढ़ते "अपने प्रभु" को याद करेंगे उनका भी कल्याण होगा ही होगा ।
1947 में अपने बी. एच. यू. दिनों के दौरान एक मंगलवार को वहां संकट मोचन मंदिर में, मुझे एहसास हुआ कि हनुमान जी को प्रसन्न करने और परम विश्राम पाने के लिए व्यक्ति को हनुमान जी के इष्ट राम जी की स्तुति में गाना होगा। श्री रामजी की स्तुति ही श्री हनुमान जी को संतुष्ट करती है। मैंने इस अभ्यास को अपनाया और उसके बाद आनंद ही आनंद उठाया।
उस दिन हमने "श्री राम चन्द्र कृपालु भज मन" का पाठ किया, उसके बाद (हमारे रामजी से रामराम के साथ) श्री हनुमान चालीसा का पाठ किया और अंत में मानस के समापन दोहे "पाई न केहि गति पतित पवन राम भज सुनु शठ मना" का पाठ किया, जिसे हम हमेशा हनुमान चालीसा के बाद में पढ़ते थे।
मेरे पास उन अवसरों की एक बड़ी सूची है जब महावीर जी हनुमान ने मुझे विपत्तियों से बचाया। उनके बारे में बाद में बात करेंगे ।
भगवान आपका भला करे!
GOD Bless you!
2 टिप्पणियां:
जय जय श्री राम
आपका लेख पढ़कर हम और अन्य ब्लॉगर्स बार-बार तारीफ़ करना चाहेंगे पर ये वर्ड वेरिफिकेशन (Word Verification) बीच में दीवार बन जाता है.
आप यदि इसे कृपा करके हटा दें, तो हमारे लिए आपकी तारीफ़ करना आसान हो जायेगा.
इसके लिए आप अपने ब्लॉग के डैशबोर्ड (dashboard) में जाएँ, फ़िर settings, फ़िर comments, फ़िर { Show word verification for comments? } नीचे से तीसरा प्रश्न है ,
उसमें 'yes' पर tick है, उसे आप 'no' कर दें और नीचे का लाल बटन 'save settings' क्लिक कर दें. बस काम हो गया.
आप भी न, एकदम्मे स्मार्ट हो.
और भी खेल-तमाशे सीखें सिर्फ़ "टेक टब" (Tek Tub) पर.
यदि फ़िर भी कोई समस्या हो तो यह लेख देखें -
वर्ड वेरिफिकेशन क्या है और कैसे हटायें ?
eguru rajiv ji dono tipparion ke liye hardik dhanyavaad . dekhiye merii pahlii kathinaayii ye hai ki main aap tak devnagirii me nahin pahunch paa rahaa hun
suvidhaayen sab hongi se hampar krupaa kar sujhaav dete rahen i par 81 versh puraani merii aankhe unhe dekhne me asamarth hain.
Yah bhi nahi janta ki aap tak mera yah sandesh pahunch bhi yaa nahi. aaj to ittefaaq se aapkii tipparion ke darshan ho gaye. yahi to hai unkii krupaa. hai naa? Sab par aisii hii ,sri raam krupaa sadaa banii rahe "bhola-krishnaa"
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