हनमत कृपा- निज अनुभव
गतांक से आगे.
गतांक से आगे.
कहते हैं क़ी असाध्य से असाध्य रोगों के इलाज में अक्सर "दवा" से कहीं ज्यादा कारगर होती है "दुआ". प्रियजन,कुछ फर्क नहीं पड़ता ,इस बात से क़ी वह दुआ कौन कर रहा है .दुआ करने वाला चाहे कोई विश्व विजयी शहेंशाह हो अथवा शेरशाह सूरी मार्ग की पटरी पर बनी झोपड़ी में मरणासन्न पड़े अपने एकलौते बच्चे के लिए दुआ कर रहा पत्थर तोड़ने वाला एक निरधन मजदूर.,इतिहास गवाह है क़ी उस पाक परवर दिगार ने किसी को भी अपने दर से खाली हाथ नहीं लौटाया है.
आपकी दुआ कबूल करने के लिए ,उस औघड़ दानी भगवान की कुछ शर्तें हैं.पहली यह क़ी आपकी "दुआ" ,विशुद्ध "प्यार" से लबरेज़ भरे पैमाने से छलकी ,एक सच्चे-साफ=सुधरे हृदय की पुकार होनी चाहिए. आप किसी को कष्ट देने के लिए नहीं बल्कि किसी के कष्ट निवारण के लिए दुआ कर रहे हों.आप जीवन में "परम सत्य "का पालन करते हों.और आपको उस परम कृपालु "प्रभु" की अहेतुकी कृपा पर अटूट "विश्वास" हो. अगर ऐसा है, तो आपकी दुआ ज़रूर कबूल होगी. असाध्य से असाध्य रोगों के निवारण के लिए ऎसी दुआ "राम-बाण" सदृश्य अचूक सिद्ध होगी.
आप मुझे ही देख लीजिये.मेरे लिए भारत के डाक्टरों ने,शुरू में ही हाथ धो लिए थे पर यू.एस. से पिछली ३-४ वर्ष की मेडिकल हिस्ट्री देखने और वहाँ डाक्टर कंसल्ट करने के बाद उनका आत्म विश्वास जागा,और उन्होंने सच्ची लगन से इलाज चालू किया.कामयाब भी हुए लेकिन उस कामयाबी में दुआओं का कितना हाथ है वह मैं धीरे धीरे बताउंगा. अभी इस पल के अपने उदगार पेश कर रहा हूँ .
आप मुझे ही देख लीजिये.मेरे लिए भारत के डाक्टरों ने,शुरू में ही हाथ धो लिए थे पर यू.एस. से पिछली ३-४ वर्ष की मेडिकल हिस्ट्री देखने और वहाँ डाक्टर कंसल्ट करने के बाद उनका आत्म विश्वास जागा,और उन्होंने सच्ची लगन से इलाज चालू किया.कामयाब भी हुए लेकिन उस कामयाबी में दुआओं का कितना हाथ है वह मैं धीरे धीरे बताउंगा. अभी इस पल के अपने उदगार पेश कर रहा हूँ .
ह्म जी रहे हैं क्यूंकि जिलाया है आपने
भर भर के "जामे प्यार" पिलाया है आपने
जब काम न आये कोई औषधि कोई दुआ,
तब "प्यार" को"उपचार" बताया है आपने.
क्या किस्को और चाहिए जब आप मिल गये,
हर व्यक्ति में "श्री राम" दिखाया है आपने
सब प्यार करें सबको "तुम्हारा" स्वरूप मान
हरजन को ही भगवान बनाया है आपने
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प्रियजन,उपरोक्त तुकबंदी में "आपने"शब्द का प्रयोग उस सर्व व्याप्त ब्रह्म के लिए किया गया है,जिसमे ह्म-आप और सारी मानवता ,सारा "राम परिवार" सम्मिलित है..
क्रमशः
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निवेदक: व्ही. एन. श्रीवास्तव."भोला"
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प्रियजन,उपरोक्त तुकबंदी में "आपने"शब्द का प्रयोग उस सर्व व्याप्त ब्रह्म के लिए किया गया है,जिसमे ह्म-आप और सारी मानवता ,सारा "राम परिवार" सम्मिलित है..
क्रमशः
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निवेदक: व्ही. एन. श्रीवास्तव."भोला"
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