बुधवार, 25 अगस्त 2010

JAI JAI JAI KAPISOOR ( Aug.25,'10)

हनुमत कृपा -निज अनुभव 
गातांक से आगे 

म्रेरे परम प्रिय पाठक गण ,


आज तो हद्द ही हो गयी.,कम्पुटर बाबा ने शराफत की धज्जियां उड़ा कर दो बार मेरा लिखा  लिखाया सदेश गार्बेज में डाल दिया.  ज़रा देखिये महाशय को उनकी ही उम्र  के इस बुज़ुर्ग पर तनिक भी दया  नहीं आयी.


मुश्किल ये है क़ी मैं इसकी शिकायत करूं भी तो किससे करूं. ,मुझ सा असहाय जिसका इस संसार में एक मात्र सहारा उसका  "इष्ट देव" ही  है ,जब इष्ट ही  मेरे कम्प्यूटर बाबा से मिल कर मुझे सताने की ठान चके हैं तब मेरी मदद और कौन कर सकता है.


हाँ मुझे इसका तो पूरा भरोसा है  क़ी मेरे  "वह" कभी भी किसी पर कोई अन्याय नहीं कर सकते हैं . अवश्य ही ,मैं स्वयम कुछ गलत कर रहा हूँ और "वह" मेरे उस अपराध की सज़ा मुझे दे रहे हैं 


मेरे प्रभु !"मुझे स्वीकार है जो भी सज़ा आप  मुझे देना चाहे बखुशी दें  ".


 प्रिय पाठकों से क्षमा याचना करता हूँ 


कल पुनः हाज़िर होऊंगा 
निवेदक:-व्ही. एन. श्रीवास्तव "भोला"

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