बुधवार, 2 मार्च 2022

कड़ुए-मीठे फलों का मधुर अनुभव

परिवार के साथ संगीत संध्या, विवाह-प्रस्ताव, विविध मनोरंजन की मौज मस्ती में दिन बिताते हुए धीरे धीरे गरमी की छुटियाँ खत्म होने को आईं, पर मेरा परीक्षाफल नहीं आया । लोगों ने राय दी कि बनारस कौन दूर है, मैं वहीं जा कर रिजल्ट देखूँ और आगे "एम टेक " की पढाई के लिए वहीं एडमिशन फॉर्म भर कर सबमिट कर दूँ ।

बनारस पहुंच कर सबसे पहले हनुमान जी के दर्शन करने संकटमोचन मन्दिर गया । उस दिन मैंने बहुत श्रद्धा भक्ति से संकटमोचन की आराधना की । पूरे जोर शोर से हनुमान चालीसा का पाठ पूरा करके जब मैंने आँखें खोली तो देखा कि मन्दिर के महंत जी हाथों में एक माला और प्रसाद का दोना लिए मेरे सन्मुख खड़े हैं । मेरे सिर पर आशीर्वाद का हाथ फेरते हुए उन्होंने मुझसे कहा "बेटा । तुम ने बड़ी श्रुद्धा से पाठ किया । बेटे, ये देखो मेरे रोंगटे अभी तक खड़े हैं, इतना रोमांच हुआ है मुझे । अवश्य ही संकटमोचन हनुमान जी तुम पर बहुत प्रसन्न हैं । वह असीम कृपालु हैं, तुम्हारा कल्याण सुनिश्चित है । तुम्हारी मनोकामना अवश्य पूरी होगी ।" इतना कह कर उन्होंने मूर्ति के चरणों से उठाई गेंदे के फूलों की माला मेरे गले में ड़ाल दी और अपने हाथ से पेड़े का मधुर प्रसाद मुझे दिया । मैं गदगद हो गया ।

परीक्षा में उत्तीर्ण होने के लिए और सुपर डीलक्स "कार"वाली देवी से,  "उसने कहा था" के लेखक गुलेरी जी के शब्दों में, "कुडमाई" के लिए यानी कि अपनी और उनकी "सगाई" के लिए मुझे इन दुआओं और आशीर्वादों की सख्त ज़रूरत थी । परीक्षा में प्रेक्टिकल और लिखित सारे पर्चे बहुत ही अच्छे हुए थे । संकटमोचन महाबीर जी की कृपा से उच्च श्रेणी में सफल होने की पूरी आशा थी और उसी के साथ जुडा था मेरा उन देवीजी का जीवन साथी बन जाना इसलिए मन्दिर में मिले आशीर्वादों ने मेरे मन को प्रसन्नता से भर दिया था । मेरी सारी मनोकामनाएं अवश्य ही पूरी होंगी, मुझे इसका पूरा भरोसा हो गया ।

भयंकर भूख लग रही थी, मन्दिर से निकल कर सीधे यूनिवर्सिटी के गेट के पास मद्रासी अइयर जी की नयी केन्टीन में गया । गर्म साम्भर, गरी की चटनी, शुद्ध देसी घी और गन पाउडर के साथ इडली और मसाल दोसा खाकर, मिर्ची की जलन मिटाने के लिए पश्चिमी पंजाब से बटवारे के बाद भारत आये पुरुषार्थी रिफ्यूजी गुरुचरण सिंह के ठेले पर बड़े वाले अमृतसरी गिलास भर लस्सी का सेवन किया । आत्मा और उदर दोनों ही तृप्त हो गये । खा पीकर साईकिल यूनिवर्सिटी के सेन्ट्रल ऑफिस की और बढा दी । रजिस्ट्रार ऑफिस के नोटिस बोर्ड पर उस दिन B. Met., B.Pharm, B Sc. (Geology) के रिजल्ट तो लग गये थे, कॉलेज ऑफ़ टेक्नोलोजी के रिज़ल्ट नहीं थे । निराश हो कर कमरे में लौट आया । कल तक इंतज़ार करना पड़ेगा ।

हम मोर्वी हॉस्टल के कमरे में, चौकीदार को पटा कर गैर कानूनी ढंग से ठहरे थे । उस कमरे में बिना पंखे के जून की गर्मी को झेलते हुए गरम रात कितनी मुश्किल से कटी यह बयान करना कठिन है । लकड़ी के तख्त पर करवटें बदलते बदलते, मेरी आँखों के सामने यूनिवरसिटी में बिताये पिछले दो वर्षों में घटीं सभी महत्वपूर्ण घटनाएँ एकएक कर, चलचित्र के समान आती जाती रहीं । नयी रिलीज़ होने जा रही फिल्म के प्रोमोज की तरह, कानपुर में उन "कार" वाली कन्या के साथ अपने इंटरव्यू के दृश्य तथा उनकी कार का दृश्य बार बार सामने आता जाता रहा ।

जितना मैंने चाहा कि वो कत्ल की रात जल्दी कट जाये वह उतनी ही लम्बी हो गयी । उस समय मन में बस एक आकांक्षा थी कि जल्दी से सबेरा हो जाये और मैं बी. एच. यू. के रजिस्ट्रार ऑफिस के नोटिस बोर्ड पर अपना रिजल्ट देख लूं, तार से बाबूजी को खुशखबरी भेजूँ और बाबूजी उस "कार वाली" बिना बाप की बिटिया का उद्धार करने के लिए उसके घर समाचार भेजें, मगनी और ब्याह की, तारीखें फटाफट तय हो जाएँ, और कार वाली कन्या के पोलिटीशियंन भैया मुझे विवाह से पहले ही दिल्ली में सरकार के किसी मिनिस्टर पर जोर डाल कर कोई जबरदस्त जॉब दिलवा दें और फिर मुझे एक इम्पोर्टेड मौरिस मायनर, हिलमन, या वौक्स्हाल कार के साथ वह कार वाली कन्या भी मिल जाये । घंटे दो घंटे को जो नींद आयी उसमें भी सपने में इम्पोर्टेड गाड़ियाँ और उनमें मेरे बगल में बैठीं वो कन्या दिखाई देती रहीं । कितना लालची और मतलबी होता है मानव ? अपनी किशोरावस्था में मैं भी वैसा ही था ।

जैसे तैसे सबेरा हुआ । नहा धोकर सबसे पहले, बी. एच. यू. के प्रांगण में बने बाबा विश्वनाथ के मन्दिर की ओर दोनों हाथ जोड़ कर प्रणाम किया और फिर ब्रोचा हॉस्टल के साथ वाली केन्टीन में चाय टोस्ट का नाश्ता कर के सीधे रजिस्ट्रार ऑफिस की ओर चल दिया । नोटिस बोर्ड के आगे भीड़ लगी थी । धक्कम धुक्का मची थी वहां । मैं एक खाली बेच पर बैठ कर भीड़ छटने की प्रतीक्षा करने लगा । 

अवसर पाते ही इस आशा में कि मेरा रोल नम्बर फर्स्ट डिवीजन वालों में छपा होगा मैंने अपनी लिस्ट का ऊपरी हिस्सा बार बार पढ़ा - उसमे मेरा नम्बर नहीं मिला । थोड़ी निराशा हुई । लिस्ट में नीचे सेकण्ड डिवीज़न वालों की लम्बी नामावली में अपना नम्बर ढूढने का प्रयास किया, एक बार फिर निराश हुआ । बार बार, अनेकों बार उस लिस्ट को खंघाला, पर उस लिस्ट में मेरा रोल नम्बर कहीं भी नहीं मिला ।

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