शुक्रवार, 11 मार्च 2022

अर्थोपार्जन की राह का नया मोड़

जीवन हर दिन नए लक्ष्य, नए आयाम, नयी चनौती ले कर कभी भी आ सकता है, यदि सही दिशा चुनने का साहस हो, संकल्प हो, दृढ़ निश्चय हो, पुरुषार्थ करने का आत्मबल हो, वह भी ऐसा बल और संकल्प हो जो तेज हवाओं से न बिखरे, चट्टानों से न रुके, तो सकारात्मक कार्यों में सफलता अवश्य मिलती है । 

अपने इष्टदेव की असीम अनुकम्पा से अगस्त १९६७ में मैं एक्सपोर्ट इंस्पेक्शन एजेंसी, दिल्ली के ऑफिस में डिप्टी डायरेक्टर के पद पर नियुक्त हुआ और परम पिता परमात्मा की आज्ञा से पूरी निष्ठा और ईमानदारी के साथ अपनी जिम्मेदारियों को सम्भालने लगा । कानपुर के हार्नेस फैक्ट्री के माहौल से भिन्न इस ऑफिस का माहौल, नया मोड़, नया लक्ष्य, नयी कार्यप्रणाली, नयी विधाएँ । किसने दी विवेक बुध्दि, किसने दिखायी सही राह, किसने किया यथोचित मार्ग-दर्शन, किसका आश्रय ले कर मैं इस अफसरी की दुनिया में निरन्तर प्रगति-पथ पर बढा, किसने मजबूत ढाल बन कर, कवच बन कर सदा मेरी रक्षा की । 

वह मेरा सर्वसमर्थ सर्वशक्तिमान आराध्यदेव ही तो था, जिसके सहारे और जिसके प्रताप से मैं आजीविका अर्जन की कर्मभूमि पर १९५० में एक लिपिक से अस्थायी काम प्रारम्भ कर विभिन्न सीढियां चढ़ते हुए उत्तर प्रदेश का एक प्रसिद्ध नागरिक बनने का श्रेय पा कर रिटायर्ड हुआ ।

नया मोड़, हाँ नया मोड़ ही तो था । सरकारी नौकरी में १६ वर्ष गवर्नमैंट हार्नेस एंड सैडलरी फेक्ट्री, कानपुर से आगे के १६ वर्ष एक्सपोर्ट इंस्पेक्शन कौंसिल की सेवा का मोड़, रक्षा मंत्रालय से वाणिज्य-व्यापार उद्योग मंत्रालय से सम्बद्ध होने पर, फेक्ट्री की गतिविधियों और कार्य प्रणाली से मंत्रालय के काम काज में नया मोड़, कानपुर में स्थापित मिलों के धुंए और धूल से भरी हवाओं की जगह पर दिल्ली के महानगररीय वातावरण में परिवर्तन, अपने पैतृक घर को छोड़ कर किराए के घर में परिवार सहित रहने के अनुभव का नया मोड़, साइकिल से फैक्ट्री जाने की जगह पर अपनी कर से ऑफिस जाने और गंगातट पर गंगा जी को निहारते हुए पारिवारिक आमोद-प्रमोद में बदलाव, दिल्ली में बाल भारतीय पब्लिक स्कूल में एडमीशन मिलने से उनकी प्रारम्भिक शिक्षा में महत्वपूर्ण मोड़ -- हमारे और हमारे परिवार पर बरसती हुई आराध्य देव, कुलदेव की अनवरत कृपा का ही प्रसाद है । 

मुझे गर्व है इसका कि हमारे प्यारेइष्ट ने जो, "कारण बिनु कृपालु हैं " और जो स्वभाव वश ही, "करहि सदा सेवक सन प्रीती", उन्होंने मेरी सेवकाई स्वीकार की और आजीवन हम पर कृपालु बने रहे । "वह" सर्वदा मुझे सुबुद्धी और विवेक प्रदान करते रहे ।

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