मंगलवार, 15 जून 2010

NIJ ANUBHAV

मंगलवार  १५ जून  २०१० 
निज अनुभव 
आत्म निवेदन 
हे संकटमोचन ,विक्रमबजरंगी ,महावीर हनुमानजी    
तुमने जीवन भर मुझ पर अपनी अहैतुकी कृपा की अमृत वर्षा की है  .मैं पल पल केवळ   तुम्हारी करुणा के सहारे ही जिया हूँ. एक एक क्षण स्मरणीय है  उन्में  से किन किन को याद करूँ,किन्हें भुलाऊं समझ नहीं पा रहा हूँ  . अस्तु हे कुलदेव ,अपनी कृपा बनाये रहो . नाथ ,मेरा मार्ग  दर्शन करते रहो  मुझे याद दिलाते रहो ,मुझे प्रेरणा देते रहो. 
 कृपा करो कुलदेव ह्म पर कृपा करो 
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जीवन बचा हुआ है मेरा  हे कपि तेरी कृपा नजर से 
तूने मग में ज्योति जगा कर .हमें बचाया सघन तिमिर से.

मैं कुछ जान न पाया ,तुमने निज इच्छा से अस्त्र सम्हाले 
आने वाले संकट मेरे ,आने से पहले ही टाले  

सच कहता हूँ , हे प्रभु मैं तो तुमको उसपल भूल गया था 
अपनी बलबुद्धी के मद में तब मैं इतना फूल गया था  

क्या होता ,मेराप्रभु ,यदितुम ,मुझपर तत्क्षण कृपा न करते
मेरी परछाईं से भी तब ,शायद मेरे परिजन डरते. 

जीवन दान दिया क्यों मुझको  हे प्रभु ह्म यह समझ न पाये ,
इक्यासी का हुआ,करूं क्या ,ऐसा जो तेरे मन भाये

यही प्रेरणा हुई ,क़ि प्यारे ,तुम अपना अनुभव लिख डालो 
लाभान्वित हों सबजन ,ऎसी कथा कहो, हरि के गुन गा लो 

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प्रियजन. लीजिये कल से अब मेरे निज अनुभव सुनिए. जैसे जैसे, जो भी हमारे इष्ट देव 
श्री हनुमान जी हमें  याद दिलाते रहेंगे ह्म सुनाते रहेंगे .आप भी हमारी तरफ से प्रार्थना करें क़ि वह ह्म सब पर अपनी ऎसी ही कृपा सदा बनाये रखें
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निवेदक: -विश्वम्भर  श्रीवास्तव  "भोला"


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