निज अनुभव गाथा -- प्रथम कथा
हनुमानजी की सिफारिश से राम कृपा प्राप्ति
हनुमानजी की सिफारिश से राम कृपा प्राप्ति
गतांक से आगे
गुरुजन की मन्त्रणा और कुलदेवता श्री महावीर हनुमान जी के आशीर्वाद से ह्म आजीवन सही मार्ग पर चलने का प्रयास करते रहे.प्रभु कृपा से किसी प्रकार का कोई भी प्रलोभन हमें सत्य पथ से डिगा नहीं सका. ह्म अपना कर्तव्य पालन पूरी लगन से और उत्साह से "राम काज"समझ कर करते रहे. काम को ही हमने पूजा माना .कर्तव्य पालन ही हमारा धर्म बना रहा.
अपनी विदेश पोस्टिंग को भी मैंने "हरि इच्छा"मान कर सहर्ष स्वीकार कर लिया .सब से सलाह कर के ,पूरे परिवार ने एक मत हो स्वीकार किया क़ि वर्तमान परिस्थिति में हमारे लिए ऑफिस की " काजल क़ी कोठरी" से बाहर निकल जाना ही उचित है .सब जानते थे की ऑफिस के हमारे वे सहयोगी जिन्हें हमारी अनुशासन प्रियता से कष्ट है एक न एक दिन हमारे चरित्र पर काजल की एक रेख लगवा ही देंगे.
जब ऑर्डर आये उस दिन ही हमलोग हाजीअली के निकट स्थित अपने कुलदेवता महावीर श्री हनुमान जी के मन्दिर गये,उन्हें धन्यवाद देने. सच मानिये उनकी कृपा के बिना बोम्बे ऑफिस के दूषित वातावरण से हमें छुटकारा मिलना असंभव था.अपनी हार्दिक कृतज्ञता व्यक्त करते हुए ह्म सबने समवेत स्वर में हनुमान चालीसा का इतना भाव पूर्ण गायन किया क़ी वहां उपस्थित सभी भक्तजन गदगद होगये. पुजारी जी ने श्री हनुमान जी के आशीर्वाद स्वरूप उनके चरणों से दो फूल उठाकर ह्म दोनों के माथे से लगाये .ह्म धन्य धन्य हो गये. हमें अपने कुलदेव की आज्ञा मिल गयी .अस्तु,,,,,.
हमने बखुशी भारत छोड़ना स्वीकार किया .यह निर्णय लेने में हमारा पूरा परिवार हमारे साथ था.सबने पूरा सहयोग दिया. बच्चे निजी प्रयास से ही अपने स्कूल लीविंग और ट्रांसफर सर्टिफिकेट ले आये.कृष्णा जी के रिसर्च सुपर्वाईजर मान गये ,उन्हें विदेश में अपनी रिसर्च चालू रखने कीअनुमति उन्होंने दे दी. उधर मैंने विदेशी सरकार से डाइरेक्ट बात चीत कर बच्चों का एडमिशन उस देश के सबसे अच्छे स्कूल में करवा लिया . समय पर सब कुछ हो गया. विदेशी सरकार ने ह्म सातों के लिए एयर टिकेट भी तत्परता से भेज दिए.
तब तक हमारे पूरे परिवार ने कभी एक साथ हवाई यात्रा नहीं की थी. मेरा एक स्वप्न था क़ि मैं कृष्णा जी और बच्चों के साथ कभी हवाई जहाज़ से योरप अमेरिका जा सकूँ. ,उन्हें विश्व भ्रमण करवा पाऊँ. प्रियजन आप समझ सकते हैं क़ी उन दिनों ,भारत सरकार की, ईमानदारी से सेवा करने वाले अफसरों के लिए अपनी सीमित तनख्वाह में ऐसा कर पाना कठिन ही नहीं बल्कि असंभव था. पर मेरा वह सपना साकार हो रहा था . आप सोचकर देखें ,क्या इतने थोड़े समय में इतना सब कुछ हो जाना अंग्रेजी में जिसे कहते हैं "ह्यूमेनली पोसिबिल" है.? नहीं ना. यह सब हनुमान जी की सिफारिश पर श्री रामजी की कृपा से ही हुआ था..बताएँ क्यों .हमने चालीसा गायन में यह सम्पुट लगाया था .........
"हमारी ये अर्जी श्री राम को पहुँचइयो हनुमान
हमारे राम जी से राम राम कहियो हनुमान"
प्रियजन हनुमान जी ने हमारी अर्जी राम जी तक पहुंचा दी. राम कृपा होनी ही होनी थी . हो गयी. बोलिए "राम भक्त श्री हनुमान की जय "
निवेदक: व्ही.एन.श्रीवास्तव "भोला"
तब तक हमारे पूरे परिवार ने कभी एक साथ हवाई यात्रा नहीं की थी. मेरा एक स्वप्न था क़ि मैं कृष्णा जी और बच्चों के साथ कभी हवाई जहाज़ से योरप अमेरिका जा सकूँ. ,उन्हें विश्व भ्रमण करवा पाऊँ. प्रियजन आप समझ सकते हैं क़ी उन दिनों ,भारत सरकार की, ईमानदारी से सेवा करने वाले अफसरों के लिए अपनी सीमित तनख्वाह में ऐसा कर पाना कठिन ही नहीं बल्कि असंभव था. पर मेरा वह सपना साकार हो रहा था . आप सोचकर देखें ,क्या इतने थोड़े समय में इतना सब कुछ हो जाना अंग्रेजी में जिसे कहते हैं "ह्यूमेनली पोसिबिल" है.? नहीं ना. यह सब हनुमान जी की सिफारिश पर श्री रामजी की कृपा से ही हुआ था..बताएँ क्यों .हमने चालीसा गायन में यह सम्पुट लगाया था .........
"हमारी ये अर्जी श्री राम को पहुँचइयो हनुमान
हमारे राम जी से राम राम कहियो हनुमान"
प्रियजन हनुमान जी ने हमारी अर्जी राम जी तक पहुंचा दी. राम कृपा होनी ही होनी थी . हो गयी. बोलिए "राम भक्त श्री हनुमान की जय "
निवेदक: व्ही.एन.श्रीवास्तव "भोला"
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