शनिवार, 5 जून 2010

जय जय जगन्नाथ सुरधाम

गतांक से आगे
बाबाजी की तीर्थ यात्रा
श्री हनुमान जी द्वारा मार्ग दर्शन


श्री श्री जगन्नाथ पुऱी धाम के प्रति श्रद्धेय बाबा जी के हृदयोद्गार

जय जय जगन्नाथ सुरधाम

बहिनी संग पुऱी चलि आये किशन और बलराम.
तीनों के आये से बनि गयि जगन्नाथ सुखधाम..

गोकुल मथुरा बिंद्राबन तज गये द्वारिका धाम .
सब के छोड़ इहाँ चलि आये काहे हे घनश्याम ..

तनिको सुचला नाहि क़ि कैसे अइहें भगत तोहार.
जम्मू कोची मारवाड़ के सबल अबल नर नार..

नीलचक्र पर ध्वजा सुहाए मस्तक साजे तीरा.
गऊरंग चेतन नाचे बाह उठाय नयन भर नीरा..

हमरो ऊपर कृपा करा प्रभु दर्शनं दे द हमके.
बहुत दूर से हम अइनीहा आस पूरावह मन के..

बाबा जी ऐसे ही कुछ भोजपुरी पारम्परिक गीत गंगासागर से पुऱी के रास्ते में गुनगुनाते रहे.



निवेदन. व्ही एन श्रीवास्तव "भोला"

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