आगेप्रथम कथा- गतांक से
लाल देह लाली लसे अरु धर लाल लंगूर
जय जय जय कपि सूर
होटल की छत से पूरी राजधानी का सिंघावलोकन किया.दूर दूर तक लकड़ी के मकान हर मकान में दो दो तीन तीन गाड़ियाँ लेटेस्ट मॉडलकी जापानी कारें और इसके अतिरिक्त लगभग सभी मकानों के शिखर पर लहराते लाल झंडे.कौतूहल वश होटल के स्टाफ से जब पूछा तब पता चला क़ि वे झंडे कुम्युनिस्ट पार्टी के नहीं थे बल्कि उन हिन्दू धर्मावलम्बियों के थे जो सभी श्री हनुमान जी के उपासक थे और जिन्होंने अपने आंगन में अति आदर सहित अपने इष्ट की ध्वजा लगा रखी थी.
श्री हनुमान जी ने कृपा कर के हमें उस अमेरिकन देश में बुला लिया था जहां अनेकों घरों में रोज़ सुबह-शाम शंख नाद के साथ घंटे घडियाल बजते थे ,हनुमान चलीसा का पाठ होता था और हनुमान जी की आरती होती थी. आप अनुमान लगा सकते हैं क़ि भारत से हज़ारों मील दूर साऊथ अमेरिका में अपने चारों तरफ बजरंग बली की ध्वजा का दर्शन कर के हमें कितना आनंद आया .इस आशा से क़ि यहाँ घड़ी घड़ी सत्संगका लाभ मिलता रहेगा हम अपने आप को अतिशय धन्य और भाग्यवान पा रहे थे .जिस पोस्टिंग को हमारे सहयोगी हमारे लिए अभिशाप जान कर मन ही मन हर्षित थे और इसके उलटे ,इधर विदेश में हमारी ये पोस्टिंग हमें अति सुखद लग रही थी. एक विशेष आनंद की अनुभूति हमे वहां हो रही थी .जी करता था क़ि प्रभु के इस विशेष अनुग्रह के लिए हम उन्हें पल पल हार्दिक धन्यवाद देते रहें.
हाँ एयर पोर्ट में कस्टम क्लियरेंस के समय हमारा परिचय भारतीय मूल के एक कस्टम अधिकारी से हुआ था. उन्होंने हमें अपने घर डिनर पर आने की दावत दी ,वहाँ उनकी बेटी ने हमें भोजपुरी भाषा में एक अनसुना हनुमान भजन सुनाया . देश से इतनी दूर अपनी भाषा सुन कर हृदय द्रवित हो गया ,वह भाषा जो आज भारत में परिहास का विषय बनी हुई है और उपेक्षित है आज अमेरिका में इतने प्रेम से गायी जा रही है. वह भजन था:
जेकरा आगन में झूलेला झंडा श्री हनुमान के
ओकरा ना होखेला पीड़ा भव रोगन के बान से .
ओकर काज सबे बनि जाला,महाबीर गुन गाइ के
आवागमन छुड़ा दीहें ऊ भव सागर से तारि के.
राम दुआरा दूर अपारा , कइसे पहुँचीं जन बि सहारा
अर्जी सबके तू पहुंचा द , प्रभु के सब कर हाल बता द
भजन तुहार राम के भावे , राम सदा तुम्हरे गुन गावे
कृपा करो हे संकटमोचन अरज करें हम जल भर लोचन.
क्रमशः
निवेदक:व्ही.एन. श्रीवास्तव "भोला"
होटल की छत से पूरी राजधानी का सिंघावलोकन किया.दूर दूर तक लकड़ी के मकान हर मकान में दो दो तीन तीन गाड़ियाँ लेटेस्ट मॉडलकी जापानी कारें और इसके अतिरिक्त लगभग सभी मकानों के शिखर पर लहराते लाल झंडे.कौतूहल वश होटल के स्टाफ से जब पूछा तब पता चला क़ि वे झंडे कुम्युनिस्ट पार्टी के नहीं थे बल्कि उन हिन्दू धर्मावलम्बियों के थे जो सभी श्री हनुमान जी के उपासक थे और जिन्होंने अपने आंगन में अति आदर सहित अपने इष्ट की ध्वजा लगा रखी थी.
श्री हनुमान जी ने कृपा कर के हमें उस अमेरिकन देश में बुला लिया था जहां अनेकों घरों में रोज़ सुबह-शाम शंख नाद के साथ घंटे घडियाल बजते थे ,हनुमान चलीसा का पाठ होता था और हनुमान जी की आरती होती थी. आप अनुमान लगा सकते हैं क़ि भारत से हज़ारों मील दूर साऊथ अमेरिका में अपने चारों तरफ बजरंग बली की ध्वजा का दर्शन कर के हमें कितना आनंद आया .इस आशा से क़ि यहाँ घड़ी घड़ी सत्संगका लाभ मिलता रहेगा हम अपने आप को अतिशय धन्य और भाग्यवान पा रहे थे .जिस पोस्टिंग को हमारे सहयोगी हमारे लिए अभिशाप जान कर मन ही मन हर्षित थे और इसके उलटे ,इधर विदेश में हमारी ये पोस्टिंग हमें अति सुखद लग रही थी. एक विशेष आनंद की अनुभूति हमे वहां हो रही थी .जी करता था क़ि प्रभु के इस विशेष अनुग्रह के लिए हम उन्हें पल पल हार्दिक धन्यवाद देते रहें.
हाँ एयर पोर्ट में कस्टम क्लियरेंस के समय हमारा परिचय भारतीय मूल के एक कस्टम अधिकारी से हुआ था. उन्होंने हमें अपने घर डिनर पर आने की दावत दी ,वहाँ उनकी बेटी ने हमें भोजपुरी भाषा में एक अनसुना हनुमान भजन सुनाया . देश से इतनी दूर अपनी भाषा सुन कर हृदय द्रवित हो गया ,वह भाषा जो आज भारत में परिहास का विषय बनी हुई है और उपेक्षित है आज अमेरिका में इतने प्रेम से गायी जा रही है. वह भजन था:
जेकरा आगन में झूलेला झंडा श्री हनुमान के
ओकरा ना होखेला पीड़ा भव रोगन के बान से .
ओकर काज सबे बनि जाला,महाबीर गुन गाइ के
आवागमन छुड़ा दीहें ऊ भव सागर से तारि के.
राम दुआरा दूर अपारा , कइसे पहुँचीं जन बि सहारा
अर्जी सबके तू पहुंचा द , प्रभु के सब कर हाल बता द
भजन तुहार राम के भावे , राम सदा तुम्हरे गुन गावे
कृपा करो हे संकटमोचन अरज करें हम जल भर लोचन.
क्रमशः
निवेदक:व्ही.एन. श्रीवास्तव "भोला"
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