सिया राम के अतिशय प्यारे,
अंजनिसुत मारुति दुलारे,
श्री हनुमान जी महाराज
के दासानुदास
श्री राम परिवार द्वारा
पिछले अर्ध शतक से अनवरत प्रस्तुत यह

हनुमान चालीसा

बार बार सुनिए, साथ में गाइए ,
हनुमत कृपा पाइए .

आत्म-कहानी की अनुक्रमणिका

आत्म कहानी - प्रकरण संकेत

शुक्रवार, 23 अप्रैल 2010

हमारी "गुरु- माँ"

प्रभु कृपा का दूसरा दृष्टांत :-

हमे मानव जन्म देने की पहली "कृपा" के बाद "दूसरी कृपा",, जो प्रभु ने हम पर की .वह थी "माँ स्वरूप में गुरु" की प्राप्ति. व्यस्क होने तक "माँ" रूपी "यह गुरु" आजीवन , प्रति पल, हमारा मार्ग दर्शन करती रही .

हमारी "गुरु- माँ" -.

१८९५ में ब्रिटिश सरकार के एक समृद्ध पोलिस अफसर की ज्येष्ठ पुत्री के रूप में जन्मी,अम्मा ,का लालन पालन उनके पिता की सुदूर शहरों में पोस्टिंग के कारण बिहार में उनके पिता के खानदानी गाँव सुहिया में हुआ, जहाँ पहुचने के लिए मीलों तक बैलगाड़ी पर यात्रा करनी पडती थी.

१९३० के दशक में, ७-८ वर्ष की अवस्था में हम भी उस धूल भरी राह से अनेको बार वहां गये थे अम्मा का वह गाँव बिलकुल गंगा तट पर था और कुछ ऐसा अभिशाप था उस गाँव पर की वह वर्ष में दो बार उजड कर दुबारा बसता था ,क्यूंकि बरसात के मौसम में गंगा मईया उसे अपनी गोद में ले लेती थी . ऐसे में कैसी शिक्षा दीक्षा मिली होगी हमारी माँ को आप समझ सकते हैं. एक दिन को भी वह स्कूल नहीं गयीं . गाँव के ही एक साक्षर ब्राह्मण से अक्षर ज्ञान मिला उन्हें - केवल अक्षर ज्ञान. और फिर उस जमाने के रिवाजानुसार १०-१२ वर्ष की अवस्था में ही उनका विवाह हो गया (गवना ४-५ वर्ष बाद हुआ) उनके पति यानि हमारे बाबूजी जो लगभग हमारी अम्मा की ही उम्र के थे, उन दिनों बलिया सिटी के मिडिल स्कूल में पढ़ रहे थे.

"प्रभु" की इस महती कृपा से प्राप्त ,अपनी प्रथम गुरु -"अम्मा" से में आजीवन कुछ न कुछ सीखता ही रहा. पर सबसे महत्वपूर्ण जो सीखा, वह था अपने जीवन में "सत्य, प्रेम, करुणा तथा सेवा" का समावेश.....

क्रमश :.

भजन - संकटमोचन कृपानिधान


संकटमोचन कृपानिधान
जय हनुमान जय जय हनुमान
महावीर अतुलित बलवान
जय हनुमान जय जय हनुमान

अंजनि माता के नयनांजन
रघुकुल भूषण केसरीनंदन
ग्यारहवें रूद्र भगवान


जय हनुमान जय जय हनुमान

संकटमोचन कृपानिधान
जय हनुमान जय जय हनुमान
महावीर अतुलित बलवान
जय हनुमान जय जय हनुमान

सूर्य देव ने शास्त्र पढाया
नारद ने संगीत सिखाया
मारुत मानस की संतान

जय हनुमान जय जय हनुमान

संकटमोचन कृपानिधान
जय हनुमान जय जय हनुमान
महावीर अतुलित बलवान
जय हनुमान जय जय हनुमान

चार अक्षर का नाम है प्यारा
चारों जुग परताप तिहारा
त्रिभुवन को तुम पर अभिमान

जय हनुमान जय जय हनुमान

संकटमोचन कृपानिधान
जय हनुमान जय जय हनुमान
महावीर अतुलित बलवान
जय हनुमान जय जय हनुमान

तुमने राम के काम बनाये
लंका जारि सिया सुधि लाये
राम सिया पितु मातु समान

जय हनुमान जय जय हनुमान

संकटमोचन कृपानिधान
जय हनुमान जय जय हनुमान
महावीर अतुलित बलवान
जय हनुमान जय जय हनुमान

एक ही मंत्र जपो अविराम
श्री राम जय राम जय राम
राम तुम्हारे जीवन प्राण 

जय हनुमान जय जय हनुमान

संकटमोचन कृपानिधान
जय हनुमान जय जय हनुमान
महावीर अतुलित बलवान
जय हनुमान जय जय हनुमान

जो कोई तुम्हरी महिमा गावे
सहज राम के दर्शन पावे
दास को दो चरणों में स्थान 

जय हनुमान जय जय हनुमान

संकटमोचन कृपानिधान
जय हनुमान जय जय हनुमान
महावीर अतुलित बलवान
जय हनुमान जय जय हनुमान

मनोजवं मारुततुल्य वेगं
जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठं .
वातात्मजं वानरयूथ मुख्यं
श्री राम दूतं शरणम प्रपद्ये ..

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