जय जय श्री राम,
ज़रा सोंचिये , हम कितने सौभाग्यशाली हैं कि परमपिता परमात्मा ने हमें यह सुर दुर्लभ-मानव शारीर दिया है .इतना ही नहीं, हमारे जन्म से आज तक वह करुनानिधान लगातार हमारे ऊपर अपनी अहैतुकी कृपा वृष्टि किये जा रहे हैं . वह पग पग पर हमारा मार्ग दर्शन कर रहे हैं, हमे सद्बुद्धि ,विवेक और बल प्रदान क्रर रहे हैं जिसके द्वारा हम अपना यह जग-जीवन सफल कर रहे हैं. इसके अतरिक्त वह अपने वरद हस्त की क्षत्र -छाया में हमारे जीवन में समय समय पर आने वाली आपदाओं विपदाओं की अग्नि वर्षा से उसी प्रकार हमारी रक्षा कर रहे हैं जैसे अबोध बालक अपनी माँ की आँचल तले सुरक्षित रहते हैं ,
प्रियजनों, आइये हम अपने अतीत के पन्ने पलट कर देखे कि परमकृपालु परमात्मा ने (जिन्हें अपनी अपनी रूचि एवं श्रद्धानुसार हम श्री राम, श्री कृष्ण, शिव-शंकर-महादेव, वाहेगुरु, अथवा किसी अन्य नाम से पुकारते हैं), प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप में , हमारे ऊपर कैसी कैसी कृपा की है.- कहाँ उन्होंने अंगुली पकड़ कर हमें सही मार्ग पर चलाया, हमें सफलता दिलायी और कहाँ उन्होने भयंकर आपदाओं से हमारी रक्षा की.
सांसारिक काम काज से संपूर्ण अवकाश पा लेने के बाद प्रभु की कृपा से अब हम दोनों को "संत वाणी श्रवण" का अखंड आनंद मिल रहा है. हाल में एक संत से सुना " दिवस में एक बार भी यदि हम प्यारे प्रभु से प्राप्त असंख्य अनुकम्पाओं में से केवल एक को भी याद करलें और उसके लिए प्रभु के प्रति अपना अनुग्रह व्यक्त करें और उन्हें भाव पूर्ण धन्यवाद दे तो समझ ले की हमारी उस दिन की पूजा पूरी हो गयी"..
बस एक बार प्यारे कर दिल से शुक्रिया ,
तुझको दुआ मिलेगी पांचो नमाज़ की .
तुझको दुआ मिलेगी पांचो नमाज़ की .
क्यूँ कर रहा है फिक्र तू, कल औरआज की.
इस पत्र द्वारा हमारा आप से अनुरोध हैं कि हो सके तो दिन में केवल एक बार कुछ पलों के लिए आप अपने जीवन में घटी कोई ऎसी घटना याद करें जिसमे आपको आपके ऊपर हुई प्रभु की अहैतुकी कृपा के प्रत्यक्ष दर्शन हुए हैं . इस बहाने आप, अपने प्रियतम इष्ट को , उनकी करुणा के लिए धन्यवाद देने और अनुग्रह पूर्वक याद करने का एक अवसर अनायास ही पा जायेंगे और आप तो जानते ही हैं , आपकी "याद" पलट कर उनकी "दया" बन जायेगी और आपके जीवन में सतत आनंद वर्षा करती रहेगी.
हम यदा कदा अपने निजी अनुभवों से आपको अवगत कराते रहेंगे, आप भी यदि अपने अनुभव हमारे साथ बाँटे तो हम लाभान्वित होंगे, हमारा प्रभु -प्रेम सुद्रढ़ होगा. अंततोगत्वा हमारा भी कल्याण होगा.. .
स्नेहिल शुभकामनाओं सहित ,
भोला - कृष्णा