सिया राम के अतिशय प्यारे,
अंजनिसुत मारुति दुलारे,
श्री हनुमान जी महाराज
के दासानुदास
श्री राम परिवार द्वारा
पिछले अर्ध शतक से अनवरत प्रस्तुत यह

हनुमान चालीसा

बार बार सुनिए, साथ में गाइए ,
हनुमत कृपा पाइए .

आत्म-कहानी की अनुक्रमणिका

आत्म कहानी - प्रकरण संकेत

शुक्रवार, 16 अप्रैल 2010

प्रतिदिन प्रातः धन्यवाद दें

गतांक के आगे :

प्रातः उठते उठते ही, अविलम्ब, केवल एक मिनिट, मन ही मन अपने इष्ट का सिमरन करें और उनकी कृपा से प्राप्त सब भौतिक व दैविक उपलब्धियों के लिए उनके प्रति अपनी हार्दिक कृतज्ञता व्यक्त करें भावाद्र वाणी में कहें -

"धन्यवाद तुझ को भला कैसे दूँ भगवान ,
तूने ही सब कुछ दिया यह काया यह प्रान,
प्रति पल रक्षा कर रहा देकर जीवन दान,
क्षमा करो अपराध सब मैं मूरख नादान,
मुझपर कृपा करो भगवान"