सिया राम के अतिशय प्यारे,
अंजनिसुत मारुति दुलारे,
श्री हनुमान जी महाराज
के दासानुदास
श्री राम परिवार द्वारा
पिछले अर्ध शतक से अनवरत प्रस्तुत यह

हनुमान चालीसा

बार बार सुनिए, साथ में गाइए ,
हनुमत कृपा पाइए .

आत्म-कहानी की अनुक्रमणिका

आत्म कहानी - प्रकरण संकेत

बुधवार, 2 जून 2010

घट घट वासी राम

पितामह बाबा जी की तीर्थ यात्रा:
श्री हनुमान जी द्वारा मार्ग दर्शन

पितामह बाबा , राम हित लालजी के " राम " केवल दशरथ नंदन "राम" अथवा परम पुरुष भगवान "श्री राम" की संगेमरमर की मूर्ति तक ही सीमित नही थे. उनके "राम" घट घट वासी थे . उन्हें परब्रह्म "श्री राम" का मंगल दर्शन परम पिता की समग्र सृष्टि में होता था. उन्हें संसार के सभी जड़ चेतन पदार्थो में केवल " राम" ही दिखायी देते थे. उन्हें तुलसी के इस कथन की सत्यता पर पूरा भरोसा था:
जड़ चेतन जग जीव जत सकल राम मय जानि
बंदौ सबके पद कमल सदा जोरि जुग पानि

राम ब्रह्म चिन्मय अबिनासी .  सर्व रहित सब उर पुर बासी..
जगत प्रकास्य प्रकासक रामू . मायाधीस ज्ञान गुनधामू..

वह एक पल को भी यह नही भूलते थे क़ि-

आकर चार लाख चौरासी, जोनि भ्रमत यह जीव अबिनासी.
कबहुक करि करुना नर देही , देत ईस बिनु हेतु सनेही.

बड़े भाग मानुस तन पावा , सुर दुरलभ सब ग्रंथिही गावा.
साधन धाम मोक्ष कर द्वारा , पाइ न जेहि परलोक सवारा.

सो परत्र दुःख पावही सर धुन धुन पछताई.
कालहि कर्महि ईस्वरहि मिथ्या दोस लगाईं..

( It is our exceptional fortune that the GOOD LORD has bestowed this human form to us which is not available even to gods-as mentioned in ancient scriptures Only Human beings are capable of performing SADHNA for liberation of their soul . One who fails to do this becomes unhappy for which he blames Bad Times his Destiny-Fate, and does not even spare GOD .)

पितामह बाबा जी की यात्रा तो चल ही रही है. आगे के विवरण की थोड़ी प्रतीक्षा कर लें .

--निवेदन :श्रीमती डॉ कृष्णा एवं :व्ही. एन. श्रीवास्तव "भोला"